Revealing the golden future! | Avyakt Murli Churnings 17-11-2019

Revealing the golden future! | Avyakt Murli Churnings 17-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. सभी स्नेह के रीटर्न में सम्पन्न-सम्पूर्ण (वा बाबा के नूर-रत्न, दिल-तख्तनशीन) बनने के श्रेष्ठ संकल्प-पुरूषार्थ में उमंग-हिम्मत से आगे बढ़ रहे… बाबा भी देखते एक बाबा-श्रीमत-लक्ष्य-घर-राज्य की लगन में उड़ रहे हैं… याद-सेवा ही हमारा जीयदान है, जो मायाजीत रखता

2. इस गोल्डन जुबली में सबको गोल्डन एज के सुनहरे युग-समय का सुनहरा सन्देश देना है… जिससे सब अंधकार से रोशनी, ना-उम्मीद से उम्मीद के सितारे-सूर्य, दिलशिकस्त-भय-मूंज से सतयुग-स्थापना की खुशखबरी में आएं (जैसे हम सुखधाम की तैयारी में दुःखधाम से परे रहते)…

3. शान्ति-स्नेह रूप के साथ अब सत्य-परमात्म-शक्तिशाली ज्ञान भी प्रत्यक्ष होंगा (सब वर्से के अधिकारी बनेंगे)… उमंग से वातावरण बनता, जो सब को आकर्षित करता… सब “अच्छा है” से अब “यही है” पर आएंगे

पार्टियों से

1. बाबा हमें चला रहे, यह बहुत न्यारा-प्यारा अनुभव है… हिसाब चुक्तू में साक्षी हो, बाबा के साथी-पन की मौज में रहना है (तो कुछ नहीं लगेगा)… हम स्वयं की श्रेष्ठ-स्टेज के साथ सेवा-स्टेज पर सदा है… कर्मभोग नहीं कर्मयोग की शक्ति है, भोगना नहीं सेवा की योजना है… सदा “वाह रे मैं

2. हम बाबा के चरित्रों का दर्शन कराने वाले दर्पण है, बाबा के सिरताज की मणियां

3. बाबा से जो ज्ञान की दिव्य-दृष्टि का शक्तिशाली-वरदान मिला, उसे यूज करते हैं… सभी साधन (लिटरेचर-चित्र-भाषण-सम्मेलन) एक-साथ संस्था को प्रत्यक्ष कर, सबको समीप लाते (साकार को भी लिटरेचर में बहुत रूचि थी)… सफलता तो हुई पड़ी है, फिर भी जितना प्लानिंग करते, उतना बल मिलता

4. डबल-लाइट रहने में ही मौज है, तब ही संगम का समय सफल होता (कमाई में)… इसलिए सदा ज्ञान-योग-सेवा में मस्त रहना है, राजयुक्त-योगयुक्त… बड़ों की विशेषताएं-धारनाएं कैच कर, फॉलो कर, समीप माला में आना है

सार

सदा अपनी सम्पन्न-सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव कर, बाबा के साथी दिल-तख्तनशीन, राजयुक्त-योगयुक्त बन… सदा एक श्रीमत के लगन में, याद-सेवा में मस्त, डबल-लाइट मायाजीत रह… सब को सुनहरे युग का सुनहरा सन्देश दे प्रत्यक्षता लाते, वारिस बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Spiritual Significance of Holi! | Avyakt Murli Churnings 10-11-2019

Spiritual Significance of Holi! | Avyakt Murli Churnings 10-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमारे संगमयुगी-जीवन का हर दिन उमंग-उत्साह-खुशी सम्पन्न है (हम ज्ञान-अमृत पीते, खुशी में नाचते, सुख-स्नेह के गीत गाते)… मनाने के साथ होली बनते-बनाते

2. होली विशेष तीन-प्रकार से मनाते:

  • जलाने की… अर्थात्‌ पुराने स्वभाव-संस्कार को योग-अग्नि में जलाना
  • फिर रंगों से खेलना… अर्थात्‌ बाप के संग-रंग में रंग बाप-समान बन जाना, ज्ञान-गुण-शक्तियों सहित… जो अविनाशी जन्म-जन्म चलेंगे
  • फिर मंगल-मिलन मनाना… अर्थात्‌ आत्मा-परमात्मा का मिलन, जिसमें हम कम्बाइन्ड हो जाते

