Making True Progress | आत्मा की उन्नति का रास्ता | Sakar Murli Churnings 07-01-2019

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Making True Progress | आत्मा की उन्नति का रास्ता | Sakar Murli Churnings 07-01-2019

1. आत्मा की उन्नति की जिम्मेवारी बाप पर है… तो बाप न सिर्फ मन की शान्ति का रास्ता बताते… लेकिन इतनी श्रेष्ठ ईश्वरीय मत देते, जो आत्मा देहीी-अभिमानी बन चड़ती कला में आ जाती, और 16 कला सम्पूर्ण health-wealth सम्पन्न गुणवान देवता बन जाती... लीबरेट हो शान्तिधाम-सुखधाम वा मुक्तिधाम जीवनमुक्तिधाम पहुंच जााती!

2. आत्मा की उन्नति एक ही बार इस संगम पर होती है, तो हमें इस पर पूरा ध्यान देना है… अपनी उन्नति करने के लिए:

  • याद की यात्रा पर पूरा-पूरा attention देना है, याद से ही आत्मा पर लगी हुई जंक उतरेगी… तो ज्ञान सुनने सुनाने के साथ, बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहना है!
  • जरा भी अपना टाईम वेस्ट नहीं करना है… पास्ट के चिन्तन और भविष्य की चिन्ता को छोड़ वर्तमान को बहुत सुन्दर बनाना है… तो भविष्य अपने आप श्रेष्ठ बन जायेगा!
  • बाबा की सर्विस भी जरूर करनी है… इसमें हमारा ही कल्याण हैै!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के ज्ञान-योग और सेवा से अपना वर्तमान इतना श्रेष्ठ और सुन्दर बनाए, कि हमारा भविष्य भी सुनेहरा सुख शान्ति सम्पन्न बन जाएँ… ओम् शान्ति!

आज का विशेष पुरूषार्थ

ब्रह्मा बाप समान:

  • नैनों में रूहानियत
  • मस्तक पर मस्तक-मणि का साक्षात्कार
  • चेहरे पर दिव्य अलौकिक स्थिति का प्रत्यक्ष रूप
  • चलन में बाप के चरित्र का साक्षात्कार

कराने के लिए अंतर्मुखी, अलौकिक वा रूहानियत से सम्पन्न बनना है!

The blissful swing of God’s love | परमात्म प्यार का आनंदमय झूला | Avyakt Murli Churnings 06-01-2019

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The blissful swing of God’s love | परमात्म प्यार का आनंदमय झूला | Avyakt Murli Churnings 06-01-2019

अधिकारों की माला

बाबा के बच्चे बनना, अर्थात सर्व अधिकारों से सम्पन्न बनना:

  • परमात्म बच्चे बनने के नाते… सर्वश्रेष्ठ माननीय पूज्यनीय आत्माएं बनने का अधिकार
  • गॉडली स्टूडेंट होने के नाते… ज्ञान के खजानों के अधिकारी
  • सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अधिकार
  • कर्मेंद्रीय जीत स्वराज्य अधिकारी बनने का अधिकार
  • इन सबके फल-स्वरूप मायाजीत और विश्व राज्य अधिकारी, अर्थात समर्थ आत्मा बन जाते

सफलता का आधार – त्याग, तपस्या और सेवा!

जहां त्याग, तपस्या और सेवा है… वहां सेकण्ड में निश्चित सफलता मिलती है:

  • सबसे बड़ा त्याग है देह-भान का त्याग… जिसमें मैं-पन वा मेरा-पन सब आ जाता है… बेहद की स्मृति रखनी है, मैं शुध्द आत्मा हूँँ, सर्वशक्तिवान बाप मेरा है!
  • तो तपस्वी सहज बन जाएँगे… तपस्या अर्थात एक के है, एक की मत पर चलना, एकरस स्थिति (के कमल पुष्प आसन) में रहना, एक परमात्म स्मृति में!
  • और जहां त्याग और तपस्या है, वहां सेवा स्वतः होती है… सच्चे सेवाधारी बन जाते हैं
  • ऎसे त्यागी, तपस्वी, सेवाधारी ही सदा सफलता स्वरूप रहते… सफलता (वा विजय) हमारे गले का हार बन जाता… हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है सफलता!

