The invincible armor! | Sakar Murli Churnings 09-01-2020

The invincible armor! | Sakar Murli Churnings 09-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम रूहानी ब्राह्मण-बच्चे-स्टूडेंट-आत्माएं-एक्टर्स परमधाम से आई है… और अब अन्त में, ऊँच ते ऊँच-भगवान् शिवबाबा-नॉलेजफुल-सतगुरू भी आए है… ब्रह्मा-तन से हमें पढ़ाकर नई दुनिया-सतयुग-स्वर्ग का वर्सा देते (देवता, लक्ष्मी-नारायण रूप में)… यह सब को सर्विसएबुल बन समझाना (यह अनादि-अविनाशी-बहुत अच्छा ड्रामा है, बाकी समय थोड़ा है)

2. तो घर-गृहस्थ में रहते भी, जज कर बाबा-श्रीमत पर सम्पूर्ण-निश्चयबुद्धि बन… उनकी याद-योग-मन्मनाभव से मायाजीत रहना है, यह पवित्रता-मधुरता-खुशी सबको कशिश करेंगी… हमे कोई कुछ नहीं कर सकेगा (देही-अभिमानी स्थिति-योगबल ही ढाल है)

चिन्तन

जबकि हमें योग की सर्वश्रेष्ठ ढाल मिली हुई है… तो सदा ज्ञान-चिन्तन द्वारा योग के शुभ-संकल्पों से सम्पन्न बन… इन्हीं संकल्पों को दोहराते, बुद्धि को एकाग्र कर, बाबा से ढेर सारी शक्तियां लेते… अपने आसपास शक्तिशाली-पवित्रता का आभामण्डल-छत्रछाया-सुरक्षा मेहसूस करते, शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Waking up early daily! | Sakar Murli Churnings 08-01-2020

Waking up early daily! | Sakar Murli Churnings 08-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस स्कुल-रथ (प्रजापिता ब्रह्मा-माँ) द्वारा… स्वयं भगवान्-वृक्षपति-शिव, बाप (रचता) टीचर (ज्ञान-सागर बीजरूप) सतगुरू (सद्गति-दाता)… हमे मीठे-सिकीलधे बच्चेे-स्टूडेंट-ऐक्टर्स को… सम्मुख-प्यार से ज्ञान-रत्नों से श्रृंगारते वा रोशनी-राह-ज्ञान पढ़ाते, और हम उन्हें याद कर विकर्म विनाश-कमाई कर गुल-गुल खुश-लायक बन… नई-पवित्र दुनिया स्वर्ग-बहिश्त-सुखधाम के मालिक बनते (देवता-लक्ष्मी नारायण रूप में)

2. तो बाबा का पूरा बन, फाॅलो कर… सवेरे उठकर ज्ञान का सिमरण-उगारते (कैसा यह वन्डरफुल ड्रामा है, बाबा हमें रावण से छुड़ाते, आदि)… बाबा से बातें-याद जरूर करते रहना है… बाबा की इज्ज़त भी सम्भालनी हे

चिन्तन

जबकि सुबह-जल्दी उठकर याद-चिन्तन करने में इतनी सर्वोत्तम प्राप्तियां है (और अमृतवेला पिछले श्रेष्ठ बीते-दिन का ही ईनाम है)… तो सदा स्वयं को ज्ञान-योग-समर्पण के बल से व्यर्थ-मुक्त रख, हर कार्य सहज-जल्दी पूरा करते… जल्दी से योग में बैठ सोने का लक्ष्य रखते, अपनी-सर्व की सर्वश्रेष्ठ धारणा बनाते… इस श्रीमत के बल से सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming victorious every kalpa! | Sakar Murli Churnings 07-01-2020

Becoming victorious every kalpa! | Sakar Murli Churnings 07-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. स्वयं ऊँच ते ऊँच-सुप्रीम सर्वशक्तिमान ज्ञान-सागर त्रिमूर्ति-परमात्मा शिव बाप-टीचर-सतगुरू… प्रजापति ब्रह्मा-माँ में प्रवेश-अकर… हम मीठे-रूहानी ब्राह्मण बच्चों-स्टूडेंट-आत्माओं को…

