The power of Volcanic Yoga & Truth | ज्वालामुखी योग और सत्यता की शक्ति | Avyakt Murli Churnings 07-07-2019

The power of Volcanic Yoga & Truth | ज्वालामुखी योग और सत्यता की शक्ति | Avyakt Murli Churnings 07-07-2019

सत्यता की शक्ति!

सर्वशक्तिमान बाबा देख रहे, कि राज सत्ता हलचल में है, और ईश्वरीय सत्ता सदा अचल है… क्यूंकि सत-बाप सत-टीचर सतगुरु से सत्यता की शक्ति प्राप्त है, जिससे:

  • सतयुग स्थापन होता
  • अविनाशी वर्सा-पद इस अविनाशी पढ़ाई-वरदान से प्राप्त होता
  • भक्ति में भी गायन-योग्य पूजन-योग्य बनते
  • अज्ञान का अंधकार समाप्त हो जाता
  • प्रकृतिजीत-मायाजीत बनते

सत्यता की शक्ति वाला सदा निर्भय-निश्चिंत (चाहे कैसे भी वातावरण-परिस्थितियां हो) खुशी में नाचता रहता… कैसी भी माया-वायुमण्डल का शेष हो उस पर सदा विजयी-नाचते… शेष को शेया बना देना…

योग की शक्ति!

योगयुक्त रहने से बाबा की छत्रछाया के नीचे सदा सेफ-अचल रहते… और ही शान्ति के वाइब्रेशन फैलाते, असहारे को सहारा देते… ऎसी आवश्यकता पर शान्ति देने से ही प्रत्यक्षता होती

ज्वालामुखी योग की शक्ति!

अब घर जाना है, इस स्मृति से सदा उपराम-साक्षी-साथी-समान रहते… ज्वाला-स्वरूप योग से विकर्म-विनाश पाप-कट हिसाब-किताब चुक्तू हो दिव्य-दर्शनीय-मूर्त बनते… वातावरण शुद्ध हो, निर्बल को बल मिलता… मास्टर सर्वशक्तिवान लाइट-हाउस might-हाउस स्थिति से सबको प्राप्ति होती, आकर्षित होते… योग-अग्नि से हम परिवर्तन हो फ़रिश्ता-देवता बन जाते 

संकल्प को ब्रेक-मोड़ने की शक्ति चाहिए, जिससे एनर्जी बच परख-निर्णय शक्ति बढ़ती… बीच-बीच में 1 मिनट ब्रेक लेने से स्थिति शक्तिशाली-बीजरूप बनती… सबकुछ करते सार-स्वरूप न्यारे-निरन्तर योगी बनते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा के सत्य ज्ञान का स्वरूप बन, शक्तिशाली योगयुक्त शान्ति-प्रेम-आनंद स्थिति का अनुभव करते रहे… सबको सुख-शान्ति की अंचली देते, सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएँ… ओम् शान्ति!


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The easiest path! | Avyakt Murli Churnings 30-06-2019

The easiest path! | Avyakt Murli Churnings 30-06-2019

The easiest path!

1. हम हर संकल्प-कर्म-कदम में बाबा को फोलो करने वाले सच्चे साथी है… इससे हमारा रस्ता सबसे सहज, कदमों में पदमों की कमाई भर जाती… हम बहुत भटके-निराश व-दिलशिकश्त हुए हैं, अभी सिर्फ उसके कदमों पर चलना है, तो वह जिम्मेवार हो जाता

2. सिर्फ हमें अपने को बाबा से verify (अर्थात कॉपी) करना है… जब और रास्ते पर जाते (व्यर्थ संकल्प, कमझोर के, कलियुगी आकर्षण), तब कांटों के जंगल (क्या, क्यू, पुराने संस्कार) में फंसते और चिल्लाते… स्वयं भाग्यविधाता ने हमारे भाग्य की रेखा लम्बी-भरपूर की है, तो हम धोखा नहीं खा सकते… हमें और सहारों का बहुत अनुभव मिला है, अब सदा संकल्प को verify कर बाबा का साथी रहना है

कुमारियां, टीचर अर्थात?

