Murli Yog 5.10.24

Murli Yog 5.10.24

सुख, शान्ति, डबल लाइट के गोल्डन वर्से से सम्पन्न 🪙; दिव्य ✨, खुशबूदार फूल 🌸 बन; सर्वशक्तिवान ⚡ के साथ से विजयी 🇲🇰 रह; सबके समीप, सम्मान देते संस्कार मिलन करने वाली ईश्वरीय नेचर बनाना… Murli Yog 5.10.24… आज माँ सन्तोषी समान सदा सन्तुष्ट रहे!

वह सदैव पवित्र, निराकार, रूहानी बाप… शान्ति के सागर 🌊, शान्ति देवा है जो हमें वापस अपने शान्तिधाम, मुक्ति, घर ले जाते (शान्ति का वर्सा!)… वह सुख के सागर भी है; जो हमें फिर सुखधाम, जीवनमुक्ति में भेजते!

तो याद, योगबल से सहज वापस जाते… और सच्चा सोना बनने कारण; फिर उस पवित्र, गोल्डन ऐज में पहुंचते… जो है दिव्यगुणों 🪂 वाले फूलों का बगीचा, गृहस्थ आश्रम; कितना धन 💰, हीरे-जवाहर होते; श्रीकृष्ण की डिनायस्टी, रामराज्य!

हमें आत्मा की पहचान मिली है; तो आत्मा समझ देही-अभिमानी रहना… आत्मा इस भ्रकुटी के चैतन्य अकालतख्त पर चमकती; एक तख्त 🪑 छोड़ दूसरा लेती, जो छोटे से बड़ा होता… अभी पुरूषोत्तम संगमयुगी ब्राह्मण तख्त है; फिर बड़ा फर्स्टक्लास, देवताई, गोल्डन ऐजेड़, सतोप्रधान तख्त मिलता… हम ऐसे वैल्यूबल; अनादि, अविनाशी पार्टधारी है!

यह सत्य बातें स्वयं सत्, चैतन्य, बीजरूप, ज्ञान सागर 🌊 हमें सुनाते… वह भारत में आकर सबकी सद्गति करते; तो यह ऊंच ते ऊंच देश, बड़ा तीर्थ ठहरा… तो जब इतनी प्राप्तियां हुई है, अब कुछ याद नहीं आता (स्वतः वैराग्य!)

हम डबल लाइट 🧖 है (क्योंकि सर्व जिम्मेवारी का बोझ बाप हवाले कर दिया है!)… सबके समीप आते सम्मान देते रहने से सहज संस्कार मिलन होता; ‘मेरे संस्कार’ यह शब्द ✍🏻 ही मिटकर ईश्वरीय नेचर बन गयी है!

सर्वशक्तिवान के साथ पर निश्चय को प्रैक्टिकल में यूज करने से… सहजयोगी, निरन्तर योगी रहते… (कभी हिलते नहीं; बातों को दूर से ही परख समाप्त करते!)… (AV 4.12.95; फिर से!)


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Murli Yog 4.10.24

Murli Yog 4.10.24

सुप्रीम, गोल्डन शान्ति की अनुभूति द्वारा मीठे, प्यारे, दिव्य साथ से बल अर्थात् आशीर्वाद प्राप्त करने के तकदीर-वान बन; सहज कल्याण करने में राइट हैण्ड बनना… Murli Yog 4.10.24… आज शिव शक्ति बन शिव से शक्ति लेते रहे!

ओम् शान्ति अर्थात् हम रूहानी बच्चों को अपने विचित्र, विदेही, निराकारी आत्म-स्वधर्म में टिकना है… जिससे स्वतः उस ऊंच ते ऊंच सुप्रीम, पतित-पावन सत्-बाप के बेहद सम्बन्ध की प्यार-भरी याद आती… जिससे प्योर, सतोप्रधान, गोल्डन एजेड़ बनते!

