The gift of divine eyes! | दिव्य नेत्र | Avyakt Murli Churnings 08-09-2019

The gift of divine eyes! | दिव्य नेत्र | Avyakt Murli Churnings 08-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

आज त्रिकालदर्शी बाप अपने त्रिनेत्री बच्चों का तीसरा नेत्र कितना स्पष्ट-शक्तिशाली है, वह देख रहे… बाबा ने 100% शक्तिशाली दिया है, हम यथाशक्ति प्रयोग करते… अब श्रीमत की दावा द्बारा फिर से 100% शक्तिशाली दिव्य-नेत्र बनाना है… यह दिव्य-नेत्र है:

  • दूरबीन… जिससे तीनों लोकों-कालों को स्पष्ट अनुभव कर सकते, अपना देवता-पूज्य-फ़रिश्ता स्वरूप सब
  • यंत्र… जिससे यथार्थ आत्मिक-स्वरूप और आत्मा के दिव्य गुण ही दिखते… यंत्र ठीक नहीं, तो ही काले अवगुण दिखते
  • टी.वी… जिससे हमारी पूरी 21 जन्मों की फिल्म, ताज-तख्त-तिलक, राज्य के नजा़रे देख सकते

सदा दिव्य-नेत्र से देखने (वा दिव्य-बुद्धि से सोचने) सेे complaint समाप्त, complete बन जाएँगे… अभी दिव्य प्राप्तियों से सम्पन्न-समर्थ बनना है

पार्टियों से

1. हम सर्व सम्बन्धों के स्नेह में समाए रहने वाली गोपिकाएं है, इसलिए सहजयोगी निरन्तर-योगी है, यही संगमयुग का अनुभव विशेष वरदान है… सम्बंध निभाते, उस शक्ति से निरन्तर लगन में रहना

2. ऊंची स्थिति में रहने से विघ्नों का प्रभाव नहीं पड़ता (जैसे स्पेस में धरती का आकर्षण नहीं)…स्नेह emerge कर मोहब्बत में रहने से मेहनत से छूट जाएँगे, शक्तिशाली रहेंगे

चुने हुए महावाक्य

1. शुभ चिन्तक बनने से सब स्वतः स्नेही-सहयोगी-समीप सम्बंध में आते, उन्हों भी सेवा का बल मिलता

2. अभी हमें माइट बन सबको माइक बनाना है (उनके अनुभव बाबा को प्रत्यक्ष करेंगे), औरों की भी एनर्जी ईश्वरीय कार्य में लगानी है… अब वारिस बनाने की सेवा करनी है, हम विश्व कल्याणकारी है, बाबा के हाथो में हाथ

3. बड़ी दिल से सेवा करनी-करानी है, संकुचित दिल नहीं रखना किसी के प्रति… बड़ी दिल से मिट्टी भी सोना, कमझोर से शक्तिशाली, असंभव भी सम्भव होता… सहयोगी भी धीरे-धीरे सहजयोगी बन जाएँगे

सार (चिन्तन)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा दिव्य-बुद्धि से सोचते और दिव्य-नेत्र से देखते, सदा अपने श्रेष्ठ देवता-फ़रिश्ता स्वरूप अनुभव करते, बाबा के प्यार में डूबे रह… सदा श्रेष्ठ-ऊँची स्थिति का अनुभव करते, सबको सेवा में सहयोगी-सहजयोगी बनाते, सतयुग बनाए चले… ओम् शान्ति!


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The gift of divine intellect! | Avyakt Murli Churnings 01-09-2019

The gift of divine intellect! | Avyakt Murli Churnings 01-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

दिव्य-बुद्धि की लिफ्ट!

