Benefit of putting a full-stop! | (7th) Avyakt Murli Churnings 04-03-69

Benefit of putting a full-stop! | Avyakt Murli Churnings 04-03-69

1. सच्ची होली में जलाना-मिटाना और रंगना-श्रृंगारना होता… तो जैसे सांग में मस्तक पर बल्ब लगाया जाता, इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि हमारा मुख्य श्रृंगार है आत्मा का दीपक जगाना

2. जब हो ली (अर्थात हो गया) पक्का करेंगे… ड्रामा की सीन पर मंथन (अर्थात पानी का मंथन) नहीं करेंगे, तब पक्का संग लगेगा

3. अव्यक्त आकर्षण का घेराव डालना है… सेवा के बंधन में स्वयं को आपेही बाँधना है, तो पूरा हिस्सा मिलेगा… ऎसे मालिक के साथ-साथ बालक भी बनना है, इसकी निशानी है निर्माण-नम्र और प्रेम स्वरूप

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हो ली का मंत्र याद रख पास्ट को भूल, सदा अपने आत्मिक स्थिति के स्मृति-स्वरूप बन… अव्यक्त वातावरण वा सम्बन्ध-सम्पर्क द्बारा… सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन जाएं… ओम् शान्ति!


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The power of conviction! | निश्चय-बुद्धि विजयन्ती | (6th) Avyakt Murli Churnings 15-02-69

The power of conviction! | निश्चय-बुद्धि विजयन्ती | (6th) Avyakt Murli Churnings 15-02-69

1. पूरा निश्चय चाहिए, जब तक पढ़ाई चल रही, तब तक सारा कार्य चलता रहेगा (अभी तो बच्चे-भक्त सबकी सेवा करनी है, बाबा रोज़ सुख की सर्चलाइट देते)… हमें स्वयं-बाबा का परिचय मिला है (जो खज़ाना-lottery है), उसमें स्थित रह उसका सबूत देना है… सम्भल कर चलना है, हिम्मतवान बन, आगे तो बहुत कुछ देखना है

2. सौभाग्यशाली अर्थात बाप-टीचर-सतगुरु से पूरा कनेक्शन… सदा सुहागिन अर्थात परमात्मा से सदा के लिए पूरी लगन

3. चित्रों-Museum द्बारा बाबा का परिचय देने की सेवा करते हुए, सबका उद्घार करते रहना है, जिससे पहाड़ उठ जाता (फिर सब साथ जाएँगे)… सवेरे उठ बाबा को याद करते रहना है (संगठन में भी), तो बाबा के नजदीक रहेंगे, मूंझेंगे नहीं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… निश्चयबुद्धि बन अपने सत्य स्वरूप में टिक, बाबा को यथार्थ रीति याद करते, स्वयं को सदा सुहागिन-सौभाग्यशाली अनुभव करते रहे… सब का उधार करते, कलियुगी पहाड़ को उठाकर फिर से सतयुग स्थापन कर ले… ओम् शान्ति!


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The Art of doing service! | (5th) Avyakt Murli Churnings 06-02-69

The Art of doing service! | (5th) Avyakt Murli Churnings 06-02-69

1. ज्ञान-पढ़ाई के सार का स्वरूप बन, फिर सेवा करनी है:

  • आँखों में बाबा दिखाई दे
  • वाणी से बाबा का ज्ञान
  • हमारी चलन में बाबा का चरित्र समाया हुआ हो
  • हमारे चित्र में बाबा का अलौकिक चित्र दिखाई दे
  • व्यक्त रूप में अव्यक्त-मूर्त देखे

यह ही बाबा की मेहनत का फल-स्वरूप है… इसके लिए याद की यात्रा अव्यक्त स्थिति में स्थित हो (जो आंतरिक अवस्था है), फिर कर्म करना है

2. सदा त्रिमूर्ति याद रखना है, अर्थात तीन बातें छोड़ना (बहाना-कहलाना-मुरझाना) और तीन बातें धारण करना (त्याग-tapasya-सेवा)… इसके लिए ज्ञान के तीसरे नेत्र को use करना… विघ्नों का सामना करना सहज है क्यूंकि समर्थ साथ है, सिर्फ मैं-मैं की कामना छोड़ना है… महिमा छोड़ मेहमान समझना है, तब महान स्थिति (अव्यक्त स्थिति) बनेंगी