वह पुरूषोत्तम संगम पर ही आकर; मुक्तिधाम ले जाते… फिर उस नये, पवित्र अमरलोक में बेहद सुख के वर्से की बादशाही के मालिक बनाते (जहां 5 तत्व भी पावन!)… ऐसी बलवान राजाई मिलना ही जैसे सर्वशक्तिवान की आशीर्वाद है…

… यही ऊंच पद 🏆 भी है; इस ज्ञान-अमृत के सागर 🌊 की ऊंच, रूहानी, नई पढ़ाई में पास होना… अथवा सचखण्ड स्थापन करने वाले सतगुरू की लीगल मत पर कैरेक्टर्स सुधरकर; अच्छे, मीठे सर्विसएबुल फूल 🌸 बनना (जैसे दिव्यगुण-सम्पन्न श्री लक्ष्मी-नारायण!)

… ऐसे राजा बनने; आप समान 🧖 बनाने के मददगार भी बनना है; ट्रान्सफर करना… हम तकदीर-वान को ही ऐसे निश्चय बैठता; तो अब अपने पर रहम कर; स्कूल के अच्छे, होशियार 🧠 राइट हैण्ड स्टूडेन्ट बनना है!

हम त्रिकालदर्शी हर बात में कल्याण समझते… (क्योंकि सिर्फ एक काल से नहीं देखते!)

अपने पवित्रता ✨ के स्वधर्म पर निश्चय हो गया… बाबा को यथार्थ पहचान उस सर्वशक्तिवान को साथ रखते… ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान लिए सब सहज है (संकल्प 💭 में भी कोई हिला नहीं सकता!) (AV 4.12.95)

मरजीवा अर्थात् पुराने संस्कार भी किसी और के लगे; तो छूना नहीं!(AV 18.6.69)


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Murli Yog 3.10.24

Murli Yog 3.10.24

वन्डरफुल ब्राइडग्रुम के साथ द्वारा चमकते ✨, दिव्य तकदीर-वान बनकर; निःस्वार्थ, उदारचित्त, परोपकारी बन सबका स्नेह ❤️, सहयोग से कल्याण कर; सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करना… Murli Yog 3.10.24… आज माँ ‘दुर्गा’ बन स्वयं के ‘दुर्गुणों’ का नाश करें!

वह ऊंच ते ऊंच रूहानी, निराकार पतित-पावन, परमात्मा शिवबाबा (ब्राइडग्रुम!); हम मीठे आत्म-सालिग्राम-सितारों (ब्राइड्स) को… नये हेवन, घोर रौशनी ☀️, सुखधाम के मालिक देवी-देवता बनाते (पवित्र राजाई डिनायसटी का वर्सा!)

तो पढ़कर होशियार 🧠 बन; श्रीमत पर दिव्यगुण अवश्य धारण करने है (सच्चाई, पवित्रता, शुद्ध खान-पान, तंग-दुःखी नहीं करना, आदि)… मुख्य बात धारण करनी है; याद की रेस, दौड़ी!

हम निश्चयबुद्धि बी.के अपने आत्म-ब्रदर्स का कल्याण करते रहते (बाबा का परिचय देते)… तो ब्राह्मण कुल की वृद्धि होती रहती… हम सब शिवबाबा के बच्चे है!

हम तकदीर-वान आत्माएं 🕯️… सच्ची सेवा द्वारा… सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करते रहते!

बाप समान निःस्वार्थ, रहमदिल 💜; उदारचित्त, कल्याणकारी 💫, परोपकारी बन… हम स्नेह, सहयोग द्वारा एकमत हो; संस्कार मिलन के रास की महानता द्वारा… सम्पूर्णता वा समय को समीप लाते!

सोने के समय बुद्धि को क्लीयर, खाली रखने… अच्छा-बुरा सब बाबा के हवाले कर, उन्हें देकर, साथ में सो जाते (निर्संकल्प हो!)… तो और स्वप्नों से भी मुक्त रहते (यह है बाबा के फरमान की ताकत 💪🏻!)

कैसे इस अन्त में पुरूषोत्तम संगम पर, बेहद ज्ञान सागर 🌊 बीज सारे विश्व 🌍 की सद्गति कर विश्व-गुरू बनते… अभी सूक्ष्मवतन में कर्मातीत शरीर द्वारा हमसे मिलते, बोलते… इस बड़े वन्डरफुल 👌🏻 नाटक, अनादि ड्रामा 🎭 के भिन्न-भिन्न एक्ट, फीचर्स हुबहु रिपीट होते हुए भी नये-नये लगते!


