The divine refreshment! | Sakar Murli Churnings 14-12-2019

The divine refreshment! | Sakar Murli Churnings 14-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम मीठे-मीठे बच्चों (मन-बुद्धि वाली छोटी-आत्मा पार्टधारी) के बुलावे पर, इस संगम-स्कुल-ब्रह्मा तन द्वारा… स्वयं सदा-पावन अविनाशी-परलौकिक जादूगर-बाप, हमें अपनी गोद मे ले... सत्य ज्ञान-पढ़ाई द्वारा देही-अभिमानी बनाते, जिससे ही याद सहज होती

2. जिस याद से नई-पावन दुनिया स्वर्ग-सुखधाम-परिस्तान वर्से-दिन के मालिक बनते… सतोप्रधान-श्रेष्ठ देवता लक्ष्मी-नारायण रूप में… सदा विश्राम की, सतोप्रधान-शोभनीक दुनिया में

3. तो बहुत खुशी में रहना है… याद की ताकत द्वारा पारस-बुद्धि बन, सब को समझाना है (जबकि हम सारे चक्र-ड्रामा को अच्छे से जानते)

चिन्तन

जबकि बाबा के संग में आकर, हम सब पुराने दुःख-थकावट से परे हो गये है… तो अब ऐसे अति प्यारे ते प्यारे बाबा की श्रीमत पर चल, सदा बाबा के ज्ञान-योग की अनोखी बातों से स्वयं को घेर… हर पल स्वयं-सर्व के बुद्धियोग को बाबा से जुड़ाते-समीप लाते, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Charity begins at home! | Sakar Murli Churnings 13-12-2019

Charity begins at home! | Sakar Murli Churnings 13-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ओम् शान्ति अर्थात्‌ मैं आत्मा शान्त-स्वरूप, शान्ति के सागर की सन्तान हूँ… पवित्रता से ही सुख-शान्ति-चैन है, पावन दुनिया-स्वर्ग-वैकुण्ठ सचखण्ड-सुखधाम के मालिक बनते… यह वर्सा स्वयं परमात्मा-गॉड-खुदा बाप-ट्रथ हमें देते, ब्रह्मा-आदि देव-आदम द्वारा… वाया शान्तिधाम-ब्रह्माण्ड, हम सारे चक्र को जानते

2. तो इस ज्ञान-सागर सत्-चित-आनंद बीजरूप बाबा के… ज्ञान वा याद-योग-तपस्या द्वारा सच्ची कमाई अवश्य करनी-करानी है (कमल-फुल समान रह… हम ही वह ब्रह्मा के कुमार-कुमारी है, जो 21 कुल का उद्धार-सुखी करती)

चिन्तन

जबकि चैरिटी बिगिन्स एट होम… तो सदा पहले स्वयं को शुभ-भावना ज्ञान-चिन्तन याद द्वारा सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न श्रेष्ठ स्थिति सदा खुश बनाए… तो स्वतः हमारे दिव्य वाइब्रेशन, चमकते हुए श्रेष्ठ चेहरे-चलन द्वारा, मधुर-ऊँच बोल-व्यावहार द्वारा सबकी सेवा होते… सतयुग बनता रहेगा… ओम् शान्ति!


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Smiling always! | सदा हर्षित | Sakar Murli Churnings 12-12-2019

Smiling always! | सदा हर्षित | Sakar Murli Churnings 12-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम लाड़ले-मीठे सपूत-फरमानवरदार बच्चें… हंसते-खेलते-नाचते-खुशी से… भविष्य में प्रिंस-प्रिंसेस बन रहे (पावन दुनिया-स्वर्ग के वर्से में, देवता-रूप में… जहां सब फुल-प्रूफ होंगा, अकाले मृत्य भी नहीं)

2. तो श्रीमत पर (निश्चय-सच्चाई से, बुद्धि से समर्पित हो, फॉलो-फादर कर)… अच्छे से पढ़कर, बाकी सब भूल अपने को आत्मा समझ रूहानी-शिवबाबा की याद-राजयोग में रहना है… तो उल्टे-संकल्प समाप्त हो (भल माया आएं), हम सदा हर्षित बन जाएंगे