1. अलौकिक कुमारियां अर्थात सदा देही-अभिमानी बन उड़ती, सबको भी ऎसा बनाती, सर्व सम्बन्धों का रस एक बाबा से लेने वाली, एसी निश्चयबुद्धि-विजयी आत्माएं ही गाई-पूजी जाती… हम अपने हर चरित्र-कर्म-बोल-भाषण से बाबा को प्रत्यक्ष करने वाली, कमाल करती

2. हम शान्ति से अपना स्वराज्य लेने वाली सदा right है… स्वप्न में भी संगदोष में न आकर, सदा बाबा के संग रहने वाली… हम ही बाबा के सेन्टर की शान है

3. टीचर अर्थात बाप-समान निमित्त सेवाधारी, सदा न्यारे-प्यारे… तो सहज आगे बढ़ते सफलता को पाते रहेंगे, सिर्फ मैं-पन से बचे रहना है, जिज्ञासू-सेंटर सब बाबा के है

पार्टियों से मुलाकात

1. फ़रिश्ता अर्था देह-दुनिया से कोई रिश्ता नहीं, सर्व रिश्ता-प्यार एक बाबा के साथ… अभी-अभी कर्म में आए, और अभी अभी निर्बंधन, उड़ती कला में ऊपर, जैसे कि लिफ्ट

2. रूह गुलाब अर्थात श्रेष्ठ आत्माएं… सदा रुहानी नशे-सेवा में रहने वाले, सदा रूहानियत की खुशबु फैलाने वाले

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा हर संकल्प में बाबा का साथी फ़रिश्ता बन, सदा श्रेष्ठ स्थिति द्बारा हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाली पद्मापद्म भाग्यशाली बन … सबको को भी रूहानी गुलाब बन उड़ती कला में ले जाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming free from waste! | व्यर्थ समाप्त करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 23-06-2019

Becoming free from waste! | व्यर्थ समाप्त करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 23-06-2019

कल्याणकारी समय!

इसी समय आत्माओं और परमात्मा का मिलन होता, इसलिए यह युग है:

  • महान युग
  • महा मिलन का युग
  • सर्व प्राप्ति का युग
  • असंभव को सम्भव करने का युग
  • श्रेष्ठ अनुभुती का युग
  • विशेष परिवर्तन का युग
  • विश्व कल्याण का युग
  • सहज वरदानों का युग

यह भाग्य सिर्फ हम थोड़ी श्रेष्ठ आत्माओं को मिलता… इसी स्मृति में रह समर्थ अर्थात व्यर्थ से मुक्त बनना है

समर्थ और व्यर्थ का अन्तर!

  • समर्थ संकल्प बाबा से मिलन कराता, मायाजीत बनाता, आत्मिक एनर्जी बढ़ाता, सफलता-मूर्त सेवाधारी बनाता…
  • व्यर्थ नीचे लाता, प्लान-प्रैक्टिकल में महान अन्तर लाता, उमंग-उत्साह कम कर, दिलशिकस्त करता…
  • व्यर्थ हलचल में लाता, समर्थ बहार के समान हरा-भरा बनाता… समर्थ शान में स्थित होता, व्यर्थ परेशान करता 

समर्थ बनने की सहज बिधि!

मुरली का एक-एक महावाकय समर्थ खज़ाना है, इसके चिन्तन से स्वयं को भरपूर-busy रखने से, माया के आने की मार्जिन नहीं… इसलिए मुरली को:

  • सुनना (खुशी से)
  • समाना (चिन्तन से)
  • स्वरूप में लाना (शक्तिशाली बनना, एक second में व्यर्थ को परिवर्तन और शक्तिशाली किरणों द्बारा सब को शक्तिशाली बनाना) 

ग्रुप से मुलाकात!