आज विश्व-रचता बाप अपने जहान के नूर (रोशनी) बच्चों को देख रहे, एसे श्रेष्ठ बच्चे ही गायन-पूजन योग्य-विश्व अधिकारी बनते… बाबा ने हमें जन्मते ही दिव्य-बुद्धि और दिव्य-नेत्र का वरदान-गिफ्ट-सौगातें दि है:

  • दिव्य-बुद्धि लिफ्ट का काम करती (सेकण्ड में संकल्प किया, और ऊंची स्थिति बनी)… सिर्फ माया की छाया से बचे रहना है (जो लिफ्ट को अत्काकर परेशान करती)
  • दिव्य-बुद्धि रूपी विमान में श्रीमत का रिफाइन साधन (पेट्रोल) डालने से सहज उडेंगे… मनमत-परमत के कीचड़ से बचे रहना है

पार्टीयों से मुलाकात

1. सफलता-स्वरूप बनना और सबको सफलता की चाबी देना… इससे सब की आशीर्वाद मिलता, आगे बढ़ते

2. हमारी दृष्टि बदलने से सृष्टि बदल गई है, अब बाबा ही सृष्टि है, हर संकल्प-सेकण्ड साथ है… जिस कारण लौकिक में भी अलौकिक-शक्तिशाली-बेफिक्र बन गए (सोचने का काम भी बाबा करता)

ईश्वरीय स्नेह-सहयोग

1. जब पहले स्वयं की कर्मेंद्रीयां को स्नेही-सहयोगी बनाएंगे, तब ही साथियों पर भी प्रभाव होगा… सदा बाबा के कार्य में सहयोगी बनना है, माया से किनारा 

2. ईश्वरीय स्नेह-सहयोग-शुभ भावना-कामना सबको एक सूत्र में बाँधता, सहजयोगी बनाता, सहज परिवर्तन कराता… एकता का शक्तिशाली कीला बनता 

3. अब सभी सामने से सहयोगी बनेंगे (जिसका बाबा पद्म-गुणा रिटर्न देते), हमें ऎसा खुशी-सद्भावना-सहयोग का शक्तिशाली बाण बनना है 

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा दिव्य-बुद्धि की godly गिफ्ट को स्मृति में रख, बाबा को अपनी सृष्टि बनाते सदा उड़ती कला (शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति) का अनुभव करते… जहान का नूर बन, सबको प्रकाशित करते, ईश्वरीय स्नेह-सहयोगी-सहजयोगी बनाते, जहान को सतयुगी बनाते रह… ओम् शान्ति! 


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The powerful day! | समर्थ दिवस | Avyakt Murli Churnings 25-08-2019

The powerful day! | समर्थ दिवस | Avyakt Murli Churnings 25-08-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. आज समर्थ दिवस पर, समर्थ बाप हम शिव-शक्तियों को समान-समर्थ भव के वरदान द्बारा विजयी बनाए, स्टेज पर प्रत्यक्ष कर रहे… यह दिन है स्नेह-स्वरूप को नयनों में समाने का, अविनाशी मिलन का वरदान प्राप्त करने का… अमृतवेले से स्नेह-महिमा-मिलन-लगन की मालाएं बाबा को मिल रही, बाबा भी हम सहज योगीयों को समय की समीपता का आश्वासन दे रहे

2. य़ह दिवस है स्नेह-सेवा के दृढ़ संकल्प से सहज सफलता पाने का दिन… प्रतीज्ञा की प्रत्यक्षता अवश्य होती, बाबा हमें बढ़ाई भी देते, सिर्फ इसे रोज़ उमंग-उत्साह से revise करना है… ट्रेफिक कंट्रोल द्बारा चेकिंग तीव्र, और याद की स्थिति को लंबी करते रहना है

3. स्नेह को स्नेह का रिटर्न अवश्य मिलता, लेकिन साथ में पढ़ाई-सेवा द्बारा राज्य-अधिकारी भी बनना है… थोड़ी सी हिम्मत-उमंग चाहिए, बाबा की मदद-सहयोग है ही

पार्टियों से मुलाकात 

1. हम लाइट सो फास्ट-फर्स्ट के शक्तिशाली उमंग-उत्साह वालों को, बाबा डबल लाइट का वरदान दे उड़ती कला में लते… सिर्फ स्वयं को निमित्त समझ हल्के रहना है