2. इस चक्र-झाड़-ड्रामा का ज्ञान दे… याद-राजयोग-मन्मनाभव सिखाकर… शक्तिशाली पावन-सतोप्रधान हर्षित-मीठे-सुखदाई-प्रेम से चलने वाला सर्वगुण-सम्पन्न बनाते…

3. और टीचर बन, हम सबकी सेवा करते (भल थोड़ी मेहनत लगे)… जिससे नई दुनिया-स्वर्ग-परिस्तान-हेवन-paradise के वर्से (राजधानी-फूलों के बगीचे में उत्तम-पद पाते)… वाया शान्तिधाम-घर

4. तो अभी श्रेष्ठ पुरूषार्थ कर… कल्प-कल्प लिए श्रेष्ठ प्रालब्ध फिक्स कर देनी है

चिन्तन

जबकि हमारा अब का पुरूषार्थ कल्प-कल्प की नुन्ध बन जाएंगा… तो सदा उठते ही श्रीमत की ढाल पकड़, बाबा से कनेक्शन जोड़, सर्व गुण-शक्ति सम्पन्न बन… सारा दिन अटेन्शन-चिन्तन द्वारा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहते-करते… रात को भी बाबा की गोद में सोते, अपने श्रेष्ठ जीवन द्वारा सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Truly serving the world! | Sakar Murli Churnings 06-01-2020

Truly serving the world! | Sakar Murli Churnings 06-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. स्वयं प्रभु-ईश्वर पतित-पावन सुखकर्ता-परमात्मा बाप… हमें मुक्ति-जीवनमुक्ति की राह-ज्ञान-श्रीमत देते (सिर्फ पावन-फूल बनना है)… तो भारत भी राम-राज्य (नई दुनिया-दिन हेवन-सतयुग-स्वर्ग-परिसतान सचखण्ड-सुखधाम) बनता, सम्पूर्ण पीस-प्रासपर्टी (लम्बी आयु-धनवानहैप्पी), राइटियस-रिलीजस-सालवेन्ट-पवित्र देवताओं की… यही भारत की सच्ची-रूहानी सेवा-प्यार है (जैसे बाबा हमारी निराकारी-निरहंकारी ओबीडियेन्ट सर्वेन्ट बन सेवा करते)

2. तो बहुत-बहुत खुशी-नशे में, दिव्यगुण-सम्पन्न बनने लिए… अपने को अशरीरी-आत्मा समझ रूहानी-बाप की याद में रहना है… पुरुषार्थ पूरा करना है (तो प्रालब्ध भी पूरी मिलेंगी)

चिन्तन

जबकि देश हम एक-एक के कर्म-वाइब्रेशन से ही बनता, इसलिए देश की सच्ची-सेवा करने स्वयं को सम्पूर्ण-सतोप्रधान बनाना पड़े… तो सदा बाबा के ज्ञान-चिन्तन योग-प्रयोगों द्वारा, स्वयं को सदा ऊँची-फरिश्ता शान्ति-प्रेम-आनंद सम्पन्न-स्थिति में स्थित करते-सबको कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Holiest of Holy! | Sakar Murli Churnings 04-01-2020

Holiest of Holy! | Sakar Murli Churnings 04-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम ब्राह्मण-बच्चों-आत्माओं को अन्दर देखना है, कितने पाप खत्म कर पावन-सतोप्रधान पुण्य-आत्मा बनें है (जो चलन-आसानी-खुशी-सेवा से प्रत्यक्ष होता)… जितना याद करेंगे, उतना उन्नति-खुशी होती, अन्त में कर्मातीत बनेंगे