1. महाराष्ट्र अर्थात हर संकल्प स्वरूप सेवाकर्ममहान, जो किया वह हुआ… पंजाब वाले माया को ललकार कर अपना स्वराज्य स्थापन करने वाले… कर्नाटक वाले भावना का महान फल खाने वाले

2. महान सेवाधारी अर्थात हर संकल्प-सेकण्ड-बोल में हर जगह सेवा समाई हुई हो, इसे कहते स्वतः सेवाधारी… हमारा लिए सदा प्रोग्राम है, हम सदा स्टेज पर है… श्रीमत पर दृृढ़ संकल्प करने से हम सबके लिए example बन गए

3. हम निर्भय है, क्योंकि:

  • बाबा की याद की छत्रछाया के किले में, हम सदा सेफ है 
  • हम निर्वैर है, किसी के लिए वैर नहीं, सब के लिए शुभ भावना, शुभ कामना
  • मेरा बाबा की लगन से, सभी विघ्न पर विजयी, निर्विघ्न है 

4. हम हलचल में भी अचल, विघ्न-विनाशक, खेल समझने वाले, नॉलेजफूल, nothing न्यू का पाठ पक्का करने वाले ईंट है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इस अमूल्य समय पर, सदा मुरली को चिन्तन से स्वयं में समाकर शक्तिशाली निर्विघ्न बन, सदा मेरे बाबा की लगन-छत्रछाया में सेफ रह… हर संकल्प-सेकण्ड स्वतः सेवाधारी महादानी-वरदानी बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95

The personality of purity! | Avyakt Murli Churnings 06-04-95

1. हम सर्व स्नेही बच्चों की सूरत-चेहरे-चलन में रूहानी पर्सनालिटी (प्योरिटी की पर्सनालिटी) दिखाई देती वा अनुभव होती (भल बाहर से साधारण है, और बाकी सब की शरीर-विशेषता-position की पर्सनालिटी है)… हमारी सारे कल्प में सर्वश्रेष्ठ-महान पर्सनालिटी है:

  • अनादि… हमारी चमक सब से न्यारी-प्यारी है
  • आदि… हमारी सबसे श्रेष्ठ पर्सनालिटी है, तन-मन-धन-सम्बन्ध सेे… सुन्दर, सजे हुए, सुख-शान्ति-प्रेम-आनन्द स्वरूप
  • मध्य… हमारी पूजा विधिपूर्वक होती (किसी धर्मात्मा, महात्मा, नेता की ऎसे नहीं होती)… हम कैसे श्रृंगारे जाते!
  • अन्त… हम ब्राह्मण है, जिनकी महिमा कारण आज भी नामधारी ब्राह्मण से श्रेष्ठ कार्य कराते… हमारा नाम शास्त्रों में आता, जिसको सच्चे भक्त कितना विधिपूर्वक संभालते-रखते-पढ़ते, पूज्य समझते

इसलिए सदा अपने श्रेष्ठ प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रखना है, तो समर्थी आएंगी, माया दूर से ही भाग जाएंगी… आए और भागे नहीं, हम सदा ही मायाजीत रहे… ऎसा बहुतकाल का अभ्यास चाहिए, यह अन्त में नहीँ हो पाएगा, इसलिए अभी से स्मृति-स्वरूप बनना है..

