Being truthful with God! | Sakar Murli Churnings 26-07-2019

Being truthful with God! | Sakar Murli Churnings 26-07-2019

1. इस पुरूषोतम संगमयुग पर बाबा आकर हमें adopt कर ब्राह्मण बनाकर… भक्ति का फल ज्ञान देते (आत्मा-परमात्मा-समय-ड्रामा का)… और योग सिखाते गुल-गुल देवता बनाने, अथवा स्वर्ग-सचखण्ड स्थापन करते

2. तो हमें भी बाबा और उनकी श्रीमत से सच्चा रहना है… तो याद की यात्रा में सहज आगे बढ़ते फ़रिश्ता बन जाएँगे, माया से बचे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम सबकुछ अच्छी रीति जान गए हैं, तो सदा बाबा की दिनचर्या-श्रीमत प्रति (चार्ट-सहित) सच्चाई का गुण धारण करे, यदि कोई गलती हो तुरन्त बाबा को बता दे… तो सदा गलतियां आधी माफ़ हो उनसे सिख लेते, हम बहुत नैचुरल ज्ञान-योग-धारणाओं में आगे बढ़ते… सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The essence of all festivals! | Sakar Murli Churnings 25-07-2019

The essence of all festivals! | Sakar Murli Churnings 25-07-2019

सार

जिसे दुःख-वश भक्ति में सब याद करते, वह ज्ञान का सागर बीज-रूप बाबा हमें पढ़ाते (ब्रह्मा-मुख द्बारा आकाशवाणी करते)-प्यार-पूछकर करते, मित्र बनाते… तो बुद्धि को सोने का बर्तन बनाने, आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की कर याद की रेस करनी है, फिर सुख-शान्ति सम्पन्न स्वर्ग में पहुँच जाएँगे… हमें सबकी सेवा-सद्गति करते रहना है, विरोध से डरना नहीं है

चिन्तन

तो जबकि स्वयं भगवान् आकर (शिव-जयन्ती) ज्ञान देते (गीता-जयन्ती), तो पवित्रता की प्रतिज्ञा द्बारा (राखी) सदा उनके ज्ञान-रंगों से खेल (होली) अपनी आत्मा-ज्योति जगाकर (दीपावली) बाबा को याद कर सर्व-शक्ति सम्पन्न बन (नवरात्रि) विकारों पर विजय (दशहरा) प्राप्त करते-कराते नई दुनिया सतयुग स्थापन करें (कृष्ण-स्वर्ग जयन्ती), फिर चक्र फिरता रहेगा (त्रेता में राम-जयन्ती)… ओम् शान्ति!


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Remembering only One! | Sakar Murli Churnings 24-07-2019

Remembering only One! | Sakar Murli Churnings 24-07-2019

सार

1. जबकि हमें सबकुछ भूल-छोड़ घर जाना है, तो अभ्यास करना है जैसे कि यहां कुछ भी नहीं, देखते हुए भी जैसे यह है ही नहीं, फिर घर-नई दुनिया में पहुंच जाएंगे, लक्ष्मी-नारायण समान बन … माया के तूफान-कर्मभोग तो अन्त तक आएँगे, ब्रह्मा बाबा को भी आते थे, फिर भी फ़रिश्ता बने, हमें भी बाप-समान बनना है

2. इसके लिए हमें भी अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, प्रिंस-पद बुद्धि में रख (स्वदर्शन चक्र)… तो दिव्यगुण आते जाएँगे (मधुरता, प्यारा-पन), अवगुण निकलते जाएँगे (rough बोलना), ऊंच पद पाएंगे… जबकि बाबा 5000 बर्षों के बाद मिले हैं, तो ऊंच पद जरूर पाना है, बाकी सबकुछ भूल

3. सबकी सेवा करनी है… museum खोल कहना है, आत्मा समझ बाबा को याद करने से, अपने धर्म में भी ऊंच पद पाएंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जब भी योग के बैठे, तो ऎसा अभ्यास करे कि जो भी अन्य विचार आए, उनको न देख… अपने योग के संकल्प-द्रश्य में बिजी रह, बाबा से बहुत शक्तिशाली-गहरे शान्ति-प्रेम आनंद दिव्यता के अनुभवों से भरपूर -सम्पन्न बन… फिर सबको बांटते (लेने की भावना से मुक्त), सतयुग बनाये चले… ओम् शान्ति!