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Murli Yog 2.10.24

Murli Yog 2.10.24

वन्डरफुल, कम्प्लीट, अथाह सुख, शान्ति, सन्तोष, दिव्यता के ताकतवर 💪🏻 मालिक बनना; शौक से जादूई कल्याण करने की कमाई करना; ऐसी ईश्वरीय नेचर बनाना… Murli Yog 2.10.24!

हम मीठे-मीठे रूहानी बच्चों को… ‘आत्मा समझने’ लिए इसलिए कहा जाता… जो याद रहे हम आत्माओं 🪔 को वह रूहानी, पतित-पावन, वन्डरफुल बाप राजयोग पढ़ाते…

… इस चलते, फिरते 🚶. घूमते याद, सिमरण से अथाह सुख, सेकण्ड में जीवनमुक्ति पाते; सर्व मनोकामनाएं पूरी होती… क्योंकि कम्प्लीट पावन, गोरा, सतोप्रधान, सोने के, गोल्डन बनते…

तो शान्तिधाम भी जाते… फिर पीस, प्रोसपर्टी पाते; ज्ञानी, निरोगी, धनवान देवता बनते; राजा… नये गोल्डन सृष्टि के वर्से, प्रोपर्टी में; सद्गति दाता ✋🏻 द्वारा!

आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरे में प्रवेश कर… भिन्न सम्बन्ध, फीचर्स से पार्ट बजाती रहती… यह एक्युरेट 👍🏻, बना-बनाया ड्रामा 🎭 रिपीट होता रहता; फिकरात की कोई बात नहीं!

आत्मा ही ऑर्गन्स द्वारा स्वाद लेती; तो याद की ताकत द्वारा ऊंच ब्रह्मा भोजन बनाने से… स्वीकार करने वाले का कल्याण हो, ह्रदय शुद्ध होता, साक्षात्कार भी हो सकते… इतनी ब्रह्मा भोजन की महिमा है; देवताओं को भी पसन्द है; तो क्यों नहीं थाली धोकर पियें… जितना उन्नति को पायेंगे, ऐसा भोजन मिलता रहेगा!

तो मधुबन 🏫 में है जादूगर 🧙‍♂️ की मुरली 📃 (जो मनुष्य से देवता बनाती!)… और यहां है सबका कल्याण करने की कमाई करना (गृहस्थ में रहते भी सेवा उठाना; शौक से, चित्रों द्वारा जीवन कहानियां स्पष्ट!)

ब्राह्मण कुल की रीति 👌🏻 है हर चलन सुखदाई… ऐसे परिवर्तन द्वारा ईश्वरीय नेचर बनाने से अनेकों को सन्तुष्ट करते… हमारा ऑक्युपेशन ही है शान्तिदूत बन सबको शान्ति देना!

निःस्वार्थ भाव से विचार 💭 दे… सेवा की ऑफर करना… (इससे इच्छा, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध आदि सबसे मुक्त रहते!)


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Murli Yog 1.10.24

Murli Yog 1.10.24

सर्व प्राप्तियां 🌈, खज़ाने, गुण, शक्तियों ⚡ के भाग्य की कमाई जमा करने का एकमात्र उपाय – दिव्य आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा प्यार से बाबा की याद… Murli Yog 1.10.24… एक तारीख को; दिल ❤️ वा मन 💭 में भी एकानामी रहना, तो बोल में भी सिर्फ एक बाबा हो!

हम रूहानी बच्चों अर्थात् आत्माओं 🪔 को बाबा समझाते… तो यह ‘आत्मा हूँ’ की मूल, मुख्य पाठ वा प्रेक्टिस को… एकान्त, साइलेन्स में; फुर्सत निकाल पक्का करना है…

… इससे ही उस आत्माओं के, रूहानी, अनादि परमपिता की याद भी पक्की ✊🏻 रहती… क्योंकि वह भी निराकार आत्मा है; सिर्फ सुप्रीम, ऊंच ते ऊंच… तो उन्हें प्यार ❤️ से याद करते!

इससे ही पावन, सतोप्रधान, पुण्य आत्मा बनने का वर्सा पाते… जिसकी प्रालब्ध वहां शिवालय, दिन में सुख पाते; अमर, आयुश्वान भव वाली फुल 💯 आयु… तो पवित्र बन, दिव्यगुण भी धारण करते (वाणी से परे, मूलवतन घर भी जायेंगे; हम सितारे!)