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • प्रकृति हलचल भी करे… तो भी हमारा काम है स्वराज्य अधिकारी बन अचल रहनाहम स्वराज्य नेताओं की नीति है श्रीमत! (इसमें धर्म नीति, स्वराज्य नीति सब आ जाता है!)
  • सर्व खझानों व शक्तियों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाने की सेवा करनी है… इसी कार्य में busy रहने में उन्नति है, व्यर्थ से भी बचे रहते… इसलिए बुद्धि का time-table बनाना है, याद और सेवा के balance द्वारा blessing प्राप्त करते रहना है!
  • लगन से, निःस्वार्थ और निमित्त भाव से कार्य करने से… सेवा का प्रत्यक्षफल खुशी प्राप्त होती, और सबकी शुभ भावनाएं भी मिलती! … हल्के ट्रस्टी रहते और निर्णय-शक्ति भी बढ़ जाती!

परमात्म प्यार का सुखदाई झूला!

परमात्म प्यार आनंदमय वा सुखदाई झूला है, जो उड़ती कला में ले जाता… जिससे माया के आकर्षण और परिस्थितियों से बचे रहते!

परमात्म प्यार का प्रमाण है:

  • बाबा कहते तुम जो हो, जैसे हो, मेरे हो!
  • वह रोझ हमें इतना लम्बा पत्र (मुरली!) भेजते, याद-प्यार देते
  • रोज सुबह अमृतवेले हमसे मिलन मनाते, रूहरुहान करते, शक्तियां भरते!
  • सारा दिन साथी बन साथ रहते
  • हमारी सुख-शान्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते
  • बाबा चाहते हम उनसे भी आगे जाएं!… सम्पन्न, सम्पूर्ण और समान बन जाएँ!

परमात्म प्यार के पात्र बनने लिए:

  • जैसे बाबा चाहते हैं, वैसा सहज-योगी जीवन बनाना है, अपसेट नहीं होना है
  • परमात्म प्यार, गुण और शक्तियों से इतना भरपूर हो जाएँ, कि और कोई भी आकर्षण खींचे नहीं!
  • प्यार की निशानी है समान, कर्मातीत बनना… तो करावनहार बन मन बुद्धि संस्कार कर्मेंद्रीयों के मालिक बन कर्म कराना है, उनके वश नहीं होना है
  • न्यारा बनना है, बाबा पर पूरा न्योछावर होना है, सभी कमझोरीयां कुर्बान कर देनी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… परमात्म प्रेम के झूले में इतना लवलीन हो जाए, कि सभी कमझोरी स्वतः समाप्त हो जाए… और सबको भी गुणों और शक्तियों से सम्पन्न करते जाएं, सतयुग बनाते जाएं… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | आत्मिक दृष्टि का अभ्यास | Soul Conscious Drishti

योग कमेंटरी | आत्मिक दृष्टि का अभ्यास | Soul Conscious Drishti

मैं आत्मा हूँ… सभी भी आत्माएं हैं… बाबा के बच्चे है

एक बाप के बच्चे, मेरे भाई-बहन है… वह भी शान्त स्वरूप… प्रेम स्वरूप… आनंद स्वरूप है

मुझे उनकी विशेषताएं ही देखनी है… सबको देते रहना है… शुभ भावनाएं, दुआएं, सम्मान आदि… बाप से लेकर, सबको देना है

मुझे उनसे कोई भी अपेक्षा नहीं… उनकी कोई गलती नहीं… वह खुद अपने संस्कारों से परेशान हैं

उनका जीवन सुखमय बने… वह खुश रहे, आगे बढ़े, उनका कल्याण हो… उनका भी सम्बन्ध उनके परमपिता से जुड़ जाए, वह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाएं

इस अभ्यास से मेरी आँखें निर्मल होती जा रही है… मैं सतयुगी देवता बन रही हूँ… ओम् शान्ति!