2. यह दिन (समर्थ) और वरदान (समर्थ भव) की स्मृति से… सदा समर्थी-हिम्मत-उत्साह से भरपूर रहेंगे

चिन्तन (सार)

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को समर्थ-समान भव की वरदानी आत्मा शिव-शक्ति समझ… बाबा के स्नेह में डूबे, दृढ़ प्रतीज्ञा द्बारा स्वयं को परिवर्तन कर प्रत्यक्षता लाते सदा डबल लाइट रह… सबकी सुन्दर सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Pulling our line of fortune long! | पद्मापद्म भाग्यशाली बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 18-08-2019

पद्मा

1. आज बीजरूप बाबा अपनी सर्व शक्तियां लेने वाले, सारे वृक्ष की आधार-मूर्त आत्माओं को देख रहे… संगमयुग पर स्वयं भगवान् ने हमें भाग्य लिखने की कलम दी है, बेहद-सर्व प्राप्तियों का भण्डार खुला है, जितना चाहे ले सकते

2. अब भी तू-लेट नहीं हुआ, बाबा हमें बाप-सतगुरू के रूप में वरदानों से भरपूर कर रहे (हिम्मत से मदद मिलती है), अलबेले नहीं बनना… फिर बाबा को साक्षी होना पड़ेगा, इसलिए भगवान्-भाग्य दो शब्द याद रख पद्मापद्म भाग्यवान बनना है…

3. बाबा अपने साथ-सहयोग-वरदान-वर्सा द्बारा हमें हिम्मत-पंख दे:

  • मजबूत करते, तो मजबूर नहीं होना है
  • मोजों के युग में मुँजना नहीं है
  • के-के, गे-गे के गीत के बनाए ‘पा लिया” का गीत गाना गई

पार्टियों से मुलाकात

1. हमें नया-अलौकिक जन्म-जीवन-बाप-वर्सा मिला है, तो पुराना-पन को याद (बॉर्डर क्रॉस) नहीं करना है… अभी बिजनेस-मैन बन हर कदम में पदमों की कमाई जमा कर, आगे से आगे बढ़ते रहना है

2. डबल लाइट फ़रिश्ता अर्थात सदा उड़ती कला, ऊँची स्थिति में… माया-धरणि के आकर्षण से ऊपर, सदा विजयी-निश्चिंत

3. सहज-स्वतः-निरन्तर-कर्म योगी अर्थात सर्व सम्बन्धों से बाबा को अपना बनाने वाले (तो और कहीं याद जा नहीं सकती)…

4. बाबा याद रहने से प्राप्तियां-शक्तिशाली होते, और वर्सा याद रहने से खुशी होती (खुशी ही जीवन है)

5. कुमार अर्थात श्रेष्ठ-रूहानी-शक्तिशाली, जो चाहे कर सकते… लडा़ई-दुःख-धोखे से परे रहते, औरों को भी बचाने वाले, निमित-शक्तिशाली सेवाधारी

6. हम मास्टर-सर्वशक्तिमान स्वराज्य-अधिकारों है, अधीन होने वाले नहीं (व्यक्ति-वैभव से)… इसी स्मृति से सदा मायाजीत-विजयी रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… भगवान्-भाग्य दो शब्द स्मृति में रख, भगवान् से सर्व प्राप्ति-खजा़नों से सम्पन्न बन अपने भाग्य को सर्वश्रेष्ठ बनाते… सदा मौज में ऊँची स्थिति में स्थित रह, सबको श्रेष्ठ बनाते, हर कदम पर पदमों की कमाई जमा करते-कराते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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Becoming a pure thinker! | Avyakt Murli Churnings 11-08-2019

Becoming a pure thinker! | Avyakt Murli Churnings 11-08-2019

स्व-चिन्तन, शुभ-चिन्तन से बनते शुभ-चिन्तक!