3. शिव जयन्ती पर और धूमधाम-उमंग-उत्साह से बाप का परिचय देना है, तो बाबा हमारा भी साक्षात्कार कराएंगे… शक्ति रूप से ललकार करनी है, अर्थात बीजरूप स्थिति में स्थित रह, बीजरूप बाबा की याद में सेवा करना, समय का परिचय देना है… तो सहज-अच्छा फल निकलेगा

4. जैसे बाबा शरीर को न देखते सर्चलाइट देते स्नेह का सबूत दिया… ऎसे हमें भी अमृतवेला रूहाब-शक्ति रूप हो बैठना है (सुस्ती से लाइन clear नहीं रहती)… यही स्नेह में sacrifice है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बीजरूप-शक्तिशाली-महान-अव्यक्त स्थिति में स्थित बीज बाबा की याद में रह, फिर उमंग-उत्साह से सेवा करे… तो स्वतः हमारे चेहरे-चलन-बोल में बाबा दिखते, हम सर्वश्रेष्ठ सेवा करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The power of experience! | (4th) Avyakt Murli Churnings 02-02-69

The power of experience! | (4th) Avyakt Murli Churnings 02-02-69

अव्यक्त मिलन मनाने की सहज विधि!

1. हमारा शुद्ध ज्ञान-सहित प्यार बाबा को भी खिंच लाता (बाबा का भी हमसे शुद्ध प्यार है, साथ में निर्मोही है, जानते हैं ड्रामा accurate-कल्याणकारी है)… दिव्य-बुद्धि (पुरूषार्थ) से अव्यक्त-वतन (वा सूक्ष्मवतन-वासी बनने) का अनुभव करने में अनोखी-अलौकिक-लाभदायी कमाई है, इसकी सहज बिधि है अमृतवेले याद में इस संकल्प से बैठना हमें अव्यक्त मिलन मनाना है, और अव्यक्त स्थिति में स्थित हो रूहरूहान करना, जिसके लिए सारा दिन अन्तर्मुखी-अव्यक्त रहना है… हमारे में इतनी ताकत है जो अव्यक्त-वतन को नीचे ला सकते, हमें अलौकिक फ़रिश्ता बन पढ़ाई का शो करना है 

2. हमारा अविनाशी स्नेह बाबा को पहुंचता है, वह भी respond करते… इसे कैच करने व्यक्त भाव छोड़ना पड़ेगा

प्रैक्टिकल सेवाओं में!

1. सेवा में मैं-पन के ज्ञान-बुद्धि-सेवा का अभिमान से मायूसी-मुरझाईश-मगरूरी-पन आता, और निमित्त भाव से निराकारी-निरहंकारी-नम्रचित-निःसंकल्प बनते… मतभेद के बजाए स्वादर्शन चक्रधारी बनना है… बाबा की शिक्षा है निर्माण-चित्त हो सबसे प्यार से चलना

2. ड्रामा के silence से शक्ति आती, हमें देख सब सीखेंगे… अभी ज्वाला-रूप ज्वाला-देवी बनना है, माताओं का संगठन 

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बुद्धि-बल के अनुभवों में ही सच्ची कमाई है, तो सदा ड्रामा की पट्टी पर अन्तर्मुखी-silent रह अव्यक्त फ़रिश्ता बन बाबा को प्यार से साथ रख, सूक्ष्मवतन को ही नीचे लाए… अपने संस्कारों पर शक्तिशाली ज्वाला-रूप बन, औरों के साथ नम्र-चित्त बन बहुत प्यार से चलते… सतयुगी बन-बनाते रहे, ओम् शान्ति!