गीत: तू ही तू नज़र आएं…


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The wonder of God’s love! | Sakar Murli Churnings 23-07-2019

The wonder of God’s love! | Sakar Murli Churnings 23-07-2019

सार

हमने भक्ति में दुःख-वश बाबा के प्यार को बहुत याद किया था, अभी वह रूहानी प्यार हमको मिलता (जिससे निहाल होते, मोह-जीत बनते, और किसी का प्यार नहीं खिंचता), तो उसको याद करते रहना है (जिससे बैटरी चार्ज-सतोप्रधान बनते, शक्ति मिलती) फिर वह प्यार आधा-कल्प चलता… बाबा ने रात्री (पुरानी दुनिया) में आकर हमें सारे चक्र (84 जन्मों) का ज्ञान दे दिया है, जिससे हम चक्रवर्ती राजा बनते, सुख-शान्ति सम्पन्न wonder ऑफ वर्ल्ड स्वर्ग (भारत) में

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि इतने हजारों बर्ष बाद हमें परमात्म प्यार मिला है, जिससे अनेकानेक-सर्व प्राप्तियां है… तो सदा ज्ञान-चिन्तन याद द्बारा उसके सर्वश्रेष्ठ प्यार को अनुभव कर, अपनी पूरी जीवन-दिनचर्या में उसे समाते… सबके साथ प्यार से चलते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

गीत: प्रभु प्यार की किरणों से…


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The highest attainment! | Sakar Murli Churnings 22-07-2019

The highest attainment! | Sakar Murli Churnings 22-07-2019

1. अभी सबकी बुद्धि-दृष्टि-संकल्प क्रिमिनल-विकारी-देहीक है इसलिए दुःखी है… इसलिए बाबा संगम पर आकर हमारी दृष्टि civil-कर्मातीत-रूहानी भाई-भाई की बनाते… ऎसा अभ्यास हो कि अन्त में सिर्फ एक बाबा याद रहें (देह-दुनिया-पदार्थ कुछ नहीं), इसलिए रजिस्टर रख अपनी खामियों को निकलते रहना है… बहुत ऊँची है माया के तूफान तो अन्त तक आएँगे

2. लेकिन प्राप्ति जबरदस्त है… हम अभी भी सदा फ्रेश-खुश रहेंगे, और सतोप्रधान दिव्यगुण-सम्पन्न विश्व के मालिक बन जाएँगे

3. औरों की सेवा भी करते रहना है, समय सफल करना है… विकारों से मुक्त हो, अपने को आत्मा समझ बाबा को याद कर बैटरी चार्ज जरूर करनी है

चिन्तन

जबकि सर्वोत्तम प्राप्तियां हमारे सामने है… तो सदा ज्ञान-योग में तत्पर रह अपनी श्रेष्ठ योगयुक्त जीवन द्बारा अपना वर्तमान-भविष्य जीवन बहुत बहुत सुन्दर-सुशोभित-दिव्य दर्शनीय मूर्त बनाते… सबको भी आप समान श्रेष्ठ बनाकर, दुआओं से सम्पन्न बनते, सतयुग बनाते रहें… ओम् शान्ति!


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The power of silence! | Sakar Murli Churnings 20-07-2019

The power of silence! | Sakar Murli Churnings 20-07-2019

सार

बाबा ने हमें हीरे-जैसा जन्म-परिवार दिया है, सत्य ज्ञान सुनाकर स्वदर्शन-चक्रधारी बनाकर डबल वर्से का अधिकारी बनाया है, तो मुरली कभी मिस नहीं करनी है, चिन्तन भी करते रहना है… बाबा आत्मा को देखते, आत्मा को ही याद द्बारा सतोप्रधान बनना है, फिर (घर जाकर) नई दुनिया-सुखधाम का मालिक बनना है, तो हमें कितनी खुशी होनी चाहिए… बाबा को मीठे-प्यारे-serviceable बच्चें बहुत पसन्द है (कोई कुछ भी कहे, हमें खिट-खिट नहीं करनी है)

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें शान्ति की शक्ति का अनुभव कराया है, तो सदा अन्तर्मुखी-शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर बन बाबा को साथ रखते, सुखदाई बन आगे बढ़ते रहे… तो स्वतः औरों के प्रभाव से परे, उनकी श्रेष्ठ सेवा करते, हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Remaining constantly connected! | Sakar Murli Churnings 19-07-2019