  • स्व-चिन्तन अर्थात… अपने आदि-अनादि स्वरूप के स्मृति-स्वरूप बनना… कमझोरी का चिन्तन नहीं
  • शुभ-चिन्तन अर्थात… ज्ञान के राज को जान, सदा उसके मनन-खेलने-अनुभवों से भरपूर रहना… व्यर्थ के लिए समय-स्थान ही नहीं
  • शुभ-चिन्तक… जिनके स्वयं के संकल्प-स्वभाव-संस्कार शुभ है, उनकी औरों के प्रति दृष्टि-वृत्ति स्वतः शुभ रहती… अशुभ-घृृणा नहीं

शुभ-चिन्तक अर्थात:

  • कमझोर को उमंग-उत्साह-शक्ति के शुभ भावना-कामना का सहयोग देना, भरपूर करना
  • नाउम्मीद को उम्मीदवार बनना
  • दिलशिकश को दिलखुश
  • गिरे को पंख दे उड़ाना
  • कमझोरी न देख विशेषताओं की समर्थी भरते
  • अपने खजानों को सेवा में लगाने वाले नम्बर-वन सच्चे सेवाधारी

माताओं से

1. भगवान् ने हमें अपना बनाकर, चरणों की दासी से सिरताज, चार दिवारों के बीच से विश्व का मालिक, खाली से भरपूर किया है… ऎसे सदा खुश मायाजीत बनना हैै… सदा बाबा के संग में रंगे नष्टोमोहा

2. सबसे बड़ा पुण्य है अपने खजानें-शक्ति को औरों के प्रति दान करना, जितना देते उतना बढ़ता, सदा काल का जमा होता … इसी उमंग से सेवा में आगे बढ़ते, सेवा का गोल्डन चान्स लेने वाले चांसलर बनना है

और पॉइंट्स

1. बाबा अपने स्नेही बच्चों को बहुत स्नेह-सहयोग-याद-प्यार देते… बाबा से मिले हुए स्नेह के स्वरूप बन सेवा करने से, सब बाबा के स्नेही बनेंगे, स्नेह ही आकर्षित करता

2. सबसे बङा भाग्य है स्वयं भाग्यविधाता ने अपना बना लिया, हम लक्की सितारे है… औरों का भी दीप जगाकर दीपमाला-राजतिलक मनाना है

3. नम्रचित्त-निर्माण-गुणग्राही बनने से सहज सिद्ध होंगे… जिद्द करने से प्रसिद्ध नहीं होंगे

4. स्वयं-दूसरों के प्रश्नों से परे रह, सब को देते रहने से… प्रशंसा-योग्य बनेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने सर्वश्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख, अपने आदि-अनादि स्वरूप का स्व-चिन्तन करते, ज्ञान रत्नों के शुभ-चिन्तन से भरपूर बन, सबका कल्याण करने वाले शुभ-चिन्तक निर्माण बन, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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Becoming a shining example through our illustrious fortune! | Avyakt Murli Churnings 04-08-2019

Becoming a shining example through our illustrious fortune! | Avyakt Murli Churnings 04-08-2019

1. बाप का बनना अर्थात भाग्यवान बनना (भाग्य की लकीर लम्बी-श्रेष्ठ), अब सिर्फ इस भाग्य का अनुभव-खुशी-नशा चाहिए (जो चेहरे-चलन में दिखता)… हमारी प्राप्तियां अलौकिक-रूहानी-न्यारी-प्यारी है, जो:

  • दूर से ही आकर्षित करती
  • हमारी दृष्टि से रुहानी पर्सनैलिटी दिखती
  • हमारी वृत्ति से प्राप्ति का वायुमण्डल बनता
  • अप्राप्त आत्मा को प्राप्ति-उमंग, दिलशिकस्त को खुशी मिलती

तो इस महान भाग्य के स्मृति-स्वरूप बनना है

2. मधुबन अर्थात:

  • मधु (मधुर बनना-बनाना, हमारे बोल मोती जैसे हो, जिससे सबको प्रेरणा मिले, टेप करे)
  • बन (बेहद की वैराग्य वृत्ति, सबकुछ होते हुए भी, तब ही प्रेरणा मिलती)