और योग कमेंटरी:

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Sakar Murli Churnings 05-01-2019

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Sakar Murli Churnings 05-01-2019

1. भगवान हमारा बाप भी है, टीचर भी है, और सतगुरू भी है… वही हमको पढ़ाते हैं… इस निश्चय-पूर्वक स्मृति से सेकेण्ड में खुशी का पारा चढ़ जाता है… और इस खुशी को कायम रखने पढ़ाई भी जरूर पढ़नी है!

2. बातें करते यह अभ्यास पक्का करना है, हम आत्मा भाई से बात कर रहे हैं… तो स्वतः हमारा स्वभाव बहुत मीठा और रॉयल रहेंगा… भूतों (अर्थात प्रभाव में आना, लड़ना-जगड़ना, आदि जिसको बाबा ने आज नास्तिक-पना कहा) से बचे रहेंगे

3. कोई पूछे विनाश कब होगा, तो कहो पहले यह बताने वाले (अर्थात ज्ञान देने वाले) अल्फ को तो जानो… वही कह रहा है कि मैं नई राजधानी स्थापन करने आया हूँ, हमें उनकी श्रीमत पर चलना है

4. बाबा हमें कितना ऊंच मनुष्य से देवता 21 जन्मों के लिए बना रहे हैं… फिर तो यह ज्ञान भी नहीं रहेगा, तो अभी पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है… पूरा आत्म-अभिमानी बन बाबा को याद करना है, तो पावन बन जाएँगे… और कर्मातीत भी बनते जाएंगे… ओम् शान्ति!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… किसी से भी बात करते हुए, आत्मिक दृष्टि का अभ्यास पक्का रखे, जिससे सहज आत्म-अभिमानी स्थिति का अनुभव करते रहेंगे… और हमारी अवस्था बहुत हल्की और सन्तुष्ट रहेंगी, योग भी बहुत सहज और शक्तिशाली होगा… ऎसे सहज ही हम ब्रह्मा बाप समान अपने कर्मातीत फरिश्ता स्थिति तक पहुँच जाएँगे… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 04-01-2019

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Sakar Murli Churnings 04-01-2019

1. बाबा हमें सभी दुःखों से लिबरेट कर, जीवनमुक्ति दे देते हैं… और कितना सुन्दर हसीन बनाते हैं… तो ऎसे बाबा का तो बन जाना चाहिए!… मुरली तो कभी miss न हो!

2. साथ में देही-अभिमानी स्थिति और बाबा की याद भी चाहिए… तो माया से बचे रहेंगे, बहुत खुशी में रहेंगे और हर्षितमुख मीठे रमणीक बन जाएँगे!

3. श्रीमत पर सर्विस की उछल आनी चाहिए, अपना सब कुछ transfer करना है… बाबा का ज्ञान सबको सुनाना है:

  • आत्मा का परिचय… कैसे आत्मा निराकार है, शरीर धारण कर पार्ट बजाती, भ्रूकुटी के बीच विराजमान है, एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है, संस्कार ले जाती है, ऎसे 84 जन्मों का पार्ट नुन्धा हुआ है
  • परमात्मा का परिचय… हम सभी आत्माओं का बाप, हमारी तरह निराकार ज्योति बिन्दु स्वरूप, पुनर्जन्म रहित, ज्ञान पवित्रता शान्ति प्रेम के सागर, संगम पर आकर हमें सद्गति देते हैं (अर्थात देवता बनाते हैं)!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के मूल ज्ञान (A – आत्मा, B – बाबा, C Connection वा Cycle, D – Drama) मनन करते धारण करते जाएं, और सबको सुनाते रहे… ऎसे हर कदम बाबा की श्रीमत पर चलने से हम बहुत सुन्दर, हसीन वा सतयुगी बन जाते हैं… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | शिवबाबा की याद | Remembering Shiv Baba

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मैं शिव बाबा का बच्चा हूँ… वो मेरा पिता है

बिल्कुल मेरी तरह, अति सूक्ष्म ज्योति बिन्दु स्वरूप… परंतु गुणों का सागर… उनकी शक्तियों की किरणें चारों ओर फैल रही है… पूरे परमधाम को प्रकाशित कर रही है

मैं बाबा को याद कर रहा हूँ… उनके गुण और शक्तियां मुझमे प्रवेश कर रही है.. मैं बहुत हल्का हो रहा हूँ… खुशियों से भरपूर… और शक्तिशाली

मैं आत्मा पावन बनती जा रही हूँ… सतयुगी देवता बन रही हूँ

मैं पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ… सबको भी भाग्यशाली बनाना है… सदा बाबा की श्रीमत पर चलते रहना है… ओम् शान्ति!