3. साथ में, सबकी सेवा जरूर करनी है (बरसना-समझाना-सुख देना)

चिन्तन

जबकि स्वयं भगवान् ने हमें अपना लाड़ला-बच्चा बनाकर मुस्कुराना सीखा दिया है… तो सदा अपने को सपूत-सच्चा बच्चा समझ, उठते ही बाबा के प्यार में समाकर, उनकी शान्ति-प्रेम-आनंद की शक्तियों से सम्पन्न बन… सारा दिन बाबा के ज्ञान चिन्तन-यादों में रहकर कार्य-व्यवहार करते, अपने श्रेष्ठ चेहरे-चलन-बोल से सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 11-12-2019

The wonderful drama! | Sakar Murli Churnings 11-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ड्रामा-अनुसार इस संगमयुग (ट्रांसफ़र हो पुरुषोत्तम बनने के युग) में… रूहानी-बाप हम रूहानी-बच्चों को सत्य-समझ देते, अपनी वा हमारी:

बाप:

  • कौन है?… स्वयं भगवान् (नाम-रूप सहीत, शिव निराकार)
  • कहां रहते?… परम-शान्ति-मुक्ति-निर्वाणधाम घर में
  • किस तन में आते?… ब्रह्मा-तन
  • क्या करते?… पुरानी दुनिया को नई-सतोप्रधान दुनिया स्वर्ग-सुखधाम बनाते… जिसमें हम सदा सुखी-सतोप्रधान देवता-रूप में होंगे

हम:

  • अविनाशी-आत्मा है… 84 जन्मों के अविनाशी पार्टधारी… हीरो-हीरोइन
  • बाबा के मीठे-बच्चें है… जिन्हें अब बेहद-वर्सा मिल रहा

2. जबकि हमनें इतना बाबा को पुकारा-वायदा किया था, तो अब उनका बनअच्छे से पढ़ना है (मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई)… सबकुछ भूल अपने को आत्मा समझ बाबा की याद में लग जाना हैं… टीचर बन करावनहार-बाप के साथ सबको समझाना-कल्याण करना है, तो सबकी आशीर्वाद-ऊँच पद मिलेगा

चिन्तन

जबकि हमें ड्रामा का सर्वश्रेष्ठ-ज्ञान मिला है… तो सदा वर्तमान में श्रेष्ठ स्मृति रख (जो श्रेष्ठ पुरूषार्थ-प्राप्ति अब करेंगे, वह कल्प-कल्प रीपीट होगा), श्रेष्ठ-पुरूषार्थ द्वारा सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न बन… पास्ट को कल्याणकारी-सीन समझ फुल-स्टॉप लगाए, सब पार्टधारी को सहज स्वीकार करते… स्वयं-सर्व का सर्वश्रेष्ठ-स्वर्णिम भाग्य बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being Sheetla Devi! | Sakar Murli Churnings 10-12-2019

Being Sheetla Devi! | Sakar Murli Churnings 10-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम सब आत्माएं भाई-भाई है, एवर-प्योर सर्वशक्तिमान शिवबाबा की सन्तान… सतयुग में बहुत ताकतवर-निर्विकारी थे, अब फिर सर्वशक्तिमान पतित-पावन की याद द्वारा पावन-शीतल-सतोप्रधान-बैटरी चार्ज बन सम्पूर्ण वर्से के अधिकारी बनते (नई दुनिया-स्वर्ग-सचखण्ड के मालिक, देवी-देवता रूप में)… वाया शान्तिधाम-घर, हम सारे चक्र को जानते

2. हम निश्चय-बुद्धि बच्चें है, आत्मा में श्रेष्ठ संस्कार भर रहें (और कोई ममत्व नहीं)… फिर शीतला-देवी पण्डा बन, सबको ज्ञान के छिटें दाल पवित्र बनाते (जिससे वह भी घर-स्वर्ग योग्य बनें)