3. और सूक्ष्म बातें:

  • होलिका जलने की कहानी… अर्थात्‌ माया को जलाना
  • खुशी से मनाते… क्योंकि हम खुश रहते
  • हल्के हो जाते… क्योंकि हम डबल-लाइट रहते
  • पुराना-पन भूलते… क्योंकि 63 जन्म का पुराना-पन हम भूलते
  • समान-भाव से मनाते (बच्चें-बूढे सब)… क्योंकि हम देह-भान से परे, भाई-भाई की स्मृति में स्थित होते
  • दुश्मनी भूल जाते… क्योंकि हमने पुराने स्वभाव-संस्कार (आत्मा के दुश्मन) को योग-अग्नि में भस्म कर दिया है
  • पिचकारी उड़ाते… क्योंकि हम रूहानी-दृष्टि द्वारा सुख-शान्ति-खुशी-प्रेम लुटाते… एसा रंग कोई मिटाना नहीं चाहते

जिनके हर कर्म मनाये जाते (हम)… वह खुद कितने महान होंगे!

4. पुराना-पन जरा भी याद न आए… हमारा तो सब नया है, नया जन्म-दुनिया-संसार-संस्कार-बातें… नयी भाषा, रीति-रस्म, सम्बन्ध-सम्पर्क… नये गीत (हाय-हाय, क्यों-क्या से परे… सदा अहो-वाह)

5. हमारे जैसे मौजों की जीवन, कोई वर्ग की नहीं:

  • हम बेफिक्र-बेगमपुर-बीन कोड़ी बादशाह है
  • मेहनत समाप्त हो गई, मोहब्बत में
  • चिंता के बदले शुभ-चिन्तक
  • सोने की गोली के बदले… बाबा के साथ सोना

अन्त में सब साथ हो जाएंगे… सिर्फ बाबा की touching सेकण्ड में कैच करने, बुद्धि की लाइन क्लियर रखनी है… औरों को शक्ति देने भी शायद रुकना पड़े, सब श्रीमत पर, लगाव नहीं

हमारे स्नेह-उत्साह-प्रतिज्ञा के पत्रों प्रति

1. बाबा हमें “जैसे बाप, वैसे हम” का वरदान देते (हर संकल्प-कर्म पहले चेक करना बाप-समान है, तो शक्तिशाली-सफल रहेंगे, सफलता हमारे गले की माला है)… बाबा सदा हमारी विशेषताएं-भाग्य के गीत गाते, याद-प्यार देते

2. हम बाबा की छत्रछाया में है (माया कुछ नहीं कर सकती), सिर्फ छोटी बातों को बड़ा नहीं बनाना… इसके लिए सदा ऊपर (बाबा के साथ) रहना है, तो सेफ रहेंगे

सार (चिन्तन)

जबकि होली हमारी ही सर्वश्रेष्ठ खुशियों-भरी जीवन का यादगार है… तो सदा माया की पुरानी बातों को भूल, बाबा की छत्रछाया-संग-मोहब्बत में रंग बाप-समान बन… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद के गीत गाते-नाचते, सबको दृष्टि-शुभ भावना द्वारा बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being an invaluable jewel! | Avyakt Murli Churnings 03-11-2019

Being an invaluable jewel! | Avyakt Murli Churnings 03-11-2019

1. हम रत्नागर-बाप के अलौकिक-अमूल्य रत्न है (सारे विश्व के खज़ानों से भी ज्यादा मूल्यवान)… क्योंकि हम है डायरेक्ट ईश्वरीय सन्तान (जिस ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम-महिमा-धर्म-कर्म है), उसने कहा है तुम मेरे, मैं तेरा… तो भक्ति में भी हम रत्नों की विघ्न-विनाशक रूप में वैल्यू होती

  • अभी प्यार के सागर की दृष्टि पड़ने से… सारा कल्प प्यार के पात्र बन गए, भक्त भी कितना प्यार से देवताओं को देखते 
  • अभी बाप द्वारा पवित्रता जन्मसिद्ध-अधिकार है… तो सतयुग में भी सम्पूर्ण-पवित्र पालना मिलती, और भक्ति में भी सम्पूर्ण पवित्रता-स्वच्छता से पूजते
  • अभी भगवान् मात-पिता रूप में अविनाशी स्नेह से सम्भालते… तो सारे कल्प सब रोयल्टी-स्नेह-रिगार्ड से रखते