इन दोनों के बैलेंस से, सदा आगे बढ़ते रहना है… हमारे उमंग का प्रभाव सब जगह पढता

3. जो हमने उमंग-उत्साह का संकल्प किया है, उसमे दृढ़ता भरने रोज उस संकल्प को दोहराना है, बाबा के सामने… तो वह सहज जीवन में आते, सफलता मिलती रहेंगी

4. ऎसा विशेषता-सम्पन्न ग्रुप बनाना है (ज्ञान, याद, शक्ति का), जिससे सबको प्रत्यक्ष प्रमाण-प्रूफ मिले, वाइब्रेशन फैले… इससे बोल से कई गुणा अधिक सेवा होती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… भगवान् का बनने के सर्वश्रेष्ठ भाग्य के स्मृति-स्वरूप बन, सदा अपने चेहरे-चलन-दृष्टि-वृत्ती से अपने श्रेष्ठ भाग्य का अनुभव करते-कराते… मधुरता-वैराग्य के बैलेंस से हर पल आगे बढ़ते, सबके लिए प्रत्यक्ष प्रमाण बन, सबको आगे बढ़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming Karmateet! | Avyakt Murli Churnings 18-12-87

Becoming Karmateet! | Avyakt Murli Churnings 18-12-87

1. बाबा देख रहे… हम कहाँ तक विदेही-कर्मातीत, बाप के समीप-समान बने हैं (तब ही साथ जा सकते)

2. कर्मातीत अर्थात:

  • कर्म में आते भी कर्म-बन्धन से न्यारे… कर्म के फल के वशीभूत-परवश-भटकते नहीं, लेकिन अथार्टी-मालिक कामना-मुक्त हो कर्मेंद्रीयां द्बारा कर्म कराने वाले… कर्मेंद्रीयों की आकर्षण आकर्षित न करे, सदा स्वराज्य अधिकारी (आंखों का उदाहरण)
  • देह-पदार्थ-सम्बन्ध के बन्धन से अतीत-न्यारे… अधीन होने से ही परेशान-दुःखी-उदास होते, सबकुछ होते भी खाली मेहसूस करते, चाहिए-चाहिए के कारण असन्तुष्ट, नाराज अर्थात राज को न जानने वाले… अधिकारी अर्थात न्यारा-प्यारा
  • पिछले कर्मों के हिसाब-किताब के बन्धन से भी मुक्त (तन का रोग, मन के संस्कार, सम्बन्ध में टक्कर, आदी)… उन्हें भी कर्मयोगी बन मुस्कराते हुए सूली से कांटा कर चूकत-भस्म करते, वर्णन-परेशान-चिल्लाना तो दूर की बात… यह होता
    • अशरीरी बनने से, जिससे देह-भान से परे जाते (बेहोशी के injection जैसे)
    • फोलो फादर-आज्ञाकारी बनने से दिल की दुआएँ प्राप्त करने से

3. यदि हिसाब-किताब से वा ड्रामा में कुछ नुकसान जैसी बातें आती… फिर भी धैर्यवत-अन्तर्मुखी हो देखने से उसमे भी फायदा दिखता… हम ऎसे फायदा देखने वाले होली-हंस है

4. साधारण आत्मा परिस्थिति में क्या-क्यों के चक्कर में आती… कर्मातीत आत्मा के लिए सबकुछ अच्छा होता (स्वयं-बाप-ड्रामा सब)… यह कैंची का कार्य करता, जो कर्मबन्धन कांटता… संगम की हर सेकण्ड कल्याणकारी है,

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को देह में रहते विदेही आत्मा समझ, मालिक-अधिकारी बन कर्मेन्द्रियों का प्रयोग करते रहे… अशरीरी-पन वा फालो फादर के बल से सब परिस्थितियों में फायदा-कल्याण देखते… सबके लिए श्रेष्ठ उदाहरण बनते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being a great donor! | Avyakt Murli Churnings 28-07-2019