Remaining constantly connected! | Sakar Murli Churnings 19-07-2019

बुद्धि न भटके इसलिए देही-अभिमानी बनना है, जबकि संगम पर स्वयं भगवान् हमें पढ़ाते… याद में जरा भी बुद्धि की तार न हिले (व्यर्थ-मुक्त, लोभ-मुक्त), तो बहुत-बहुत कमाई हैं, पावन-सतोप्रधान बनते जाते, नई दुनिया वैकुण्ठ में ऊंच पद बनता… औरों को भी पैगाम देते रहना है, बाबा का परिचय दे बाबा से जुड़ाते रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें सारी समझ विस्तार-सार रूप में दे दी है, हम समझ गए हैं याद से ही सारी कमाई है… तो सदा व्यर्थ-मुक्त बन शक्तिशाली रूप से बाबा से जुड़े रह, उनकी सारी गुण-शक्तियां को अनुभव कर, स्वयं में समाते… सबसे बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being a Pandav! | Sakar Murli Churnings 18-07-2019

Being a Pandav! | Sakar Murli Churnings 18-07-2019

हमने भक्ति में पतित-पावन बाप को बुलाया ही था पवित्र घर ले चलने… अब बाबा आया है लेने, इसलिए सम्पूर्ण पवित्र जरूर बनना है (राजयोग से, आत्मा समझ बाबा को याद करके), नहीं तो सजाएं खानी पड़ेगी… साथ में दैवीगुण भी धारण करने है, फिर नई दुनिया-स्वर्ग-सुखधाम में चलेंगे… सब को भी समझाते रहना है, फिर आगे आपेही बहुत सेवाएं होगी, समय अब थोड़ा है 

चिन्तन 

तो चलिए आज सारा दिन… भगवान् को अपना सच्चा साथी बनाकर, उसकी श्रीमत को सदा सिर-माथे रख… जीवन के हर सीन में स्वयं को विजयी अनुभव करे… अर्थात हर परिस्थिति में भी सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being a victorious warrior! | Sakar Murli Churnings 17-07-2019

Being a victorious warrior! | Sakar Murli Churnings 17-07-2019

1. इस अन्तिम शरीर में चुपचाप घर-सुखधाम-बाबा को याद करना है (जो सतगुरू भी है, जिस बैटरी-शमा पर फिदा होना है), जिससे जन्मों के पाप भस्म हो हम सुख-शान्ति के सागर बनते जाते, कमाई होती… हम incognito warriors है, जो बाबा से बेहद स्वर्ग का वर्सा लेते, 100% हेल्थ-वेल्थ सम्पन्न

2. अपना टाईम वेस्ट नहीं करना है, सारा दिन बुद्धि में ज्ञान तपकता रहे, रात को चार्ट जरूर लिखना है, हम है निद्राजीत… सब को समझाकर (बैज-झाड़-संगमयुग आदि पर) आप-समान बनाना है, ज्ञान-धन दिए धन न खूँटे, हम बाबा से अविनाशी व्यापार करते, दृष्टि-वृत्ति-कृति सबसे सेवा करते

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… इस माया से युद्ध में विजयी बनने, सदा बाबा की श्रीमत को सिर-माथे रख… सदा उस पर फिदा हो, परमात्म प्यार में समाए रहे… तो स्वतः हम माया-प्रूफ़ विघ्न-प्रूफ, सर्व प्राप्ति सम्पन्न सुख-शान्ति-खुशी से भरपूर बन… सबको बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Becoming free from sorrow! | Sakar Murli Churnings 16-07-2019

Becoming free from sorrow! | Sakar Murli Churnings 16-07-2019

1. विद्या अर्थात् ज्ञान, जिसका सागर है एक भगवान्, उनका नाम है शिव, वही रचता-रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान देते, राजयोग दिखाकर आप-समान सतोप्रधान बनाते

2. साइंस ने भल स्थूल सुख दिया है, लेकिन आत्मा पतन की ओर है, और ही दुःख आने है, विनाश की सामग्री भी तैयार है… हम अभी संगमयुगी है जबकि दोनों तरफ देख सकते… नई दुनिया होगी पवित्रता-सुख-शान्ति-हेल्थ-वेल्थ सम्पन्न

चिन्तन 

जबकि दुःखहर्ता-सुखकर्ता बाप खास हमारे लिए आए है… तो सदा ज्ञान-योग-समर्पण द्बारा स्वयं को ऎसा सम्पन्न-शक्तिशाली बना के रखे, कि कोई भी परिस्थिति आए, हम सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रह, सबको करते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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