तो सदा अपने श्रेष्ठ मूल्य को स्मृति में रखना है, और किसने हमें अमूल्य बनाया… इस विधि से सहज सिद्धि को पाते (पूज्य बनते, पाप नहीं चढ़ते)

2. पवित्रता हमारा जन्मसिद्ध-अधिकार है, एसी अधिकारी आत्माओं को पवित्रता सहज है… यदि माया संकल्प-स्वप्न में परिक्षा भी ले, तो नॉलेजफुल बन अंश का सोच-विस्तार कर वंश नहीं बनाते, तुरन्त भगा देते मास्टर-सर्वशक्तिमान बन… रत्न है तो मिट्टी से नहीं खेलना-घबराना

पार्टियों से

1. सदा अपने को बाबा के नैनों में समाई हुई हल्की-बिन्दी समझने से… सदा डबल-लाइट उड़ती-कला में रह, आगे बढ़ते रहते… बड़ों के इशारों को regard देने से भाग्य श्रेष्ठ बनता रहता

2. हमारे मस्तक पर भाग्य का सितारा अखण्ड चमकता रहता (क्योंकि हम ज्ञान-सूर्य की याद से शक्तियां लेते रहते)… याद-सेवा के balance से सहज सफलता मिलती (शक्तिशाली याद से शक्तिशाली आत्माओं का आह्वान होता)… लौकिक कार्य भी डायरेक्शन पर करते, याद-सेवा की लगन है, तो बाबा का हाथ-साथ है ही

3. घर बैठे भगवान मिल गया, इसी श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति द्वारा हर्षित सुख-शान्ति सम्पन्न बनना है… संगम के हर दिन नया उमंग-उत्साह हो

4. हम बाबा को स्नेह से याद तो करते, अभी लगन को अग्नि-रूप बनाना है… तो सब बन्धन भस्म हो, स्वतंत्र बन सिद्धि को पाएंगे

सार (चिन्तन) 

जबकि इश्वर का बनने से हम सदाकाल के सर्वश्रेष्ठ प्यार-पवित्रता-स्नेह के पात्र बन गए हैं… तो सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख हर्षित-सुख-शान्ति सम्पन्न बन, बाबा की याद में समाए हुए डबल लाइट बन, याद को अग्नि-रूप बनाते माया के अंश को भी समाप्त कर… हर दिन याद-सेवा में नये उमंग-उत्साह का अनुभव करते, सब का कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Belonging to God! | Avyakt Murli Churnings 27-10-2019

Belonging to God! | Avyakt Murli Churnings 27-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम दूर से भी बाबा के बन, उनके स्नेह-लगन में, सब को परिचय देने की सेवा में लगे हुए है (लौकिक-अलौकिक दोनों निभाते, आराम-खाना न देखते हुए)… पवित्रता को सहज स्वीकार कर लिया (हिम्मत-दृढ़ता-पढ़ाई, शान्ति-स्नेह-संग से) 

2. पाण्डव समझ गए हैं कि पवित्रता से ही योगी बनते, बाबा का स्नेह पाते, सेवा में सफलता पाते… पुराने संस्कार आते भी बाबा के स्नेह में सब कुर्बान कर बाप-अनुसार चलते, मुहब्बत-स्नेह में मेहनत-सहन आदि सब सहज… रचता-पन होते भी बाप-समान निर्माण-निरहंकारी, सब को रिगार्ड दे आगे बढ़ाने वाले… बाहर के वातावरण मे रहते भी, बाबा की छत्रछाया के अन्दर

3. शक्तियां है स्नेह में लवलीन, सर्व सम्बंधों में मग्न, याद और सेवा में लगी हुई… अलबेलापन-नाजुकपन छोड़, दुनिया के आकर्षण को असार समझ, बाबा को अपना संसार बना लिया, सब कुछ बाबा में लगाकर उड़ती कला में… थकावट-बोज़ आते हुए भी बाप-समान बनने के उमंग में परिवर्तन, तो बाबा भी कहते हिम्मते बच्चें मददे बाप, सफलता जन्मसिद्ध अधिकार, त्याग-तपस्या-सेवा के आगे सब सहज