Being a great donor! | Avyakt Murli Churnings 28-07-2019

1. विधाता बाप आए है देखने कि हम मास्टर विधाता कहां तक ज्ञान, गुण (स्नेह-सहयोग, संग-सम्पर्क), शक्तियों (दृष्टि, बल देना) के विधाता बने हैं… एक बाबा से लेना और सबको हर समय-संकल्प से देना बस… ऎसे सदा सम्पन्न-पालनहार-राजवंशी सदा निःस्वार्थ, रिगार्ड का रिकॉर्ड ठीक रह, सब महान दृष्टि से देखेंगे

2. यही समय की पुकार है, अब हद की (नाम-मन-शान-स्नेह-शक्ति-रिगार्ड की) स्वार्थ-इच्छाओं से परे इच्छा-मात्रम-अविद्या सदा-सन्तुष्ट रहना है, तो इच्छाएँ परछाई समान पीछे आएँगे, जितना देंगे उतना स्वयं में बढ़ता रहेगा, प्रकृति भी देगी… हमारा नाम ही है शान्ति-सम्पत्ति देवा, वा देवता

त्रिवेणी संगम!

महाराष्ट्र अर्थात सदा सम्पन्न, महान दाता… UP अर्थात सदा प्राप्ति-स्वरूप, पतित-पावनी… डबल विदेशी सदा डबल नशे में रहने वाले (याद-सेवा का), स्वप्न में भी बाबा के गीत गाने वाले… सभी अल्लाह के स्थान में पहुँचे हैं

सेवाधारी अर्थात

1. सेवाधारी अर्थात त्याग-तपस्या द्बारा खुद भी उन्नति-शक्तिशाली बनते औरों को भी बनाते, पहले फायदा तो खुद को ही होता… सेवा में बिजी रहने से स्वतः मायाजीत-विजयी रहेंगे… सेवा का मेवा-विटामिन्स से सदा तन्दरूस्त रहेंगे

2. सेवाधारी अर्थात सदा सेवा के निमित्त, बाबा करावनहार है… तो सदा न्यारे-प्यारे, आगे बढ़ते-बढ़ाते, उड़ने वाले… सिर्फ बोलने वाले नहीं, लेकिन करने वाले, विघ्न विनाशक

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा से ज्ञान-गुण-शक्तियों के खज़ाने से सम्पन्न बन, सब को फ्राकदिल-निमित्त बन देते रहें… तो सदा भरपूर रहते-करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The most invaluable gift! | Avyakt Murli Churnings 21-07-2019

The most invaluable gift! | Avyakt Murli Churnings 21-07-2019

1. बाबा को अनेक स्नेह-दिल की सौगातें मिली (नये साल की)… जो अटूट स्नेह-सम्बन्ध से दी, उनकी वैल्यू सबसे ज्यादा… तीन बातें चेक करनी है:

  • स्नेह:
    • 1. बाबा के अनुभव में डूबा स्नेह, आदि से अखण्ड रहा?
    • 2. सच्ची दिल का स्नेह, वा स्वार्थ-वश?
    • 3. दिखावे का, वा जिगरी स्नेह?
  • सम्बन्ध:
    • 1. सर्व सम्बन्ध है? (बाबा पौत्रा-ढोत्रा भी है!)
    • 2. पर्सेंटेज कितनी है?
    • 3. सदा रस अनुभव करते, वा कभी-कभी?
  • सेवा:
    • 1. मन-वचन-कर्म, तन-मन-धन से सेवा की?
    • 2. पूरी या यथाशक्ति?
    • 3. सर्व खज़ाने (ज्ञान-संकल्प, गुण-खुशी, शक्ति-समय) सफल किए?
    • 4. दिल से वा ड्यूटी प्रमाण?