2. रूहानी पर्सनालिटी वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न (स्वभाव-संस्कार सम्बन्ध-सम्पर्क सब में सम्पन्न-सन्तुष्ट) होने कारण, उनकी आंखें कहीं डूबेंगी नहीं, औरौं को देखने वा परचिन्तन में

3. प्योरिटी अर्थात सत्यता-स्वच्छता… अर्थात:

  • विधि में थोड़ा भी अन्तर न हो
  • समय-संकल्प जरा भी व्यर्थ न जाएं
  • संकल्प-बोल-कर्म के मालिक होंगे (बोलना नहीँ चाहिए, मुह से निकल गया ऎसे नहीँ होंगा)

इसके लिए चाहिए महीनता से चेकिंग (सूर्यवंशी की निशानी मुरली महीन है, नाचो, गाओ, हंसो, खेलो, और चन्द्रवंशी का तीर-कमान भारी है, निशाना भी लगाना पड़ता)… डायमणड जुबली मनाने के साथ स्वयं भी डायमणड बनना है

4. सेकण्ड में एवर रेडी-अशरीरी होने का अभ्यास करना है… यह अभ्यास कोई भी कर सकते (सिर्फ सेकण्ड लगता, और संबंध-संपर्क में भी करा सकते)… जितना करेंगे, बहुतकाल के प्रालब्ध में एड होगा, बीच-बीच में करने से स्थिति स्वतः शक्तिशाली रहेंगी, छोटी­-छोटी बातों में पुरुषार्थ नहीं करना पड़ेगा … अन्त समय बता कर नहीँ आएँगा, इस अभ्यास से हमें समय की समाप्ति के वाइब्रेशन भी पहले से टच होंगे…

5. हम खुशराजी है, खुला निमन्त्रण मिला है… लंबी लाइन में भी सोंचते, हमारा कितना बेहद का परिवार है… यह मेला भक्ति के मेलों से तो अच्छा है, नवीनता

सार 

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनी सर्वश्रेष्ठ रुहानी प्योरिटी की पर्सनालिटी को स्मृति में रख, समर्थ मायाजीत रहे… महीनता से स्वयं को चेक कर, सम्पूर्ण पवित्र सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… सूर्यवंशी बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Sharing our attainments with all! | Avyakt Murli Churnings 16-06-2019

Sharing our attainments with all! | Avyakt Murli Churnings 16-06-2019

हम दिलखुश बच्चे सदा वाह-वाह के गीत गाते, और दुनिया में सभी दिल के दर्दी है (भिन्न-भिन्न प्रकार से)… इसलिए हमारा फर्ज है मास्टर दुख-हर्ता सुख-स्वरूप बन, अपने स्वराज्य वा सर्व शक्तियों के जमा स्टॉक से सबके भी खाते भरपूर करने है

पार्टियों से मुलाकात

1. सदा अपनी श्रेष्ठ साक्षी-पन की सीट पर सेट रहना है, जिसमें बैठ कर्म करने-देखने में बहुत मज़ा आताा… सदा इसी खुशी में रहना, कि हम ही वह कोटों में कोई आत्माएं है… जो भगवान् के बनते-जानते, सदाकाल की प्राप्ति के अधिकारी, समर्थ बनते

2. सदा एक बाप के बन, उस एक की मत पर चल, एकरस स्थिति बनानी, और परिवार से एक रहना, तो नम्बर-वन बन जाएँगे… कहां भी हो इस एक के मंत्र को याद करने से, एक बाप के साथी बन, माया से बचे रहेंगे 

अधर-कुमारों से मुलाकात

हम प्रवृत्ति में रहते, अलौकिक वृत्ति-दृष्टि रखते, गृहस्थी के बदले ट्रस्टी सदा-सुखी है… सिर्फ मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, न्यारे-प्यारे निर्बंधन हो गए हैं… एक बाबा की लगन से, सर्व प्राप्ति सम्पत होने कारण, विघ्न समाप्त हो हम निर्विघ्न बन जाते, जैसे माखन से बाल 

माताओं से

हम है जगत माता, बेहद सेवा करने वाली… सदा इसी खुशी में रहना है, बाबा ने हमें कितनी श्रेष्ठ पद-भाग्य दिया है, जन्मों की थकावट दूर कर अतिन्द्रीय सुख-खुशी के झूले में झूला दिया है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें कोटों में से चुना है, तो सब मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, उस एक की याद में समाए हुए स्वराज्य अधिकारी, सदा सुखी-दिलखुश सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन… सबको भी शक्तियों का महादान देने वाले जगत माता बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