4. अपनी नवीनता-लगन से सेवा में वृद्धि कर रहे… सच्चे धन, तन-मन को दिल से सफल कर 21 जन्म रिटर्न पाना, यही सर्वश्रेष्ठ जीवन है… अपना आराम न देख, विश्व कल्याण में सकल करना, सब रेटर्न करेंगे… बूंद-बूंद में भी बाबा को याद समाई हुई है 

पर्सनल मुलाकात

1. हम भाग्यवान है, भाग्यविधाता के स्थान पर आ गए हैं (दूर होते भी समीप), यही से ही हम भाग्य खिंचते… सिर्फ थोड़ा सा समय देना है, हमें श्रेष्ठ संग मिला है… अल्पकाल की इच्छाओं के पीछे जाने से वह दूर भागते (परछाई-समान), सदाकाल की प्राप्ति अपनाने से सबकुछ मिलता, खुशी हो सबसे बड़ा ख़ज़ाना है

2. हमारा उमंग है, आगे बढ़ने का, वा बाबा के सामने रूहानी गुलाबों का गुलदस्ता लाने का… भल सेवा बड़ी हो, उससे स्थिति भी शक्तिशाली बन जाएंगी… समस्या आए, तो भी लगन से पार, हमें वातावरण शक्तिशाली बनाने की लगन है

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा एक बाबा को अपना संसार बनाए उसके स्नेह-सम्बंध की छत्रछाया में लवलीन रह, सभी कमजोरी को उसके प्यार में कुर्बान कर… सदा उड़ती कला का अनुभव करते, सब को regard दे अपने जीवन को इश्वरीय सेवा में सफल करते, सतयुग बनाते चले … ओम् शान्ति!


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Being full of all attainments! | Avyakt Murli Churnings 20-10-2019

Being full of all attainments! | Avyakt Murli Churnings 20-10-2019

1. लौकिक प्राप्ति अल्पकाल है (इसलिए सभी वर्ग की आत्माएं खोज में लगी हुई है)… और हम प्राप्ति-स्वरुप विशेष आत्माएं, हमारे हर कदम में पदम है, अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के ख़ज़ाने में… सर्व प्राप्तियां है:

  • सुखदाता सर्व प्राप्तियों के दाता से अविनाशी सम्बन्ध है… जिसमें कोई दुःख-धोखा नहीं
  • सर्व प्रति स्व (आत्मा) का भाव होने कारण श्रेष्ठ स्वभाव है… और बाप-समान रहमदिल विश्व-कल्याणकारी महादानी संस्कार है
  • सच्ची कमाई है… सर्व अविनाशी खजानों की सम्पत्ति के मालिक है (दाल रोटी भगवान् की याद में खाते, परिवार श्रेष्ठ है, और यादगार रूप में नाम कितना बाला है)
  • हमारा बाप से सम्पर्क होने कारण, हमारे जड़ चित्रों का सारे विश्व से सम्पर्क है

दूर होते भी हमने बाप को पहचान, अपने स्नेह से उसे अपना बना लिया है… सदा उड़ती कला में रहते, चलने से भी परे

पार्टियों

1. (युगलों से)… सदा बन्धन-मुक्त न्यारे-प्यारे स्वतंत्र-उड़ता पंछी है… उड़ती कला में, सदा बाबा के साथ, आकर्षण से परे, सदा प्यारे-मौज में, दुःखधाम से ऊपर

2. (अधर-कुमारों से)… एक हम श्रेष्ठ आत्मा, दूसरा बाबा, तीसरा कोई नहीं, यही है लगन में मगन… कुछ मेरा-ममता-मोह नहीं, सिर्फ एक बाबा से शुद्ध मोह-प्यार, सहजयोगी, मायाजीत

3. (माताओं से)… हम सदा बाबा के साथ खुशी में नाचते, सर्वशक्ति-सम्पन्न, नष्टोमोहा है… याद-सेवा में आगे बढ़ते

