Becoming an idol of attraction! | (67th) Avyakt Murli Revision 27-07-70

Becoming an idol of attraction! | (67th) Avyakt Murli Revision 27-07-70

1. बाबा हमारे मुखड़े पर अलौकिक-आकारी आकर्षण-हर्ष मूर्त देख रहे… तो हमें भी अपने को देख, इन्हें सम्पूर्ण-समान रूप से धारण करने है, तब प्रत्यक्षता होगी

2. अव्यक्त-मूर्त बनने लिए आठों शक्तियां धारण करनी है (विस्तार को आर, सामना, समेट, सहन, परख, निर्णय, सामना, स्नेह-सहयोग देना)… इसके लिए रूहानियत-रुहाब चाहिए, रोब-नीचपना समाप्त, भिन्न-भिन्न रूपों के बदले एक अव्यक्त-अलौकिक रूप

3. विशेष आत्मा बनने लिए आठों शक्तियां लानी है, सब से संस्कार मिलाकर चलना है… इसके लिए ज्ञान स्मृति में रखना है, स्वयं को सफलता का सितारा समझने से सामना शक्ति बढ़ (विघ्न समाप्त हो) सफलता मिलती रहेंगी… समीप रत्नों में बाप-समान गुण-कर्त्तव्य-मुखडा़ दिखेगा, स्वतः सेवा होंगी

4. जितना मन-वचन-कर्म-सम्बन्ध-सम्पर्क से उदार-चित्त रहेंगे, उतना उद्धार-मूर्त बनेंगे, आकर्षण-मूर्त, सब सहयोग देंगे… सबकी विशेषताएं देखने से, वे अपने में आ जाएंगे… स्नेह देने से सहयोग लेना है

5. योग-अग्नि अविनाशी रखने लिए, मन्सा वाणी कर्म में सम्भलना है… अभी-अभी आकारी, अभी साकारी की ड्रिल, यह भी सर्विस का साधन है… सम्पूर्ण अर्थात सभी शक्तियां समान, मास्टर सर्वशक्तिमान

सार

तो चलिए आज सारा दिन… ज्ञान को स्मृति में रख, स्वयं को विशेष आत्मा समझ बाबा से योग-अग्नि द्बारा, सर्व शक्तियों से सम्पन्न अलौकिक-आकारी-हर्षित बन… सब के उद्धार-मूर्त बन, सब की विशेषताएं देखते सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Stabilising in point form in actions! | (66th) Avyakt Murli Revision 24-07-70

Stabilising in point form in actions! | (66th) Avyakt Murli Revision 24-07-70

1. अभी समय है चलते-फिरते बिन्दु रूप रहने की.. इसके लिए:

  • बीच में संकल्प स्टाप कर बिन्दु रूप का अभ्यास करना है
  • अव्यक्त फ़रिश्ता स्वरूप रहने से बिन्दी रूप बनना सहज है
  • संकल्पों (समय-शक्ति) की बचत करनी है… संकल्प के तूफान (वा evil स्पिरिट-सस्कार) से बचने लिए भेट करनी है, यह यथार्थ बाप-समान है, नोट या डॉट

2. शक्तियों की भुजाएं है मददगार की निशानी… पाण्डव अर्थात लम्बी बुद्धि, सबको आगे बढ़ाने वाले

सार

तो चलिए आज सारा दिन… चलते फिरते बिन्दु रूप में स्थित होने लिए, बीच-बीच में संकल्पों को स्टॉप कर, उन्हें चेक-चेंज कर बिन्दु रूप (वा फरिश्ता स्वरुप) का अनुभव करते रहे… बाबा में मददगार बनते, सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The degree of complete angelic stage! | (65th) Avyakt Murli Revision 11-07-70

The degree of complete angelic stage! | (65th) Avyakt Murli Revision 11-07-70

1. संगमयुग की डिग्री है सम्पूर्ण अव्यक्त फ़रिश्ता, जिसके क्वालिफिकेशन है… जितना नॉलेजफुल-फैथफुल (स्वयं-बाप-परिवार में), उतना सक्सेसफुल-सर्विसएबुल… संकल्प-बोल-कर्म में पावरफुल… हर गुण के पीछे फूल… तब ही वैल्यूएबुल कहेंगे, औरों को भी क्वालिफाइड बना सकते… डिग्री या तो डिक्री (धर्मराज की)

2. अब नाजु़क समय में नाज़ नहीं करना, मास्टर ब्रह्मा बने, श्रृंगार किया, अब विकराल-संहारी रूप धारण करना है, सेकण्ड में विकर्म-विकारी को भस्म कर दे… शक्तियों अर्थात स्नेह, रूहानियत और शक्ति (वज्र, घुँघरू की झंकार)… ऎसे शूरवीर बन मैदान में आने से ही बाबा को प्रत्यक्ष-प्रख्यात कर सकेंगे… अपनी कमझोरी को विदाई देने से ही सृष्टि के कल्याणकारी बन सकेंगे