तो कितनी अच्छी नॉलेज, शिक्षा इस गॉडली यूनिवर्सिटी 🏫 में स्वयं भगवान् 🛐 हमें पढ़ाते (आदि देव, भाग्यशाली रथ द्वारा; एडाप्टेड़ ब्राह्मण बनाये!)… तो यह पैगाम दे, कल्याण करने वाले फूल 🌸 ही बाबा के दिल पर चढ़ते (ज्ञान डांस भी अच्छा होता; सामने बैठने चाहिए!)

हम शमा 🔥 पर स्वयं को इतना मिटाते; जो पुराने, ‘मेरे’ संस्कार, नेचर समाप्त हो; बाप समान अव्यक्ति फीचर्स बनते… हमारी मुख्य फाउण्डेशन पवित्रता को धरत परिये धर्म नहीं छोड़ते… यह पवित्रता ✨ ही परमात्म ज्ञान की नवीनता है; इससे ही ज्ञानी, योगी आत्मा बन सकते; तो सम्पूर्ण लगाव-मुक्त हो प्रकृति को भी पावन करने की सेवा करते!


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Murli Yog 30.9.24

Murli Yog 30.9.24

ऊंची, परम गोद की पावन पालना के नशे, मस्ती में बैटरी चार्ज की उन्नति कर लक्की, चैतन्य, दिव्य ✨, प्यारा ❤️, पूज्य फरिश्ता 🧖 बनना; सबको भगवान् 🛐 से मिलाने की गुण 🌈, विशेषता धारण कर; सेवा में हड्डियां स्वाहा करके… Murli Yog 30.9.24!

वह ऊंच ते ऊंच रूहानी बाप, निराकार पतित-पावन, परमपिता परमात्मा परमधाम-निवासी शिवबाबा… ज्ञान सागर 🌊 होने कारण हमें राजयोग का ज्ञान, मन्त्र भी देते; सुधार, पालना के लिए पढ़ाई, शिक्षा भी देते… स्व-चिन्तन में मस्त रह उन्नति में टाइम सफल करो; अपनी घोट तो नशा चढ़े!

तो जबकि हम बाबा की गोद में है; अभी याद की हाइएस्ट युक्ति, मूल बात, नम्बरवन सब्जेक्ट द्वारा… सतोप्रधान बन, बैटरी चार्ज कर पूज्य ✋🏻, चैतन्य देवता बनना है… ऊंच, नम्बरवन, प्यारा श्रीकृष्ण सो लक्ष्मी-नारायण 🫅🏻👸🏻 बनना… नई दुनिया 🌏, स्वर्ग के वर्से में!

तो बाबा इस पुरूषोत्तम संगम पर भाग्यशाली रथ द्वारा श्रीमत देते… हम कोटों में कोई विरल आत्माओं; अच्छा पढ़ने वाले लक्की, मीठे बच्चों को!

आत्मा का ही कनेक्शन शिवबाबा के साथ है (हम उनके बच्चे है!)… हम आत्मा ही उस मूलवतन, निराकारी सृष्टि के स्टॉक से यहां आये, शरीर धारण कर जीव-आत्मा बन पार्ट बजाती… अब वहां वापस जाना हैं (शरीर तो जल जायेगा!)

पहले सूक्ष्मवतन-वासी फरिश्ता बनेंगे… (हड्डी-मास बिना; क्योंकि हड्डियां 🦴 तो दधीची ऋषि मिसल यज्ञ-सेवा में स्वाहा कर दी!)… फरिश्ता जीवन कर्मातीत होने कारण शुद्ध वा पीछले कर्मों के बन्धन से भी न्यारे है; इसीलिए हमारी विशेषता में ‘इच्छा मात्रम अविद्या’ का गायन है!

हम रूहानी सोशल वर्कर सबको भगवान् 🛐 से मिलने का ठिकाना दिलाते… सब अच्छे गुण 🌈, विशेषता, सेवा दाता की देन है; इस स्मृति 💭 से लगाव-मुक्त, आकर्षण-मुक्त 🧲, प्रभाव-मुक्त रहते!