4. (मधुबन के सेवाधारीयों से)… मधुबन के वातावरण में शक्तिशाली स्थिति बनाने का चान्स मिलता, और सेवा से भविष्य भी जमा होता… जितनी श्रेष्ठ-शक्तिशाली स्थिति से सेवा करते, एक का पदम-गुणा मिलता… हम तो रूहानी सेवाधारी है, रोटी बेलते स्वदर्शन चक्र, स्थूल-कार्य के साथ मन्सा-सेवा करते रहते

5. महावाक्य सुनते महान बन गए, सदा महान कर्तव्य करने वाले (मन्सा-वाचा-कर्मणा महादानी बन, महान युग का आह्वान करने वाले)… इसी महान स्मृति में रहना है

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा सर्व प्राप्तियों के दाता बाबा को स्नेह-प्यार से अपना बनाए, सर्व ख़ज़ाना से सम्पन्न प्राप्ति-स्वरुप महान-आत्मा बन… सदा अपने श्रेष्ठ-आत्मिक भाव द्वारा विश्व-कल्याणकारी महादानी बन सबको सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power of coolness! | शीतलता की शक्ति | Avyakt Murli Churnings 13-10-2019

The power of coolness! | शीतलता की शक्ति | Avyakt Murli Churnings 13-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज ज्ञान सूर्य-चंद्रमा हम लक्की-लवली सितारों को तारामण्डल की सैर करा रहे:

  • हमें ज्ञान-सूर्य से… सत्यता की लाइट-माइट मिलती, जिससे शक्ति-सम्पन्न नशे में रहते
  • ज्ञान-चंद्रमा से शीतलता मिलती… चाहे कैसे भी आए, वह भी बाबा-बाबा करने लगे… तब ही शक्तिशालीयोग्य-योगी बन सकते, सत्यता को धारण करने लिए

2. इसलिए अपने संकल्प-बोल-सम्पर्क को शीतल-धीरे-कन्ट्रोल में रखना है, तो औरों को भी शीतलता का सहयोग-सुख-आनंद दे सकेंगे… आगे तो बहुत आएँग, क्योंकि बहुत प्रकार की आग होगी… इसके लिए हमें शीतलता से सम्पन्न, सर्व प्रकार की आग के परे रहना है:

  • विनाश की आग से बचने चाहिए… निर्भयता, जिससे सभी:
    • भय से खुशी में आएंगे
    • विनाश के बदले स्थापना देखेंगे (मुक्ति-जीवनमुक्ति)
    • हाई गए से वाह गए
    • चिल्लाने के बदले साथ चलेंगे
  • विकारों की आग से बचने… अपने अनादि-वंश (बाबा के बच्चे, सम्पूर्ण-सतोप्रधान आत्मा) और आदि-वंश (देवता, 16 कला सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी) याद रखना है
  • देह-सम्बन्थ-पदार्थ की आकर्षण से बचने… बाबा को अपना संसार बनाना, तो सब असार लगेगा
  • पश्चाताप की आग से बचने… सर्व प्राप्ति स्वरुप बनना है, हर प्राप्ति चेक कर सम्पन्न बनना है

सेवाधारीयों से

1. बाबा के हम फ्रेंड्स भी है, और उनमें लवलीन भी है, जिस संग-रंग के कारण सहज बाप-समान मायाजीत बनते… हमारे हर संकल्प-बोल-सम्पर्क से हम-बाप दोनों दिखते, एसे पावरफुल दर्पण है… सब को बाबा से जुड़ाने वाले, तब ही वह शक्तिशाली बनेंगे

2. अमृतवेले से ही दिलखुश-मिठाई खानी-खिलानी है, दिलशिकश्त-रोने-शिकायत से परे… हम तो परिवर्तन करने वाले है, सब की विशेषताएं ही देखनेे-वर्णन करने वाले… सदा स्वय-सर्व से संतुष्टता का सर्टिफिकेट लेने वाले

3. पवित्रता-एकता की सत्ता का शक्तिशाली अनुभव सबको कराना है… सदा अपने को विश्व-स्टेज पर समझना है, सब हमें फोलो करते, और हम बाप को फॉलो करते

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान-सूर्य से शक्ति और ज्ञान-चन्द्रमा से शीतलता का अनुभव करते… सदा बाबा में लवलीन रह, हर संकल्प-बोल-कर्म द्बारा सब को बाबा से जुड़ातेे… सब को शीतलता की राहत प्रदान करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The importance of seva! | Avyakt Murli Churnings 06-10-2019