हमारा सर्वश्रेष्ठ पार्ट

1. हम कमाल-पुष्प समान आत्माएं हलचल में अचल, भय के वातावरण में निर्भय-शक्तिशाली, चिंता में निश्चिंत-बेफिक्र, दुःख में सुख के गीत गाने वाले है… इसलिए शुभ चिंतक बन औरों को भी सुख-शान्ति दिलाते विश्व परिवर्तक बनना है

2. अभी समय है सम्पन्न बन, घर जाने का… इसलिए अभी ही सबके हिसाब-किताब चुक्तू होते, वह भी जन्म-मृत्यु में सबसे ज्यादा, चीटियों जैसे… जो हिसाब-किताब आत्मा को स्वयं चुक्तू करने है (शरीर-दिमाग-भूतों द्बारा) बह धर्मराज भी हो सकते, लेकिन सम्बन्ध-संपर्क वा प्रकृति से चुक्तू होने वाले तो यहां ही होंगे

3. हमें स्वयं को चेक कर हिसाब-किताब चुक्तू कर हल्का हो जाना है… निशानी है हमें अपने स्वभाव-संस्कार संग-वातावरण परवश नहीं कर पाएंगे, हम जितना सोचे उतना कर सकेंगे, उल्टे कर्म नहीँ होंगे… बाबा की छत्रछाया में, दर्दनाक सीन भी खेल अनुभव होते

टीचर अर्थात 

त्याग-तपस्या तो सेवा में समाई हुई ही है, जिससे बिना मेहनत एक सेकण्ड में भरपूर, खान के अधिकारी बनते, जो जन्म जन्म खाते रहेंगे … हम सेवाधारी-शिक्षक को बाप-समान होने का भाग्य मिला है, इसलिए सबको वरदान दे समर्थ बनाते आगे बढ़ाते-उड़ाते रहना है 

हम है प्रकृति-पति आत्माएं! 

1. प्रकृति की हलचल में हमें अचल, ऊंची फ़रिश्ता स्थिति में रहना है, इसके लिए कर्मेंद्रीय-जीत बनना है… जब एसे पूर्वज-पन की स्थिति में स्थित रहते, तब ही 5 विकार-प्रकृति हमारे ऑर्डर पर चलेंगे

2. हमारी पवित्र मन्सा प्रकृति-मनुष्यों को भी परिवर्तन कर सकती, इसलिए संकल्प-बोल-कर्म में मर्यादा का कंगन बांधे रखना है… पेपर समय हाय-हाय के बनाए वाह-वाह करना है, इसलिए देखते हुए न देख, एक सेकण्ड में निराकारी-आकारी-साकारी का अभ्यास करना है… वाह रे मैं, वाह मेरा पार्ट

3. अभी ही अन्त में हम प्रकृति-पति को प्रकृति ऑफर-आफरि कर, जहां हम होंगे वहां कुछ नुकसान नहीँ करेंगी, दासी-दाता बन जाएंगी… इसलिए सब हमारे स्थान के पास आएँगे, हम सब के सहारे बन जाएँगे, प्रत्यक्षता हो जाएंगी

सार

तो चलिए आज सारा दिन.. योग-मर्यादा द्बारा ऎसी ऊँची फ़रिश्ता स्थिति बनाके रखे, कि ऎसे नाजुक समय में भी हम अचल रह सबको सुख-शान्ति दे प्रकृति को भी परिवर्तन कर सके… तो छोटी बातें में तो हम सदा सेफ रह, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चलेेंग… ओम् शान्ति!