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Surrendering completely to Baba! | (3rd) Avyakt Murli Churnings 25-01-69

Surrendering completely to Baba! | (3rd) Avyakt Murli Churnings 25-01-69

1. अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर अव्यक्त को देखना है साकार में (तो अव्यक्त मुलाकात का अलौकिक अनुभव ले सकेंगे)… इसके लिए अमृतवेला शक्तिशाली चाहिए (जिससे थकावट दूर होती), अन्तर्मुखता-Silence (वाणी से परे)-अव्यक्त में रहते कर्मणा में आने का अभ्यास ज्यादा सारा दिन

2. सर्व समर्पण अर्थात देह-भान से भी परे (मरे हुए) और श्वासों-श्वास स्मृति, तब सम्पूर्ण कर्मबन्धन-मुक्त बन साथ जाएँगे.. एसी आत्माएं सहनशील होने कारण सदा शक्तिशाली-हर्षित रहेंगे… वाणी से भी निर्बल बोल नहीं निकलेंगे, संकल्प ड्रामा की पट्टी पर accurate चलेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अमृतवेला-अन्तर्मुखता-Silence की अघ्छी प्रैक्टिस द्बारा अव्यक्त स्थिति को अपनी नैचुरल नेचर बना… सदा बाबा की दी हुई श्रेष्ठ स्मृतियों में स्थित, देह भान से परे रह… सबको अविनाशी खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power of Avyakt stage! | अव्यक्त स्थिति की शक्ति | (2nd) Avyakt Murli Churnings 23-01-2019

The power of Avyakt stage! | अव्यक्त स्थिति की शक्ति | (2nd) Avyakt Murli Churnings 23-01-2019

1. ड्रामा accurate है…. जितना हम अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने (बुद्धि की लाइन clear है), तो व्यक्त में अव्यक्त को देख सकते (उसका साथ सदा अनुभव कर सकते), कर्मेंद्रीयों से कर्म ऎसा होगा जैसे कि श्रीमत करा रहा है… ऎसे शक्तिशाली बन, सबको बनाना है, तब ही अन्त तक रहेंगे

2. अस्थियों को नहीं, स्थिति को देखना है… त्रिमूर्ति स्थिति को नहीं भूलना है (स्व स्वरूप में टिकना, बाप-दादा की याद), ऎसे हर बात / इशारे में कल्याण है… सदा समर्पण-स्मृति स्वरूप-सरलता स्नेह-सम्बन्ध-सहयोगी बन सफलता पाना है… कुछ ही समय में हम श्रीमत पर चलने वाले धरती के सितारे प्रत्यक्ष हो जाएंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अव्यक्त स्थिति को मज़बूत कर, सदा बाबा का साथ अनुभव करते, सबको कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69

The journey ahead! | (1st) Avyakt Murli Churnings 21-01-69

हमें क्या करना है?

  • अव्यक्त स्थिति में स्थित रहने से उलझन-डगमग-संशय नहीं… ज्ञान-योग-सेवा-आज्ञाओं पर बाबा-संगठन-नियमों के आधर से सहज चलते रहते… जैसे बाबा ने हमें शिक्षाओं से श्रृगारा है!
  • अभी बाबा retire होकर हमें विश्व-कल्याण का ताज देते (सतयुग के ताज की तैयारी!)… किसी के अवगुण नहीं देखते, एकमत-अन्तर्मुखी-अव्यक्त हो सबके सम्पर्क में आना है
  • अंगद-समान अचल रहना है, पेपर अचानक ही आते, ड्रामा कल्याणकारी है…

ब्रह्मा बाबा की स्थिति

  • व्यक्त में रहते अव्यक्त रूपधारी
  • मस्तक पर सितारा बहुत चमकता हुआ
  • छोटी-छोटी बातों से उपराम

आगे का कारोबार 

  • ब्रह्मा बाबा का पार्ट आकार में चलता रहेंगा, संदेशी द्बारा पूरी सेवा करेंगे, सदा उनका हाथ-साथ रहेंगा
  • साकार मुरली revise करनी है 
  • मधुबन का वैसे ही कारोबार चलता रहेगा, निमित्त बड़ों द्बारा 
  • अभी निमित दीदी-दादी है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अव्यक्त स्थिति में स्थित रह, सदा बाबा का हाथ-साथ अनुभव करते, सदा विश्व कल्याण का ताज स्मृति में रख… सबकी विशेषताएं देखते, अचल adol रह, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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