The importance of seva! | Avyakt Murli Churnings 06-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमें बाबा से लगन होने कारण, उनकी सेवा में भी खूब लगन-उमंग-उत्साह है… इसलिए अपना तन-मन-धन-समय सब सफल-जमा कर रहे हैं:

  • तन सेवा में लगाने से… 21 जन्म निरोगी काया मिलती
  • नैन-चेहरे से सदा अतीन्द्रिय सुख-शान्ति झलकती
  • मन को सदा शान्त रख, शुभ भावना-कामना द्बारा शान्ति की किरणें चारों और वायुमण्डल में फैलाने से… सदा मन शान्त रहता, हमारे ज़द मूर्तियों से भी शान्ति का दान सबको मिलता रहता
  • धन सेवा में लगाने से… 21 जन्म सम्पन्न राज्य-भाग्य प्राप्त करते, बाकी 63 जन्म भी मांगने से परे रहते
  • समय सेवा में लगाने से… सृष्टि के सतोप्रधान समय सतयुग में पहले-पहले आते, श्रीकृष्ण के साथ पढ़ेंगे-खेलेंगे

तो अभी सम्पूर्ण-सफल कर सम्पूर्ण-भाग्य प्राप्त करना है… जबकि हम ब्राह्मण बने हैं, भोलेनाथ बाबा एक का पद्म-गुणा दे रहे

2. हम कोर्टों में सो कोई विशेष आत्माएं है, इसी भाग्य की स्मृति द्बारा खुशी में ऊपर उड़ते रहना है… तो फरिश्ता बन जाएंगे, सदा बाबा के साथ रहने वाले स्वच्छ

3. हम एक स्नेह के सूत्र में बंधे हुए, बाबा की माला के मणके है… एक बाबा की लगन में मगन रहने से, विघ्न-विनाशक रत्न बनते… बाबा हमारी विशेषताओं का सदा गुणगान करते रहते

4. सदा समर्थ बन उड़ती कला में उड़ते-उड़ाते रहना है… उमंग-उत्साह से सबकी आशीर्वाद मिलती, जिससे और आगे बढ़ते रहते

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा एक बाबा की लगन द्बारा समर्थ उमंग-उत्साह सम्पन्न बन… अपने तन-मन-धन को ईश्वरीय सेवा में सफल करते, सर्वश्रेष्ठ भाग्य प्राप्त करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The most fortunate birth! | Avyakt Murli Churnings 29-09-2019

The most fortunate birth! | Avyakt Murli Churnings 29-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. भोलेनाथ भोला-भण्डारी बाबा हम स्नेही-सहयोगी-सहजयोगी… बालक सो सर्व ख़ज़ानों के मालिक (अभी सो भविष्य 21 जन्मों के लिए) को देख हर्षित-बढ़ाईयां देते… हम भी सदा सम्पन्न, मिलन-मौज में, हर श्वास में खुशी का साज अनुभव करते रहते

2. बाबा के अवतरित होते ही, ब्रह्मा-बाप सो हम ब्रह्माणों का जन्म हो जाता… इसलिए समान-combined बनना हमारे लिए सहज है (बाप-दादा ओर ब्रह्मा-कुमार, नाम भी combined है)

3. स्वयं भगवान-भाग्यविधाता के साथ हमारा भाग्य है (वेला सर्वश्रेष्ठ है, स्वयं भगवान की अवतरण-वेला… और राशि भी मिलती, ब्रह्मा-ब्राह्मण!)