The power of God’s love! | Avyakt Murli Churnings 02-06-2019

The power of God’s love! | Avyakt Murli Churnings 02-06-2019

स्नेह की शक्ति

स्नेह सागर बाप ने आकर, हम स्नेही बच्चों की स्नेह की प्यास-मांग बुझाकर स्नेह का अधिकारी बना दिया है… लोगों ने न जानने कारण स्नेह को ही भगवान् का दर्जा दिया है, लेकिन हमनें तो साकार में उनके स्नेह का अनुभव किया है… स्नेह ही नये ब्राह्मण जन्म वा त्याग-तपस्या-सेवा का आधार है, बाबा का साथ अनुभव कराए दुःख को सुख में परिवर्तन कर युग परिवर्तन करता, स्नेह ही मायाजीत वा सर्व प्राप्ति सम्पन्न और मधुबन निवासी बनता… लेकिन सदाकाल का सच्चे दिल का स्नेह, स्वार्थ-वश नहीं

क्रिसमस का अध्यात्मिक रहस्य

  • Santa Claus अर्थात दाता शिवबाबा बुढ़े ब्रह्मा तन में
  • Santa Claus के सफेद-लाल वस्त्र (परमधाम और सूक्ष्मवतन) भी दोनों बाप की निशानी है
  • बाबा हम बच्चों की सर्व इच्छाएं पूरी करते… स्वराज्य वा स्वर्ग की सौगात लाते… और हम खुशी में नाचते-गाते

न्यारा और प्यारा

  • जितना पुरानी दुनिया से न्यारे, उतना बाबा के प्यारे… अर्थात एक बाप से बुद्धि सहज लग जाती, हम सहजयोगी-निरन्तर योगी बन जाते…
  • इतनी सहज प्राप्ति सिर्फ अभी ही हो सकती, तो सदा बाबा के साथ रहना है, जिससे उनका सहारा अनुभव होता, और माया स्वतः किनारा करती…
  • हमें बाबा अर्थात सुख का भण्डार मिला है, इसलिए सबको सुख बांटते रहना है, तो वह और हममें बढ़ता जाएंगा

सभ्यता का कल्चर!

  • ब्राह्मण कल्चर ही है सभ्यता, अर्थात हर्षित चेहरा और कम-धीरे-मीठे बोल
  • औरों की असत्यता को देख, हमें अपनी सभ्यता खो क्रोध नहीँ करना है, औरों की गलती को वातावरण में नहीँ फैलाना है…
  • हमारा आवाज ही ऊंचा है, यह सिर्फ़ बहाना है… So साईलेंस की शक्ति से आवाज को नियंत्रण करना है…
  • क्रोध शस्त्र नहीं, वह तो और ही बाबा की निंदा कराता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… Santa Claus बापदादा के स्नेह-साथ में समाएं, सर्व प्राप्ति सम्पन्न माया-प्रूफ बन, सुखों के भण्डार अनुभव कर खुशी में नाचते रहे… तो यह वाइब्रेशन स्वतः सबको मिलते, उन्हें भी माया से छुड़ाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!

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Becoming full of all powers! | Avyakt Murli Churnings 26-05-2019

Becoming full of all powers! | Avyakt Murli Churnings 26-05-2019

जो सदा सर्च शक्तियों के अस्त्र-शस्त्र से संपन्न महावीर विजयी रहते, वहीं एवर रेडी, भगवान् के सच्चे स्टूडेंट है… हम ही सुनहरे समय का आह्वान करने वाले विश्व परिवर्तक है, समय पर हम आधारित नहीँ…

इसलिए चेक करते रहना है, हम सर्व शक्ति सम्पन्न है, कोई एक शक्ति में भी कमी न हो जहां से माया आए… तब ही 100 नए विश्व-राज्य-प्रकृति-सम्बंध का सुख अनुभव कर सकते… हमारा वायदा ही है, साथ रहेंगे साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे

पार्टियों से मुलाकात 

1. याद में रहकर किए हुए हर कदम में पदमों की कमाई है, अभी सो जन्म जन्मांतर की… हम शिव-शक्तियां सदा बाबा की छत्रछाया में रहने वाले सदा सम्पन्न-विजयी हैं.. भय से मुक्त, Nothing न्यू की स्मृति द्वारा… स्नेह से बाबा की याद में रहने से सेफ रहते, याद की कमी से ही और सेक से बचे रहते

2. हिम्मत और उमंग-उत्साह के पंख द्बारा स्वयं भी उड़ते औरों को भी उड़ा सकते, हिम्मत से सबकुछ सहज हो जाता… इसलिए दोनों पंख ठीक रखने है, अभी समय ही है संकल्प किया और उड़ा

3. इसी नशे-खुशी में रहना है, हम मास्टर ज्ञान सूर्य सबको अंधकार से मुक्त कर, सही राह दिखाते, रात को दिन बनाते… इसी occupation में सदा तत्पर रहने से, स्वयं तो प्रकाशित बन ही जाएँगे

हम आत्माएं (कुमार) कौन है?

1. श्रेष्ठ जीवन में बाबा का बन जाना सबसे बड़ी तकदीर है, इसलिए हम सदा हर्षित रह सबको करते… भाग्य श्रेष्ट बनाते रहना है, ईश्वरीय नशे में रहकर माया की आकर्षण से बचे याद सहित सेवा में busy रहने से 

2. समर्थ ही सर्व प्राप्ति सम्पन्न रहते, इसलिए नॉलेजफुल बन माया से मुक्त रहना है… सदा आगे बढ़ते-बढ़ाते रहना है, वाह वाह के गीत गाते, हल्के बन्धन-मुक्त रह


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The power of Simplicity! | सरलता का दिव्यगुण | Avyakt Murli Churnings 19-05-2019

The power of Simplicity! | सरलता का दिव्यगुण | Avyakt Murli Churnings 19-05-2019

श्रेष्ठ संकल्पों को फलीभूत करने की सहज विधि!

विश्व की सभी आत्माएं कुछ न कुछ कार्य में लगी हुई है, ब्राह्मण आत्माएं भी विशेष बनने में, वा विशेष कार्य करने के इच्छुक है… संकल्प बहुत श्रेष्ठ करते, लेकिन प्रैक्टिकल लाने में नम्बरवार हो जाते, क्यूंकि बीजरूप बाप की सर्व शक्तियों से कनेक्शन कम है, और साधन-व्यक्ति के प्रभाव में आ जाते… इसलिए फिर हताश-निराश हो जाते, वा जितनी खुशी-सन्तुष्टता-गति होनी चाहिए, वह नहीं रहती

सम्बन्ध-सम्पर्क में ही कभी-कभी वाले बन जाते हैं… लेकिन अभी तो समय है स्वयं निर्विघ्न बन, बहुत काल की शक्तियों से सारे विश्व को निर्विघ्न बनाना

हम आत्माएं (कुमारीयां) कौन है?

  • हम गंवाने के बजाए कमाने के रास्ते में है, साधारण से शक्तिशाली, कमझोर से बहादुर बने है… माया की छोटी-छोटी बातों से डरने के बजाए अपनी श्रेष्ठ प्राप्ति को याद रखना है… श्रेष्ठ स्वराज्य-अधिकारी जीवन से नीचे नहीं उतरना है, इस जीवन में ब्रह्माकुमारी बन जाना, यह सबसे बड़ा भाग्य है
  • अपने को ऑफर करना अर्थात बाबा जहां बिठाए वहां सन्तुष्ट… बन्धन वास्तव में मन में ही होते हैं, फिर भी योग से सभी बन्धन को भस्म कर देना है

सरलता का दिव्यगुण!