चिन्तन

जबकि बाबा ने हमें शीतला-देवी बना दिया है… तो सदा ज्ञान-कलश द्वारा पहले स्वयं सदा योगयुक्त शान्ति-प्रम-आनंद सम्पन्न बन… फिर हमारे दिव्य-वाइब्रेशन, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न चेहरे, सुखदाई चलन द्वारा… सबको आप-समान बनने की प्रेरणा देते, ज्ञान-छिटें द्वारा सर्व खजानों से भरपूर करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ड्रामा-अनुसार इस संगम पर, हम फिर से दुर्भाग्यशाली से सौभाग्यशाली (सूर्यवंशी 16 कला सम्पूर्ण देवता, स्वर्ग-हेवन-सतयुग के मालिक, 21 जन्म सदा-सुखी) बनते… फिर जितना पुरूषार्थ करे

2. इसलिए ब्रह्मा-बाप-समान देही-अभिमानी बन, हमारे गॉड-फादर मीठे-सलोने शिव-साजन को याद करते रहना है (उन्हें खिलाकर फ़िर खाना, नहीं तो माया खाकर बलवान बन जाएंगी… इस याद के लिए पहले बैठकर अमृतवेला अच्छा अभ्यास करना)… तो सदा तन्दुरूस्त-अथक-हल्के-निश्चयबुद्धि विजयी रहेंगे… कछुए-समान कार्य करना है (फिर याद में बैठ जाना), भ्रमरी-समान भूं-भूं (सेवा) करते रहना

चिन्तन

जबकि हम सभी बाबा को याद करने की युक्तियां ढूंढते रहते… तो अपने भोजन के समय को तो पूरा ही याद का समय बनाकर… मौंन में रहकर, बाबा से मीठी-मीठी बातें करते भोजन को स्वीकर करे… तो धीरे-धीरे आसपास सभी भी स्वीकर-फॉलो करेंगे, हम अपने स्थान को ही योग-शान्ति कुण्ड बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Becoming Master Murlidhar! | Sakar Murli Churnings 07-12-2019

Becoming Master Murlidhar! | Sakar Murli Churnings 07-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर जैसे ज्ञान-सागर बाप हमें समझाते-जागृत करते, वैसे हमें भी टीचर-मुरलीधर जरूर बनना है… शिव-जयन्ती आ रही तो समझाना, शिव-निराकार की जयन्ती कैसे हो सकती? (जरूर रथ-मुख का आधार लेंगे)… बेहद-बाप जरूर बेहद-वर्सा देंगे (नई-सतयुगी-पावन-सुख-शान्ति की दुनिया, स्वर्ग का)

2. यह सारे बेहद चक्र-ड्रामा का ज्ञान हमारी बुद्धि में है, जिससे ही हम नर से नारायण (पावन-सतोप्रधान-पूज्य) बनते… बच्चें भी अपने को बिन्दी-आत्मा समझ निराकार-परमात्मा को याद कर सकते… रोज़ पढ़ने से ही पूरी तरह समझ सकते

चिन्तन

जबकि बाबा ने हमें अविनाशी-ज्ञान-रत्नों से सम्पन्न मास्टर-मुरलीधर बना दिया है… तो सदा मुरली की पॉइंट्स बुद्धि में गूंजती रहे (बार-बार पढ़कर-चिन्तन द्वारा), और उन अमूल्य-दिव्य संकल्पों द्वारा योग की सर्वश्रेष्ठ स्थितियों का अनुभव करते… सदा पवित्रता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते रहें… ओम् शान्ति!


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The divine bow! | Sakar Murli Churnings 06-12-2019

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The divine bow! | Sakar Murli Churnings 06-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम मीठे-मीठे सिकीलधे मोस्ट-बिलवेड ईश्वरीय-सन्तानों को अब ड्रामा-अन्त में परमात्मा-इश्वर मिला है, जिस निराकार-शिवबाबा की ही सारी महिमा है… जो परमधाम से आकर हमें पलकों पर बिठाकर, सर्वश्रेष्ठ स्मृतियां दिलाते (हम ही श्री लक्ष्मी-नारायण थे)…

2. तो ऐसे बाप को शुक्रिया दे, उन पूरा कुर्बान जाना चाहिए… अर्थात्‌ श्रीमत पर एक बाप की प्यार-भरी याद (मन्मनाभव-मध्याजीभव के बाण) द्वारा मायाजीत-जगतजीत बनना (स्वर्ग-वर्से के मालिक देवता, एवर हेल्थी-वेल्थी-सुखी, 21 जन्मों लिए)… बाकी थोड़ा समय है, हम सारे चक्र-भक्ति आदि को जानते