4. सदा अपने को अवतार (विश्व परिवर्तन-कल्याण के निमित्त), दिव्य-जीवनधारी अनुभव करना है… हम डबल-हीरो है (हीरो-पार्टधारी, और हीरे-तुल्य जीवन वाले, जिनकी ओर सब देख रहे)

5. बाबा हमें दो विशेष सौगात देते… हम बाबा के नूरे रत्न, सदा बाबा के नैनों के स्नेह में समाए हुए बिन्दु है… और सदा बाबा के हाथ (आशीर्वाद का) और साथ (सहयोग) है

दादियों से

बाबा के स्नेह की भुजाओं में समाए रहने से, मायाजीत रहते… बाबा सदा:

  • बच्चों को अपने विश्व-घर की रौनक के रूप में देखते
  • हमारी गुण-विशेषताओं की माला सदा जपते रहते (बाबा भी नौधा-भक्त है, और फल हमें देते!)
  • याद का respond देते
  • हमारी विशेषताओं की खुशबू लेते

हम आदि रत्नों की बहुत वैल्यू है… हम सबके लिए विघ्न-विनाशक है

सम्मेलन वालों से

हम बाबा के घर में आए हुए बच्चें-अधिकारी, भाग्यवान-महान है (मेहमान नहीं)… अभी सिर्फ दृढ़ता से बाबा की याद द्बारा साथ रहना है, तो हर कार्य सहज-सफल रहेगा… अनुभव प्राप्त करते-बांटते रहेंगे, तो और बढ़ता रहेगा

सार (चिन्तन)

जबकि हमारा जन्म ही सर्वश्रेष्ठ, बाबा के साथ है… तो सदा स्नेही-सहयोगी-सहजयोगी (बाबा से combined) सर्व खजा़ने-खुशी-मौज से सम्पन्न बन… अपने को हीरा-अवतार समझ, सब के विघ्न को समाप्त करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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स्वराज्य अधिकारी राजाओं की दरबार | The gathering of self-sovereign emperors! | Avyakt Murli Churnings 22-09-2019

स्वराज्य अधिकारी राजाओं की दरबार | The gathering of self-sovereign emperors! | Avyakt Murli Churnings 22-09-2019

गीत: मस्तक सिंहासन पर…

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. बाबा हम स्वराज्य-अधिकारी योगी-योग्य, स्वमान-निर्माण वाली आत्माओं की दरबार देख रहे… जो है:

  • दिव्य तिलक-धारी
  • पवित्रता के ताज-धारी… जिसमें सर्व विशेषताओं की मणियां चमक रही
  • सर्व गुणों की माला पहने
  • श्रेष्ठ स्थिति के सिंहासन पर
  • 10 दास-दासीयां सहित (5 तत्व वा 5 विकार, जो दुश्मन से परिवर्तन हो सेवाधारी बन गए)

2. सतयुग में 5 तत्व भी सेवा करेंगे:

  • सूर्य की अग्नि… भोजन बनाने वाली भण्डारी बनेंगी
  • वायु… पंखे का काम करेंगा… और जिससे वृक्ष भी भिन्न-भिन्न साज़ों से मनोरंजन करेंगा
  • आकाश… बेहद का highway बन जाएंगा (पुष्पक-विमान के लिए)… कोई एक्सीडेंट नहीं होंगे
  • जल… इत्र-फुलेल का काम करेंगा… जड़ी-बूटियाँ से सुगंधित
  • धरती… श्रेष्ठ फल देंगी (फलों में ही मिठास-नमकीन होगा… जैसे टमाटर में खटाश)
  • श्रेष्ठ सीन-scenery होंगी

3. तो अभी 5 विकारों को परिवर्तन करना है:

  • काम को शुभ-कामना में परिवर्तन
  • क्रोध अग्नि को योग-अग्नि
  • लोभ को शुभ-चाहना… मैं भी बाप-समान संकल्प-बोल-कर्म से निःस्वार्थ बेहद सेवाधारी बनूँ
  • मोह बाबा से… फिर हमारे संकल्प-बोल में बाबा ही दिखेगा
  • अभिमान को देही-अभिमानी

तो अभी दृढ़ता से विकारों को अंतिम विदाई देनी है… अंश को भी योग-अग्नि में जलाकर भस्म करना… फिर राख को भी ज्ञान-सागर में डुबो देना

कुमारीयों से

श्रेष्ठ कुमारी अर्थात विश्व-कल्याणकारी, सम्बंध-नोकरी के बंधन से न्यारी, बाप की प्यारी… खुद judge कर फैसला करना है, खुद के उमंग से सहज आगे बढ़ते, समस्याएं भी छोटी लगती… अपने भाग्य को बढ़ाकर, सेवाधारी का भी भाग्य प्राप्त करना है

सेवाधारी अर्थात!