तो स्वयं को चेक-चेंज कर, सबसे मूल्यवान सौगात बाबा को देनी है

2. हम मधुबन के चमकते श्रृंगार है… हमारी सेवा का लक्ष्य है सबको बाबा का स्नेह-सम्बन्ध अनुभव (अपने सूरत-नयन द्बारा) कराकर परवाने बनाना… आगे सब समझेंगे यही है

3. टीचर अर्थात सदा (और सर्व) खज़ाने से भरपूर-सम्पन्न तब ही औरों की सेवा कर सकते… याद-सेवा के बैलेंस द्बारा blessings प्राप्त करते रहना है, बाबा के साथ के अनुभव की अथॉरिटी बन

4. बाप का बनना अर्थात भाग्य का सितारा चमकना, अभी संकल्प में भी दूसरा सौदा नहीं कर सकते… इसके लिए पढ़ाई-सेवा के संग में रहना है, तो पक्के हो जाएंगे 

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रख, अपनी बाबा प्रति स्नेह-सम्बन्ध-सेवा को सर्वोत्तम करतेसर्व खज़ाने से भरपूर-सम्पन्न बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a light-house full of newness! | Avyakt Murli Churnings 14-07-2019

Becoming a light-house full of newness! | Avyakt Murli Churnings 14-07-2019

नवीनता की बढ़ाई!

1. बाबा ने हमें नया ज्ञान-जीवन-युग देकर, पुरानी बातें-स्मृति-वृत्ति-संस्कार से परे स्वराज्य अधिकारी बना दिया है… बाप के साथ-समान-दिलतख्तनशीन बनने के वरदान दिये है, जिससे पुराने-पन को विदाई दे नये की बढ़ाई ले सकते (नये युग-संसार-सम्बन्ध-परिवार की)… वरदाता-विधाता के साथ न्यू ईयर मनाने कारण हम सदा वरदानों-प्राप्तियों से भरपूर एवर-हैप्पी रहते, औरों को भी सुख-शान्ति की किरणें अनुभव हो नई ज्ञान-युग-जीवन की आशा की किरण जागृत करते

2. नये उमंग-उत्साह को कायम रखने, हर संकल्प-कर्म नये हो… अविनाशी-बाप से अविनाशी-प्राप्ति करने का दृढ़-संकल्प सदा कायम रखना है

बाबा का प्यार!

1. जैसे हम बाबा के स्नेह-गीत में लवलीन होते, बाबा भी हमारी विशेषताओं पर आशिक है… हम थोड़ी आत्माओं के प्रति सदा मन में खुशी के गीत गाते… विशेष आत्मा अर्थात हर संकल्प-बोल-कर्म में विशेषता हो, सदा उड़ती कला में उड़ते रहे, विघ्नों से परे, सब को भी आगे बढ़ाते

2. याद में लिए हुए हर कदम में, पद्मों की कमाई करने वाले हम पद्मपद्म भाग्यशाली आत्माएं है, हमारी यह खुशी से औरों को भी प्रेरणा मिलती… याद-सेवा के बैलेंस से सदा सैफ रहते, आगे बढ़ाते, blessings, बाबा की मदद मिलती रहती

प्रत्यक्षता का लाइट-हाउस!

1. पहले स्वयं को प्रत्यक्ष करना है, powerful ज्ञान-योग द्बारा ज्वाला-स्वरूप लाइट-हाउस माइट-हाउस स्थिति बनाकर… अर्थात स्वरूप-स्टेज-सम्बन्ध में हल्कापन-न्यारापन

2. तो इस शान्ति-कुण्ड के पास सब दौडते आएँगे, हमारे नयनों में बाबा की लाइट, लाइट का गोला दिखाई देगा… सबको (प्रकृति-सहित) आशा मिलेंगी, हमारी ओर देखेंगे… Silence से ही प्रत्यक्षता के नगाड़े बजेंगे, बड़े-बड़े हम शक्तियों सो शिव को प्रत्यक्ष करेंगे…

3. powerful वृत्ति-वायुमण्डल-वातावरण बनाने negative से बिल्कुल मुक्त बनना है… तब ही निर्विघ्न-शुभ भावना-कामना-सम्पन्न वातावरण बनेगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हर संकल्प-कर्म में नित-नये बाबा के साथ के अनुभव करते, सदा शक्तिशाली लाइट-हाउस एवर-हैप्पी स्थिति का अनुभव करे… सबको सुख-शान्ति की किरणें अनुभव कराए, आशा जागृत कर, सबके साथ सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएं… ओम् शान्ति!


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