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Murli Yog 28.9.24

Murli Yog 28.9.24

मीठे, लाड़ले, कल्याणकारी 💫 के संग, पास रह दिव्य सुख, शान्ति, बड़ी आयु की अमर प्राप्ति; अर्थात् सर्व वरदान, गुण 🌈. खज़ानों 🪙 से सम्पन्न राजा; दाता ✋🏻, अखण्ड महादानी बनना; सहनशील, साक्षी हो हर खेल मज़े से, मायाजीत हो देखना… Murli Yog 28.9.24!

इस अनादि नाटक में कल्याणकारी, पुरूषोत्तम संगम पर… ऊंच ते ऊंच परमपिता; बेहद ज्ञान सागर 🌊, चैतन्य बीज, टीचर; साथ ले जाने वाला सतगुरू, निराकारहम निराकार आत्माओं 🪔 को पढ़ाते; हम कानों द्वारा सुनने वाले रूहानी, मीठे, लाड़ले बच्चे है…

… ऐसे समझदार हो, एकान्त में याद, राजयोग द्वारा पावन, सतोप्रधान बन मुक्ति में बाबा पास जाते… फिर सर्वगुण सम्पन्न देवता, डबल सिरताज लक्ष्मी-नारायण 🫅🏻👸🏻 मालिक बनने का ऊंच पद 🏆 पाते…

… उस नई दुनिया की बादशाही के वर्से में; जहां बहुत सुखी, धनवान, शान्ति में रहते… सतोप्रधान शरीर की आयु बड़ी अर्थात् आयुश्वान भव का अमर वरदान मिला हुआ है (गर्भ महल से बाहर आना भी जैसे बीजली चमकती!)… एक धर्म, राज्य, भाषा!

यह सारा ज्ञान हमारी बुद्धि में धारण रहता; जिससे चक्रवर्ती राजा बनते… और औरों को भी समझा सकते, बन्धनमुक्त बन… बाबा को अपना गुप्त, पूरा वारिस बनाते; बाबा हमारा सबकुछ आपका, आपका सब हमारा (अर्थात् हम भी वारिस!); कितना अच्छा सौदा 🤝🏻 है!

हम सर्व खज़ानों से सम्पन्न श्रेष्ठ आत्माएं 🕯️, दाता के बच्चे मास्टर दाता, अखण्ड महादानी; एक सेकण्ड भी दान दिये बिना नहीं रहते; इसलिए राजा बनते… साक्षी हो हर खेल देखते 👁️; जो हो रहा अच्छा, जो होने वाला और अच्छा; मज़े से, मायाजीत हो… हम सहनशील आत्मा; व्यर्थ भाव, स्वभाव से परे है!


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Murli Yog 27.9.24

Murli Yog 27.9.24

मीठी शान्ति, दिव्य सुख वा खुशी की चमत्कारी ताकत के वन्डरफुल मालिक 👑 बनना; यही है स्नेह ❤, प्यार का सबूत; साथ-साथ स्वमान में स्थित रह सर्व को सम्मान देने वाले माननीय बनना; श्रेष्ठ कार्यों के जिम्मेवार बन मन्दुरूस्त रहना… Murli Yog 27.9.24!

हमें सम्मुख गर्म-गर्म हलुआ 😋 मिलता… अर्थात् मीठे-मीठे, रूहानी बच्चें कह वह रूहानी, सुप्रीम, बेहद बाप हम आत्माओं 🪔 को राजयोग 🧘‍♀️ की शिक्षा पढ़ाते… ओम् शान्ति अर्थात् हम आत्मा-स्टार्स ऊपर शान्ति, निराकारी, ब्रह्म तत्व में थी; इस कर्मक्षेत्र पर शरीर ले कर्म करती…

… हम आत्माएं 🕯️ ही पहले ईश्वरीय राज्य, वैकुण्ठ, सुखधाम में लक्ष्मी-नारायण 🫅🏻👸🏻 मालिक के ऊंच पद 🏆 वाले देवता थे; ईश्वरीय वन्डर ऑफ वर्ल्ड पैराड़ाइज के वर्से में deitism… आत्मा में ही राज्य करने की ताकत 💪🏻 है!

