Becoming the best fairy! | Sakar Murli Churnings 03-08-2019

Becoming the best fairy! | Sakar Murli Churnings 03-08-2019

सार

1. हम अनादि रूप में शिवबाबा के बच्चें भाई-भाई है, और अभी संगम पर प्रजापिता ब्रह्मा द्बारा adopted बच्चें भाई-बहन है… यही श्रेष्ठ युक्ति है पवित्र बनने की, वा आंखों को सिविल बनाने की, पारसबुद्धि बनने की… फिर सतयुग में भी दृष्टि श्रेष्ठ रहेंगी, पतित-पावन बाप के स्थापन किए राम राज्य में सम्पूर्ण निर्विकारी रहते

2. हमें सर्वश्रेष्ठ परि-रत्न-फूल जरूर बनना है, स्कॉलरशिप लेने वाले कर्मातीत अष्ट-रत्न… जबकि हम पर बृहस्पति की दशा है, स्वयं वृक्षपति हमें पढ़ाते नई दुनिया के लिए, तो श्रेष्ठ पुरुषार्थ जरूर करना है

चिन्तन 

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें सर्वश्रेष्ठ परी बनाने आए है… तो सदा स्वयं को परि अर्थात फ़रिश्ता अर्थात ज्योति-बिन्दु आत्मा, लाइट के देह में अनुभव करते… परम-फरिश्ते बापदादा का हाथ-साथ सदा अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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Being true children! | Sakar Murli Churnings 02-08-2019

Being true children! | Sakar Murli Churnings 02-08-2019

सार

1. बाबा सत-चित्-आनंद स्वरूप बीजरूप सच्चा साहब है, जिसके बच्चें हम साहबजादे है… परमधाम में भी शान्ति में रहते, सतयुग में भी पवित्रता-सुख-शान्ति सम्पन्न सर्व वरदानों से भरपूर रहते, अब फिर वहां जाना है…

2. इसलिए जो पुराने हिसाब-किताब है, उसे निराकार बाप की प्यार-भरी यथार्थ याद से समाप्त करना है, फिर 5 तत्व-शरीर भी सतोप्रधान मिलते, हम लक्ष्मी-नारायण समान दिव्यगुण-सम्पन्न बन जाएँगे, फिर से…

3. सच्चाई-सफाई रख, पुरुषार्थ करना है, हम जैसा सुख कोई नहीं देखते

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम सच्चे साहब के बच्चे सर्वश्रेष्ठ साहबजादे है, तो सदा सच्चाई-सफाई का गुण धारण कर श्रेष्ठ ज्ञान-योग का पुरुषार्थ करते रहे, सबकुछ बाबा को बताते हुए… तो बहुत सहज-तुरंत सर्व खजानों से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The call of time! | Sakar Murli Churnings 01-08-2019

The call of time! | Sakar Murli Churnings 01-08-2019

सार

भक्ति-दुःख का समय पूरा हुआ, अब घर जाना है इसी लिए बाप आए है संगम पर, तो (आत्मा समझ) याद द्बारा पवित्र जरूर बनना है… फिर सुखथाम में भी चले जाएंगे, इसलिए ऎसी खुशी-दिव्यगुण भी धारण करने है देवताओं जैसे (सभी विकार छोड़)… जब तक बाबा है, पूरा पुरुषार्थ करना है, ड्रामा पर पक्का रहकर, बाबा हमें कितनी अच्छी रीति सब समझाते

चिन्तन

जबकि अभी कल्याणकारी संगम का समय चल रहा, बाप साथ है… तो इस अमूल्य अवसर का पूरा लाभ ले, सदा बाबा की श्रीमत-दिनचर्या के हाथ में हाथ रख, हर कार्य के पहले उसे बुलाए, हर एक के संपर्क में आते बाबा को बीच में रख… सदा व्यर्थ से बचे, याद-सेवा की कमाई करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Spiritual Significance of Raksha Bandhan & Diwali | Sakar Murli Churnings 31-07-2019

Spiritual Significance of Raksha Bandhan & Diwali | Sakar Murli Churnings 31-07-2019

1. बहनें राखी बांधने जाती है, क्योंकि संगम पर ही बाबा ने पवित्रता की प्रतिज्ञा कराए पावन दुनिया (सुख-शान्ति सम्पन्न) स्थापन की थी… यह ज्ञान-योग हमें ज्ञान सागर बाबा अभी संगम पर सिखाते, जो सबको सुनाकर duban से बचाना है, योगबल से सुनाकर… योग से ही पवित्रता-दिव्यगुण आते, वही सच्चे ज्ञानी की परख है