2. जबकि इस ड्रामा में हमारा ही सर्वश्रेष्ठ हीरो-हीरोइन पार्ट है, तो सच्चे ज्ञानी-योगी पवित्र-धारणा मूर्त सपूत-श्रेष्ठ जरूर बनना है, तब ही बाबा का प्यार मिलेगा… सबको बाबा का परिचय दे, जागृत करने की सेवा करनी है (समझने वाले समझ जाएंगे)

चिन्तन

जबकि हमें मन्मनाभव-मध्याजीभव के सर्वश्रेष्ठ बाण मिले हैं… तो सदा इनका प्रयोग कर, अर्थात्‌ शुभ-संकल्पों के बल द्वारा मन को शान्त-शीतल कर, उसे बाबा की यादों-स्वरूप के प्यार में मग्न कर दे… अपनी बैटरी चार्ज अनुभव कर, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Our lovely aim-objective! | Sakar Murli Churnings 05-12-2019

Our lovely aim-objective! | Sakar Murli Churnings 05-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. जबकि हम स्वर्ग के मालिक लक्ष्मी-नारायण थे (और फिर से बन रहे, यही हमारा लक्ष्य है), तो बार-बार इसी चित्र को देखते, बहुत खुशी में रहना है… एसा बनाने वाले (परमात्मा बाप-टीचर-सतगुरू) को बहुत प्यार से याद करना है (आत्मा-अभिमानी बन), पूरा बलिहार जाना हैं… तो स्वतः दैवी-बुद्धि रहेंगी (निंदा-ग्लानि-परचिन्तन-बुरे संकल्प-कर्म से परे)

2. जबकि बाबा हमें इतना प्यार करते, तो सदा उनकी शिक्षा-श्रीमत पर चलना है, तब ही ऊँच-पद बनेगा (नहीं तो छोरे कहेंगे, बहुत सजाएं भी खानी पडे़, अवस्था नीचे-ऊपर)… मुख से सदा ज्ञान-रत्न निकालने हैै, मुरली एक दिन भी मिस नहीं (आसपास दूसरा संग तो है ही)… सबकि सेवा करते रहना है

चिन्तन

जबकि हमारा सर्वश्रेष्ठ एम-object है (और उसका चित्र भी wonderful है)… तो बार-बार अपने लक्ष्मी-नारायण के चित्र को देखते, एसा बनाने वाले सर्व गुण-प्राप्तियों के सागर बाबा को याद कर खुशियों में झूम उठे… सदा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव कर, ईश्वरीय मर्यादाओं पर चल हर कदम स्वयं-सर्व का श्रेष्ठ भाग्य बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Ensuring the most elevated karma always! | Sakar Murli Churnings 04-12-2019

Ensuring the most elevated karma always! | Sakar Murli Churnings 04-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. जबकि इस अन्तिम-जन्म में सबकुछ समाप्त होना है… तब ही संगम पर बाबा आए हैं हमें राजयोग सिखाकर नई-पावन दुनिया स्वर्ग ले चलने, फूल-देवता लक्ष्मी-नारायण रूप में… हम सारे चक्र को जानते

2. तो बहुत शुद्ध नशे-खुशी में रहना है (सुनते हुए गदगद होना)… कर्मों पर पूरा अटेन्शन हो, बाबा से सच्चा रहना है (माया भी प्रबल है)… आत्मा समझ याद द्वारा फुल जरूर बनना हैै.. यही समय है बाबा पर बलिहार हो सम्पूर्ण-पवित्र बनने का (बाकी सब भूल)

चिन्तन

जबकि बाबा हमें क्या से क्या बना रहे, तो सदा अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाने लिए… श्रीमत को ही जीवन में सर्व-प्रथम priority दे, सदा व्यर्थ बातों-संकल्पों से परे रह, सदा ज्ञान-चिन्तन योग-अभ्यास से सम्पन्न ईश्वरीय-दिनचर्या में बिज़ी रह… हर पल स्वतः सर्व-प्राप्ति-संम्पन्न स्थिति का अनुभव कर, सर्वश्रेष्ठ सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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