3. विशेष आत्माओं की सेवा करनी है (तो व्यर्थ संकल्प-कर्म-समय नहीं जाएंगा, शक्ति बचेंगी)… इसलिए पुराना चौपड़ा समाप्त कर सेंट-पर्सेंट बनना है (तो सेंट भी झुकेंगे)… अभी पुरुषार्थ अभी प्रालब्ध, इसमे फूल बनना है कमाल करना है, नहीं तो कमान मिलेगा

4. दिल्ली-दर्पण है बाबा की दिल, यहां के आवाज़ से ही समाप्ति की समीपता समझ सकते… ऎसे बेहद जिम्मेदारी वाले बेहद सेवाधारी है (बेहद सोच-स्नेह-सम्बन्ध-स्थान), इन्हें ताज मिलता

5. हम मधुबन के सेफ की मस्तक-मणि है…योगयुक्त निश्चय-बुद्धि संकल्प द्बारा आगे बढ़ने से सफलता मिलती, विघ्न समाप्त होते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनें को सम्पूर्ण अव्यक्त फ़रिश्ता समझ नॉलेजफुल-पावरफुल-विजयी बन… स्नेह-रूहानियत-शक्ति से बेहद सेवा करते, सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The balance of love & power! | (64th) Avyakt Murli Revision 02-07-70

The balance of love & power! | (64th) Avyakt Murli Revision 02-07-70

1. शक्तियों की विशेषता है, प्रेम-मूर्त के साथ शक्ति-रूप (तो एक सेकण्ड-संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाएंगा, सदा कल्याणकारी, एक जगह बैठे अनेकों की सेवा कर सकते)… कब के बदले अब, यह है बहादुर के बोल… imperishable आत्मा-स्थिति के लिए माया में फंसना impossible है

2. सबसे ज्यादा लाइट देने लिए बनना है लाइट-हाउस (वा सर्चलाइट), जिसके लिए पहले खुद को सर्च करना है… विल-पॉवर और वाइड-पॉवर (अर्थात बेहद की दृष्टि-वृत्ति) धारण करनी है… चक्रवर्ती बन सब जगह की सेवा करनी है, सबसे सम्बन्ध-सहयोग तब ही विश्व महाराजन् बनते, बाबा को प्रत्यक्ष-प्रख्यात कर सकेंगे

3. बेहद के वैरागी बनने लिए स्वयं को मधुबन-निवासी समझना है (इसमे मधुसूदन बाबा, परिवार, त्याग-तपस्या-सेवा सब आ जाता)

4. अभी बन्धनों (वा मोटे-पतले रस्सियाँ) से परे, स्वतन्त्र-स्पष्ट बनने का परिवर्तन करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनें को शक्ति समझ, मधुसूदन-बाबा की याद द्बारा स्नेह-शक्ति से सम्पन्न, स्वतंत्र-स्पष्ट बन बेहद दृष्टि-वृत्ति द्बारा सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The beauty of complete surrender! | (63th) Avyakt Murli Revision 29-06-70

The beauty of complete surrender! | (63th) Avyakt Murli Revision 29-06-70

1. बाबा हमारी सम्पूर्णता के 4 मूर्त देख रहे… ज्ञान-मूर्त, गुण-मूर्त, दान-मूर्त, और सम्पूर्ण सफलता-मूर्त… जितना समय यहां सफलता-मूर्त रहेंगे, उतना समय वहां राज्य-भाग्य मिलेगा… सम्पूर्ण बनने लिए चाहिए सम्पूर्ण समर्पण

2. सर्व-समर्पण अर्थात संकल्प-समय-कर्म-सम्बन्ध-सम्पत्ति सब समर्पण… सर्व सम्बन्ध (आत्मा-शरीर का भी)… अविनाशी सम्पत्ति (पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद) भी सेवा में समर्पण… अपनापन भी बिल्कुल समा जाए, तब समान बनेंगे… औरों को भी बाप-समान बनाना है (सिर्फ आप-समान नहीं)… ऎसा समर्पण का विशाल अर्थ समझने से विशाल-बुद्धि बनेंगे, विश्व-राज्य-अधिकारी

3. हमारा तीसरी दिव्य-बुद्धि की आँख सदा एक में टिकी रहे… ऎसी एकरस-मग्न अवस्था बनानी है… तब हमारे मस्तक-नैन से झलक-फलक दिखेंगी, साक्षात्कार होंगे (भक्त-प्रजा के संस्कार भी अभी भरने है)… इसके लिए स्वच्छ-स्थिर बनना है, कीचड़े से मुक्त