1. सेवाधारी अर्थात सदा याद-सेवा-जीवन-युग की मोजों में रहने वाले… जिससे:

  • तन-मन सदा स्वस्थ रहता
  • मन सदा खुशी में नाचता रहता
  • हमें देख सब मूंज से मौज में आ जाएंगे

2. सेवाधारी अर्थात सदा सफलता-स्वरुप… सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसी निश्चय-नशे से विजय प्राप्त करते रहना है

और पॉइंट

निरंतर बाबा के स्नेह में समाए रहना है… संगमयुग में वियोग हो नहीं सकता, सिर्फ मिलन की रेखा बदल सकती (व्यक्त-अव्यक्त)

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… विकारों को परिवर्तन कर, सदा स्वराज्य अधिकारी (ताज-तख्त-तिलक-माला धारी) बन, बाबा के स्नेह में समाए रह … सदा मोजों की जीवन अनुभव करते, विश्व कल्याणकारी बनते, सतयुग का सर्वश्रेष्ठ भाग्य प्राप्त करते-कराते रहे… ओम् शान्ति!


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The beauty of Mansa Seva! | Avyakt Murli Churnings 15-09-2019

The beauty of Mansa Seva! | Avyakt Murli Churnings 15-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज सर्वशक्तिमान बाबा अपनी रूहानी शक्ति-सेना की 3 शक्तियां देख रहे, मन्सा-वाचा-कर्मणा… तीनों सम्पन्न हो तब कहेंगे विजयी, विश्व सेवाधारी, विश्व राज्य-अधिकारी

2. मन्सा सेवा:

  • से शुभ भावना-कामना द्बारा दूर बैठी आत्मा को भी प्राप्ति करा कर अचल-हिम्मतवान, समर्थ भाव-स्वभाव वाला, बाबा के समीप, भाग्यवान बना सकते… इसके लिए खुद की मन्सा को श्रेष्ठ-निःस्वार्थ-परोपकारी-प्रेरणादायी बनाना है
  • वायरलेस सेट है… जिससे दूर से भी बाबा का बनने का उमंग-उत्साह, महान शक्ति, अनमोल प्रेरणा दे सकते
  • अन्तर्मुखी-यान है… जिससे बिना ख़र्चे डबल-लाइट बन, चरित्रवान बनने की प्रेरणा दे सकते
  • उड़न तश्तरी समान लाइट दिखेंगे… सबकी नज़र धरती के सितारों पर आएंगी

कुमारों प्रति

1. अब ब्रह्माकुमार से शक्तिशाली-विजयी-समीप कुमार बनना है… माया के भी नॉलेजफुल (दूर से ही उसको भगा सके, नहीं तो समय जाता, कमजोरी के संस्कार बनते)… ऎसे नॉलेजफुल ही पावरफुल है (शस्त्र-समान)… सदा प्राप्तियों के अनुभव में, सदा खुश

2. हम स्वतंत्र-हल्के है, तो पुरुषार्थ में तीव्र-गति होने चाहिए… कल्याणकारी अर्थात संकल्प-स्वप्न में भी कल्याण भाव… संकल्प-कर्म समान

अन्य पॉइंट्स

1. सम्मेलन अर्थात सम-मिलन, सब को आप-समान निश्चयबुद्धि बनाना है… इसलिए सदा दृष्टि-सम्बन्ध-वायुमणडल में मास्टर दाता की स्मृति हो… सबको कुछ न कुछ देना है, बाबा पर रिगार्ड बिठाना है

2. वैसे तो संगम का हर दिन शुभ-श्रेष्ठ उमंग-उत्साह सम्पन्न है… फिर भी आज को विशेष वरदान है, हर संकल्प (बोल-कर्म) मंगलम्-सफल हो, अर्थात शुभ-चिन्तन शुभ-भावना खुशी से भरपूर हो… हर पल बाबा का यादप्यार लेना अर्थात, हर संकल्प-बोल में उसके प्यार में लहराते रहना

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा तीव्र-पुरूषार्थ द्बारा शक्तिशाली-विजयी सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश बन… कल्याणकारी, मास्टर दाता बन, सब को मन्सा द्बारा शक्तिशाली-समीप-भाग्यवान बनाते, श्रेष्ठ प्रेरणाएं देते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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