2. जितना टीचर बन औरों का कल्याण करते (बाबा का परिचय देते रहते), अपनी ही याद बढ़ती (सर्विस-लायक बनते जाना हैं)… यह सब हम सत्य-ज्ञान सागर परमात्मा-इश्वर शिवबाबा की श्रीमत-ज्ञान-पढ़ाई के आधार पर करते… फिर (वाया शान्तिधाम-घर) नई-पावन दुनिया स्वर्ग-सतयुग का मालिक बनते (हम सारे झाड़-ड्रामा को जानते)

चिन्तन

जबकि हम होलीएस्ट ऑफ होली बाबा के बच्चें है… तो सदा अपनी स्थिति-खुशी-दिव्यगुणों की धारणा की चेकिंग करते, इस अव्यक्त-मास में अपने याद के चार्ट को रोज़-रोज़ बढ़ाते, सदाकाल के परिवर्तन का अनुभव करते… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहने-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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A clean, happy Intellect! | Sakar Murli Churnings 03-01-2019

A clean, happy Intellect! | Sakar Murli Churnings 03-01-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

इस संगम-परिवार-स्कुल में… स्वयं परमात्मा-भगवान्-प्रभु ईश्वर पतित-पावन सुखदाई मात-पिता… हमें स्प्रीचुअल नॉलेज (वा याद की यात्रा सिखाकर) स्वच्छ-पावन-खुशी से भरपूर (रोमांच खड़े) कर… स्वर्ग-सतयुग-नई दुनिया का वर्सा देते (ऊँच-सतोप्रधान-सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण रूप में, सम्पूर्ण सुखमय-प्रकृति-शरीर)… हम सारी सीधी-झाड़-ड्रामा को जानते (समय अब थोड़ा है, माया के पॉम्प से बचे रहना है)

चिन्तन

जबकि आन्तरिक स्वच्छता ही सच्ची खुशी का आधार है… तो सदा बाबा से सच्चे-साफ यह, ज्ञान-जल और योग-अग्नि द्वारा, सारा दिन बीच-बीच में स्वयं को रिफ्रेश करते… अपने दिव्य-दैवी शान्ति-प्रेम-आनंद के संस्कार को सदाकाल जागृत करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Blessing ourself! | Sakar Murli Churnings 02-01-2020

Blessing ourself! | Sakar Murli Churnings 02-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. स्वयं ऊँच ते ऊँच, रूहानी-निराकार सर्व का सद्गति-दाता, सुखदाई शिवबाबा…. प्रजापिता-ब्रह्मा द्वारा… हम मीठे-सिकिलधे ब्राह्मण-बच्चो-आत्माओं को… रूहानी-ज्ञान देकर उस एक को याद करना सिखाते, जिससे विकर्म-विनाश हो दिव्य-गुणवान सुखदाई बनते, बाबा के सच्चे-वारिस बन विजय माला में आ जाते… ऊँच-सतोप्रधान देवता लक्ष्मी-नारायण विश्व के मलिक रूप में (ईश्वरीय राज्य-वर्से में)

2. तो स्वयं पर आपेही कृपा कर, पढाई द्वारा आत्मा का पाठ पक्का कर, पक्का-मातेला बच्चा बनना… भुतों (विकारों की प्रवेशता) से बचे रहना

चिन्तन

जबकि कर्मों के ज्ञान अनुसार हमें ही स्वयं पर कृपा करनी है… तो सदा हर कदम श्रीमत (जो बाबा की सबसे बड़ी कृपा है) पर चल ज्ञान-योग-धारणा-सेवा सम्पन्न ईश्वरीय-दिनचर्या द्वारा… अपनी आन्तरिक अवस्था को शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर होता अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The magic of churning! | विचार सागर मंथन | Sakar Murli Churnings 31-12-2019