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा स्वच्छ-विशालबुद्धि बन, सर्व समर्पण की सुन्दर स्थिति द्बारा सदा एक बाबा के याद की एकरस-मग्न अवस्था में रह… अपने मस्तक-नैन से वह झलक-फलक दिखाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming Kamdhenu! | (62nd) Avyakt Murli Revision 26-06-70

Becoming Kamdhenu! | (62nd) Avyakt Murli Revision 26-06-70

1. जैसे मूर्ति के पास ईच्छा-पूर्ति के लिए जाते, ऎसा साक्षात्कार-मूर्त कामधेनु बनना है, सदाकाल की कामना पूर्ण करने वाले… इसलिए खुद सर्व-प्राप्ति-स्वरूप इच्छा-मात्रम-अविद्या बनना है, तब ही औरों की ईच्छा पूरी कर सकेंगे, प्राप्ति करा सकेंगे… महा-ज्ञानी के बाद महादानी बनना है

2. जितना खुद योग की सैर करेंगे, उतना सब को भी साक्षात्कार करा सकेंगे… ऎसी स्टेज बनानी है, कि अन्त में अव्यक्त-आकृति लाइट ही लाइट दिखे… और कुछ नहीं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान-योग की लाइट से सम्पन्न सर्व-प्राप्ति-स्वरूप इच्छा-मात्रम-अविद्या बन, कामधेनु महादानी बन, सबको सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming world maker! | (61st) Avyakt Murli Revision 25-06-70

Becoming world maker! | (61st) Avyakt Murli Revision 25-06-70

1.

  • जितना स्वयं के चेकर बनते
  • उतना मेकर बनते (लॉ मेकर, न्यू वर्ल्ड मेकर, पीस मेकर… सेवा में भी, हमारे सामने सब realize करेंगे)
  • तब रूलर बनेंगे

2. माया-समय के अधीन होने के बजाय… अधिकारी-रूलर समझने से उदार-चित्त बन उदाहरण स्वरूपउद्धार करेंगे

3. माया पहले सूक्ष्म आलस्य-सुस्ती के रूप में आती (फिर विकराल रूप लेती), जिसके चेकर बनना है… सूक्ष्म रूप-संकल्प जैसे कि:

  • श्रीमत से verify न कराना
  • 6-8 घंटा अव्यक्त स्थिति नहीं रह सकती
  • कम सीट है, हम नहीं बन पाएंगे
  • तन-मन की सुस्ती
  • फिर कर लेंगे
  • प्रवृत्ति में रहते, वैराग भूल जाना
  • हमें ईश्वरीय सम्बन्ध (साकार से बुद्धि द्बारा सहयोग लेने का सम्बन्ध) से दूर करते

तीव्र पुरूषार्थी बन इस सुस्ती को हाई जम्प देना है, तो बहुत बातों से बच जाएंगे… प्रतीज्ञा से परिपक्वता आती… अब नहीं तो कब नहीं

4. हम पुराने स्नेही है… बाबा हमें इशारों की अव्यक्त भाषा तरफ ले जाते, जिससे परख-शक्ति दूरांदेशी-बुद्धि बनती, शक्तिशाली बनते… जितना बुद्धि-समय-सीट का प्रोग्राम फिक्स, तो प्रोग्रेस-कार्य भी फिक्स… सम्पूर्ण बन सबकी सम्पूर्ण बनाने का सबूत देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को अधिकारी-सम्पूर्ण स्थिति में स्थित कर, बाबा की स्नेह भरी यादों में रह… स्वयं के चेकर बन, माया-सुस्ती से परे रह, विश्व के मेकर-रूलर बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a light-house! | (60th) Avyakt Murli Revision 19-06-70

Becoming a light-house! | (60th) Avyakt Murli Revision 19-06-70

1. हम भी त्रिमूर्ति है, जिनसे 3 प्रकार की लाइट निकालती… नयन से (बल्ब-समान ज्योति, हीरा), मस्तक से (सर्चलाइट जैसे), और माथे पर (लाइट का क्राउन)… तब ही फ़रिश्ता कहेंगे

2. सब हमारे पास हल्के हो जाएँगे… हमारा स्थान (मधुबन) लाइट का स्थान बन जाएँगा, ऎसा लाइट-हाउस बनना है… बाबा-मिलन अर्थात उनके गुण-कर्तव्य से मिलन 