  • जैसे देवताओं-फरिश्तों-ब्रह्मा बाबा में सरलता दिखाई देती… हमें भी धारण करना है
  • सरलता अर्थात सार-रूप, वह सब बातों से सार उठाते, कर्मों में भी सार दिखाई देता… हां-जी का पाठ पक्का… स्तुति-इच्छाओं से परे बाबा की याद (एक बल एक भरोसा, एकमत, एक से सर्व सम्बन्ध-प्राप्ति) से स्थिति बनाना अर्थात सरलता
  • वह स्वतः अन्दर से स्वच्छ-सच्च-साफ… उनके नैन-बोल में मधुरता दिखाई देती… व्यर्थ संकल्प-समय से बचे हुए दूरांदेशी होंगे, माया उनका सामना नहीं कर पाएंगी… आलराउंडर होंगे, किसी बात में कम नहीं… सबके लिए सैम्पल, सबके स्नेही, सहयोग प्राप्त करने वाले होंगे… सहनशील होने के कारण सब के साथ चलके सफलता प्राप्त करेंगे, इसे ही कहा जाता है, सर्वस्व त्यागी

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बीजरूप बाबा से सदा combined रह उनकी सर्व शक्तियों से सम्पन्न मायाजीत बन… सारे विश्व को गुण-शक्तियों का दान दे निर्विघ्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Fulfilling the desires of all | सर्व की मनोकामनाएं पूर्ण करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 12-05-2019

Fulfilling the desires of all | सर्व की मनोकामनाएं पूर्ण करने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 12-05-2019

1. हम बाबा की राइट-हैंड भुजाएं सारे विश्व के बड़े है, सबकी स्नेह-शक्ति से सेवा कर, उनका खोया भाग्य फिर से दिलाते हैं… अब ऊँची स्थिति द्वारा मास्टर सूर्य बन सबको वरदान-दुआ की किरणें फैलानी है… इसके लिए खुद मनमनाभव की स्थिति द्वारा इच्छा मात्रम अविद्या बनना है, तब ही औरों को मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले कामधेनु बन सकेंगे

2. यदि अपनी इच्छाओं को सेवा की नाम देंगे, तो एक इच्छा पूर्ण होने के बाद दूसरी उत्पन्न होगी, ऎसे मन से उलझते रहेंगे… बाबा मिला, सबकुछ मिला ऎसे तृप्त नहीं बन पाएंगे… और अभी कुछ ही समय में प्रत्यक्ष होगा कि हम ही चैतन्य भण्डार, विश्व के आधार-मूर्त, जहां के नूर, कुल दीपक है… इसलिए अभी से सम्पन्न बनना है, बहुत काल के अभ्यासी

3. सेवा बहुत अच्छी कर रहे है, साथ में हलचल का हल चलाओ की सब समझे यही एक है सच्चा रास्ता दिखाने वाले, भगवान् से मिलाने वाले, बुराइयों से बचाने वाले… यह तब होगा जब भाषण के साथ सबको शान्ति-शक्ति-अतिन्द्रीय सूख-आनंद की अनुभुती कराएं वाणी से परे ले जाएँगेे, जैसे बहता झरना वा साईंस के साधन… स्नेह के साथ शान्ति के सागर की शान्ति-शक्ति का अनुभव कराना है, फिर सब खींचे चले आएँगे… वाह-वाह से आगे बढ़, वारिस बनेंगे… सिर्फ़ सोने मे यह नग एड करना है… सभी plans को सम्पूर्ण दृढ़ता-एकता से साकार में लाना है

4. हम ही सबके लिए इष्ट-पूज्य-पूर्वज है, सिर्फ मेरे-पन से परे जाना है… इसी स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन होगा… इसी नजर से सबको देखना है, कि यही विश्व की सबसे बुद्धिवान, शक्तिशाली, महान, विशेष आत्माएं है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा मनमनाभव की स्थिति द्वारा इच्छा मात्रम अविद्या बन, मास्टर सूर्य बन सबको सुख-शांति-पवित्रता की किरणें फैलाते रहे… सबको श्रेष्ठ अनुभूतियाँ बांटते, बाबा से जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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