गीत: शिव बाबा को याद कर…


और योग कमेंटरी:

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Sakar Murli Churnings 03-01-2019

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Sakar Murli Churnings 03-01-2019

बाप और वर्से को याद करना है सेकेण्ड की बात, जिससे खुशियों से भरपूर बन जाते हैं!

लेकिन माया (अर्थात पुराने संस्कार) याद करने नहीं देते… इसलिए अशरीरी बनने और बाबा को याद करने का अभ्यास करना है… तो हम बहुत मीठे और रॉयल बन जाएँगे, और सुख के टाॅवर स्वर्ग में पहुच जाएँगे!

तो जितना ऎसे बुद्धी को गोल्डन एज बनाकर धारणा केरेंग और कराएंगे, श्रीमत पर चलेंंगे, बाबा को याद कर पवित्र बनेंगे… तो आने वाले समय को भी सहज पार करेंगे, और स्वर्ग में भी बहुत ऊंच पद पाएंगे!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अल्फ और बे (बाप और वर्से) को याद कर बेअंत खुशी में रहे… और सब के साथ इस खुशी को बांटते रहे, विश्व को स्वर्ग बनाते चले… ओम् शान्ति!

योग कमेंटरी | मैं फरिश्ता हूँ | I’m an Angel

योग कमेंटरी | मैं फरिश्ता हूँ | I’m an Angel

मैं बहुत हल्का हूँ… सब बोझ बाप को दे दिए हैं… मैं निश्चिंत हूँ

मैं डबल लाइट हूँ… आत्मा भी लाइट, शरीर भी लाइट… हल्का और प्रकाशमय

मैं लाइट रूपधारी हूँ… प्रकाशमय काया… जिसके चारों ओर लाइट ही लाइट फैल रही है… पारदर्शी हूँ… मुझे कोई छू भी नहीं सकता

मैं फरिश्ता हूँ… फ़र्श से कोई रिश्ता नहीं… सर्व रिश्ता एक बाप से

मैं बाप समान हूँ… कदम-कदम पर फॉलो फादर करने वाली आत्मा हूँ

मैं सबको देने अया हूँ… शुभ भावना, दुआएं, आशीर्वाद, आदि

मैं कर्मातीत बन्धनमुक्त हूँ… कोई भी रस्सीयां मुझे खींच नहीं सकती

मैं अव्यक्त हूँ… व्यक्त भान से परे… व्यक्तियों से भी परे

मैं सूक्ष्मवतन वासी हूँ… यहाँ अवतरीत हुआ हूँ… नयी सतयुगी सृष्टि की स्थापना करने… ओम् शान्ति!


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Sakar Murli Churnings 02-01-2019

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Sakar Murli Churnings 02-01-2019

भगवान हमारा बाप है… तो उनसे डरना नहीं है, लेकिन सदा साथ रहकार सर्व प्राप्ति स्वरूप बनना है!

पुरुषोत्तम युग में पुरुषोत्तम बनने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है… बाबा से अविनाशी ज्ञान रत्नों का व्यापार कर, 21 जन्मों के लिए मालामाल बनना और बनाना है!

एक सत बाप के संग में रहना है, जिससे न सिर्फ वर्तमान लेकिन भविष्य भी सुख-शान्ति सम्पन्न बन जाता है… जबकि बाप गुप्त वेश में हमें पढ़ाकर अपने से भी ऊंचा बनाते हैं!

पुराने संस्कारों वा हिसाब-किताब का बोज़ा सिर पर है, इसलिए योग अग्नि से उनको चूकतु करते रहना है… साथ में भविष्य (और वर्तमान!) प्रालब्ध बनाने पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है, मुरली एक दिन भी miss नहीं करनी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के सदा साथ रहे, अर्थात उनसे ज्ञान रत्नों का व्यापार कर अपना और सर्व का कल्याण करे, और योग में रहकार पुुराने-पन के भार से हल्का बने… इस ज्ञान योग के अभ्यास से हमारे दैवी संस्कार emerge हो जाएंगे, और हम फिर सेेेे इस विश्व को स्वर्ग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!