3. कार्य करने पहले सोचना, बाबा ने निमित्त बनाया… और अन्त में भी सबकुछ समर्पण-स्वाहा कर देना, तो कोई संकल्प नहीं चलेगा… किसी से सहयोग मिला हो, तो उसे एक्स्ट्रा सहयोग देना है, शुभ भावना-वृत्ति द्बारा, जिसका प्रभाव सदाकाल रहता, उन्हें भी अनुभव होता

4. बाबा का हमसे अविनाशी स्नेह है, तो हमें भी ऎसा अटूट स्नेह उनसे जोड़ना है, फिर यही स्नेह 21 जन्म चलेगा… यही बैंक है, 21 जन्म चलने वाली, तो संकल्प भी व्यर्थ न जाए, हमारी ऎसी ऊँची मंजिल है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को हल्का लाइट-हाउस फ़रिश्ता समझ, बाबा से अविनाशी स्नेह जोड़… सबको शुभ भावना से सम्पन्न करतेे, निमित्त भाव से सेवा करतेे, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The Art of keeping a Time Table! | (59th) Avyakt Murli Revision 18-06-70

The Art of keeping a Time Table! | (59th) Avyakt Murli Revision 18-06-70

1. जैसे जब चाहे तब बोलते, वैसे एक सेकण्ड में व्यक्त से अव्यक्त हो सके, इस ड्रिल से स्थिति की मजबूती की वृद्धि होती… अव्यक्त स्थिति बढ़ाने लिए, सार में लाने की शक्ति बढ़ानी है

2. हम बड़े है, इसलिए आत्मा की उन्नति (अव्यक्त स्थिति) के लिए भी मन का टाईम-टेबल बनाना है… फिर चेक करना सफल हुए, क्यों नहीं, फिर चेंज लाना है, और बिंदी लगाना… प्रतीज्ञा, फिर प्लान, प्रैक्टिकल, फिर चेकिंग… समय से पहले सम्पूर्ण बनना (वा निरन्तर अतिन्द्रीय सुख की अनुभूति करना) है

3. sensible अर्थात सेन्स के साथ इसेन्स भी… अपनी नेचर (संस्कार) cure करने लिए फास्ट रखना है (टाईम टेबल और नुकसानकारक बातों का), पुराने संस्कारों को समेटना-समाना है.. भिन्न-भिन्न स्लोगन सामने रखने है:

  • कर के ही छोड़ेंगे, ऎसे निश्चयबुद्धि ही विजयी बनते, फिर समस्याएं भी खेल लगती
  • अब नहीं तो कब नहीं, अलबेलापन समाप्त
  • जो कर्म में करूँगा, मुझे देख सब करेंगे
  • सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
  • मिटेंगे, लेकिन हटेंगे नहीं

4. हम बड़े है, तो स्थिति-सेवा भी बड़ी चाहिए… 8 घंटे अव्यक्त स्थिति का चार्ट अवश्य चाहिए… जबकि हम बाबा के स्नेह-सम्पर्क में है, तो उन जैसे संस्कार भी होने चाहिए

5. फ़रिश्ता अर्थात अभी-अभी नीचे और अभी ऊपर, फर्श का कोई आकर्षण नहीं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमारा लक्ष्य है सेकण्ड में व्यक्त से अव्यक्त होना, 8 घंटा याद करना… तो सदा अपना श्रेष्ठ मन का timetable रख, शक्तिशाली स्लोगन्स सामने रख, तेज़ उन्नति अनुभव करते, समय से पहले सम्पूर्ण बनतेे-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The easy way of becoming world emperor! | (58th) Avyakt Murli Revision 11-06-70

The easy way of becoming world emperor! | (58th) Avyakt Murli Revision 11-06-70

1. विश्वपति (विश्व की सेवा करनेे वाले शूरवीर) बनने लिए चाहिए ताज (त्याग), तख्त (सेवा) और तिलक (तपस्या)… सेवा में मुख्य है मैं-पन का त्याग, सबकुछ बाबा, यही दृष्टि-वृत्ति चेहरे पर छलके

2. हमें बनना है सिम्पल और sample (तब सब आप-समान बनेंगे)… इसके दो ठप्पे लगाने है:

  • शिव शक्ति (संस्कार-सर्विस-सम्बन्ध में मिटेगे, पर हटेंगे नहीं)
  • ब्रह्माकुमारी (सम्पूर्ण स्नेही-सहयोगी-स्वाहा होने लिए सर्व शक्तियों को धारण करना है… तब ही कर्म-बन्धन समाप्त कर सकेंगे)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… विश्वपति बनने लिए सदा अपनी श्रेष्ठ शिव-शक्ति वा ब्रह्माकुमारी की स्मृति में रह, simple-sample बन त्याग-tapasya द्बारा बाबा-बाबा करते, सेवा में लगे रह, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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