याद में रहने वाले है पुण्य आत्मा, सतोप्रधान; पवित्र, चमत्कारी; महारथी पहलवान 🤼‍♂️, विजयी 🇲🇰 (क्योंकि बाबा है पतित-पावन, सर्वशक्तिमान, वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी!)… तो दिल अन्दर कितनी खुशी होनी चाहिए; हम हेवन स्थापन कर रहे…

… पढ़ाई भी सहज है; बिगर खर्चे मम्मा कैसी नम्बरवन, होशियार 🧠, राजयोगिन बन गयी… परन्तु खबरदार, अक्लमंद भी रहना है; भाई-बहन सो भाई-भाई बनना है (फिर वहां ऊपर भी भाई-आत्माओं से मिलेंगे!)…

… यह न्यारा ज्ञान है… इस ड्रामा 🎭 में एक सेकण्ड न मिले दूसरे से… आबू सर्वोत्तम, श्रेष्ठ, बड़ा तीर्थ है जहां से सर्व की सद्गति होती; अन्त में महिमा होंगी (अहो शिवबाबा ✨ तेरी लीला!)

हम सदा स्वमान में स्थित 🎯 रह… सर्व को सम्मान देने वाले… माननीय है!

हद की इच्छाओं से परे रह… सभी श्रेष्ठ सेवा के कार्यों में, ब्राह्मण आत्माओं की उन्नति, आदि में जिम्मेवार बनने से… प्रत्यक्षफल सदा मन्दुरूस्त, खुश, मन्मनाभव रहते!

हम स्नेही वा ज्ञानी आत्माओं के प्यार का सबूत है… सबकुछ न्योछावर, कुर्बान करना… (व्यर्थ संकल्प 💭, गुण-विशेषता का अभिमान, आदि सर्व मूल कमजोरियां!)


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Murli Yog 26.9.24

Murli Yog 26.9.24

मीठे, लाड़ले, प्रिय बन एक से प्रीत, संग, पास रह कल्याणकारी 💫 खुशी, सुख, शान्ति के मालिक बनना; ऐसे रूहानी वायब्रेशन द्वारा शक्तिशाली वायुमण्डल 🌬️ बनाना अर्थात् देने से स्वतः सम्पन्न 🪙 बनना; यह है ज्ञान-घृत द्वारा सदाकाल के लिए आत्म-दीप 🪔 जगाना वा स्नेह ❤ का रिटर्न देना… Murli Yog 26.9.24!

जबकि हमें मीठा बाबा मिला है… हम लाड़ले बच्चे उनके पास आये हैं… उसके अति प्रिय ईश्वरीय सन्तान बने हैं (और इसी ईश्वरीय संग में रहते!)… तो ईश्वर से पूरा वर्सा लेने…

… सदा ईश्वरीय मत, राय पर उठते, बैठते, चलते, फिरते 🚶 याद द्वारा पावन, सतोप्रधान बनना; अर्थात् आत्म-दीप जगाने का कल्याण कर, सद्गति पानी है; सदा खुश, सुधरा हुआ क्रोध-जीत बनना है…

… तो सुखधाम की बादशाही, राज्य के मालिक लक्ष्मी-नारायण 🫅🏻👸🏻 बनने का ऊंच ते ऊंच पद 🏆 प्राप्त करते… जहां सब सतोप्रधान अर्थात् आत्म-ज्योति जगी हुई है; 21 जन्मों के लिए ज्ञान-घृत भरपूर!

तो इस वन्डरफुल 👌🏻 ज्ञान द्वारा सबको पावन बनाए, सच्ची खुशी दिलानी है; यह बाबा को मदद देनी है… रूहानी बाप, टीचर, सतगुरू की रूहानी 💐 पढ़ाई, विद्या द्वारा जन्म-जन्मांतर कल्प-कल्पान्तर का फायदा है… तो खबरदारी से चलना; यह होलीएस्ट ऑफ होली स्थान है!

ऐसे हम रूहानी वायब्रेशन्स द्वारा शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने वाले; सबसे श्रेष्ठ सेवाधारी है… सर्व की शुभ इच्छाएं पूर्ण करने वाली मूर्ति बनने का दृढ़ संकल्प 💭 करने से; अर्थात् देने से स्वयं स्वतः सम्पन्न बन जाते!

बाबा का हमसे इतना स्नेह है कि कमी देख नहीं सकते; हमारी गलती भी अपनी समझते; हमें सम्पन्न, सम्पूर्ण 💯🔋, समान देखना चाहते… तो इस स्नेह का रिटर्न; स्वयं को टर्न करना अर्थात् सिर्फ रावण का शीश उतार देना है!

Thanks