Welcoming the New Age | नव युग की बधाई हो | Avyakt Murli Churnings 31-12-2018

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Welcoming the New Age | नव युग की बधाई हो | Avyakt Murli Churnings 31-12-2018

नव युग की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो!

जैसे नये वर्ष की स्मृति, आनंद और इन्तज़ार है… वैसे ही मन और नैनों में नव युग की भी बहुत बहुत खुशी रखनी है, कि बाबा हमें कितनी नई बातें दे रहे हैं:

  • नया युग (जो अब आया की आया)
  • नया राज्य
  • नया जीवन
  • नया चमकीला दैवी ड्रेस (शरीर)
  • नया मन, धन वा सम्बन्ध
  • नयी सीन-सीनरीयां
  • नये सर्व प्राप्तियों के भण्डार

पुरानी बातों को विदाई

बाबा चाहते हैं, कि हम दृढ़तापूर्वक हिम्मतवान बनकर सभी पुराने-पन को विदाई दे:

  • पुराने स्वभाव
  • पुराने संस्कार
  • पुरानी चलन
  • माया
  • पुराने व्यर्थ संकल्प, कमझोरी के संकल्प

इसके लिए सिर्फ हिम्मत का एक कदम उठाना है, तो बाबा की हज़ार (वा पदम) गुणा मदद के अधिकारी हो… किसी भी हालत में हिम्मत नहीं छोड़नी है… माया हिल जाए, लेकिन हमारा हिम्मत का पांव न हीले!

नव वर्ष में क्या नवीनता लानी है?

  • हमारा occupation है विश्व कल्याणकारी वा विश्व परिवर्तक बनना… इसलिए परोपकारी, रहमदिल बनकर शुभ भावना वा दुआओं का दान देकर… स्व के, परिवार के और विश्व के कल्याणकारी बनना है
  • सेवा में जैसे लक्ष्य रखते कि बाप को प्रत्यक्ष करना है… वैसे पहले स्वयं को प्रत्यक्ष करना है… शिव शक्ति, पाण्डव वा विजयी रूप में
  • बाप समान जरूर बनना है
  • कारण वा समस्या शब्द सदा के लिए समाप्त करने है… चाहे स्व से, परिवार से, वा संगठन के संबंधित हो… निवारण करना है, समाधान स्वरूप बनना है
  • बीच-बीच में मालिक बन मन-बुद्धि को श्रेष्ठ स्थितियों में एकाग्र करने की ड्रिल जरूर करनी है

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • सदा OK रहने वालो पर बाबा स्नेह भरी दुआओं की वर्षा करते है… और वाह बच्चे वाह के गीत गाते हैं
  • मेरा बाबा कहा, और अधिकारी बन गए… श्रीमत पर चलने के अधिकारी, और सर्व प्राप्तियों के अधिकारी
  • की हुई सेवा के लिए बाबा मुबारक दे रहे है
  • दिल्ली का स्थापना के कार्य में महत्वपूर्ण पार्ट है… इसलिए number 1 (वा गोल्डन कप) लेना है
  • डबल विदेशीयों ने सेवा में वृद्धि अच्छी की… अभी डबल तीव्र पुरुषार्थी बनने का गोल्डेन कप लेना है

बाबा का याद-प्यार

चारों ओर के स्नेही, सहयोगी, श्रेष्ठ… स्व की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले विश्व कल्याणकारी बच्चो को बापदादा की बहुत बहुत दुआएं स्वीकार हो… और नमस्ते!

सार

तो चलिए इस सारे वर्ष… अपने श्रेष्ठ नये युग को बार-बार नैनों के सामने लाते बहुत बहुत खुशी में रहे… जिससे सहज ही हम पुराना-पन से मुक्त हो… फिर से अपने कल्प पहले वाले श्रेष्ठ स्वरूप को धारण कर, स्वयं की प्रत्यक्षता द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करें… जिससे सहज ही स्वर्ग की स्थापना सम्पन्न हो जाएगी… ओम् शान्ति!