The magic of churning! | विचार सागर मंथन | Sakar Murli Churnings 31-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम-ब्रह्मा तन द्वारा… हम मीठे बच्चे-स्टूडेंट-ब्राह्मण अनादि-अविनाशी आत्माओं को… ज्ञान-सागर बाबा ज्ञान-रत्नों से मालामाल करते, जिनको मंथन-धारण कर, हम दिव्यगुण-सम्पन्न (सदा खुश, हर्षित, मधुर) बनते… सब को भी बांटते रहते… फिर सतयुग-वर्से-सद्गति के मालिक, सम्पूर्ण-धनवान सर्वगुण-सम्पन्न लक्ष्मी-नारायण बनते

2. तो बाकी सब भूल, अपने कर्मों पर पूरा अटेन्शन रखना है… एक पतित-पावन शिवबाबा-परमात्मा-ईश्वर की याद में रहना है (जिससे मायाजीत रहते)

चिन्तन

जबकि ज्ञान-सागर बाबा हमें सर्वश्रेष्ठ ज्ञान-रत्नों से सम्पन्न कर रहे… तो सदा इन्हीं के चिन्तन में रहते, स्वयं को भिन्न-भिन्न स्वमान में स्थित कर, बाबा के समीप आते… सदा शक्तिशाली शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Looking at our future form! | Sakar Murli Churnings 30-12-2019

Looking at our future form! | Sakar Murli Churnings 30-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम-बेहद रात में… हम मीठे-रूहानी बच्चें (अविनाशी-अमूल्य आत्मा, सत-चित्-आनंद शान्त-स्वरूप).. अपने रूहानी-सत्य-सुखकर्ता निराकार शिव बाप-टीचर संग ज्ञान सुनते… अपना भविष्य-पुरूषोत्तम-दैवी लक्ष्मी-नारायण स्वरूप देख रहे (नई दुनिया-सद्गति सुखधाम-फूलों के बगीचे का)

2. जिसके लिए सिर्फ अपने मीठे-पावन एक-बाबा को प्यार से याद कर… पावन-सतोप्रधान-मीठा-खुशबुदार फूल बनना है… सबको बाबा का परिचय देते रहना (हमें सारे ड्रामा का ज्ञान है, एक पार्ट न मिले दूसरे से)

चिन्तन

जबकि हमारा सम्पूर्ण-भविष्य-दैवी स्वरूप हमारे सामने है… तो सदा उसी को देखते-चिन्तन करते, उन जैसे मीठे-दैवी लक्षण अपने में धारण करने लिए… बाबा की प्यार-भरी मीठी यादों में खोए रह, सदा उसके साथ-combined-ऊपर रहते…. शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर मायाजीत रहते-करते, सतयुग बनाते चले.. ओम् शान्ति!


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Being a true Pandav! | Sakar Murli Churnings 28-12-2019

Being a true Pandav! | Sakar Murli Churnings 28-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम-ब्रह्मा तन द्वारा… स्वयं बड़ा व्यापारी-सोनार-ज्ञान सागर सतोप्रधान परमात्मा-बाप… हमें प्रितबुद्धि-याद करना पढ़ाकर, दिव्यगुण-पावन बनाकर सच्ची-कमाई कराते… अर्थात् नई देवताओं की दुनिया-धर्म-राज्य की स्थापना करते (ऊँच लक्ष्मी-नारायण का दैवी घराना, सम्पूर्ण धनवान)… हम कितना ऊँच बनते, बाकी समय थोड़ा है (बाबा सदा तो बैठे नहीं रहेंगे)… हम सारे चक्र-ड्रामा को जानते

2. तो रोज़ पढ़ाई की लिंक न टूटे… योगबल के मुख्य अस्त्र-शस्त्र द्वारा माया पर विजयी जरूर बनना है (अभिमान से भी परे)… रूप-बसन्त बन सबकी सेवा करनी है

चिन्तन

जबकि हम बाबा के सच्चे-सच्चे प्रीतबुद्धि-पाण्डव है… तो सदा अपने पाण्डव-पति बाबा की श्रीमत पर, बाबा को बहुत प्यार से याद करते, सारे पुराने-पन के कीचड़े को भस्म कर मायाजीत बन… सदा सुख-शान्ति-प्रेम-आनंद-दिव्यगुण सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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