2. दीपमाला:

  • सतयुग में, लक्ष्मी-नारायण के coronation का यादगार है
  • जब घर-घर में रोशनी थी
  • हर एक की आत्मा-रूपी ज्योति जगी हुई थी

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमने भगवान् से पवित्रता की प्रतिज्ञा की है तो सदा मन्सा-वाचा-कर्मणा सब में पवित्रता धारण रखे:

  • स्मृति में… बाबा की दी हुई श्रेष्ठ स्मृतियां
  • वृत्ति… शुभ-भावना सम्पन्न
  • दृष्टि… आत्मिक
  • कर्म… दिव्य-अलौकिक-निमित्त भाव सम्पन्न

तो हमारा हर दिन दिव्यता-खुशी भरी दिवाली बनते-बनाते, हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!

Being a child of the Supreme! | Sakar Murli Churnings 30-07-2019

Being a child of the Supreme! | Sakar Murli Churnings 30-07-2019

सार

हम सब आत्माएं भाई-भाई है, एक बाबा को याद करने से, पाप कट-सतोप्रधान हो स्वर्ग-सुखधाम में ऊंच पद पाते… बाबा आए ही है हमारे निमंत्रण पर पुराने ब्रह्मा तन में, इस पुरानी तमोप्रधान-दुःखधाम को बदल नई सुखधाम की स्थापना करने… वहीं सर्व का सद्गति दाता निराकार कल्याणकारी सुख-शान्ति सागर शिव है, हम उनके adopted ब्राह्मण बच्चें, यह बातें सब को सुनानी है (बड़े मंच पर भी)

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सम्पूर्ण रीति समझ है कि हम सब भाई-भाई एक बाप की सन्तान है, तो सदा बाबा की प्यार भरी यादों में डूबे रहे… यदि कोई देहधारी याद भी आए, उसे भी आत्मा बाबा का बच्चा समझ शुभ-भावना देतै न्यारा बने… तो हम बहुत-बहुत जल्द सर्व खज़ाने से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे … ओम् शान्ति!


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The most wonderful essay! | Sakar Murli Churnings 29-07-2019

The most wonderful essay! | Sakar Murli Churnings 29-07-2019

सार

1. आत्म-अभिमानी बन सबको ज्ञान का भू-भू करते रहना है, इस संगम पर ज्ञान सागर बाबा आए ही है हमें बुद्धिमान-देवता बनाने… इस कलियुगी-पतित-विकारी-भ्रष्टाचारी-दुनिया दुःखधाम को बदल सतयुगी-पावन-निर्विकारी-श्रेष्ठाचारी दुनिया-सुखधाम बनाने

2. जबकि हम विश्व में शान्ति स्थापन कर रहे, तो हमारे अन्दर तो जरा भी भय-आशांति न हो… माया की प्रवेशता, नाम-रूप की बिमारी, आंखें-वृत्ती चलायमान न हो… हमें आने वाले समय का पता नहीं, यही समय है सुन्न-अशरीरी होने का, हमें देह-भान छोड़ घर जाना है

3. यह अविनाशी ज्ञान रत्न पहले अपने में धारण कर श्रेष्ठ अवस्था बनानी है… फिर योगयुक्त हो औरों को सुनाने से तीर लगेगा… लिखत भी श्रेष्ठ तैयार हो, औरों को देने के लिए

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा आए है इस पुरानी-कलियुगी-तमोप्रधान दुनिया को नई-सतयुगी-सतोप्रधान बनाने… तो सदा ज्ञान-चिन्तन द्बारा समझ और याद द्बारा सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनते रहे… तो सदा हम श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते, दिव्यगुणों से सम्पन्न बनते, सहज पुराने संस्कार परिवर्तन करते-करते, सतयुग बनाये रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The best study! | Sakar Murli Churnings 27-07-2019

The best study! | Sakar Murli Churnings 27-07-2019

सार

हम सतोप्रधान आए थे, अब फिर से ज्ञान धारण कर देही-अभिमानी बन बाबा की याद करते (और भाई-भाई देखते), बहुत खुशी-खुशी से दुःखधाम छोड़ घर जाकर नई दुनिया में आना है, दिव्यगुण-सम्पन्न बन (हल्कापन और गुल-गुल, अर्थात हर्षित-मधुर)… तो जबकि भगवान् ऎसा दी बेस्ट पढ़ाई पढ़ाते-श्रीमत देते, तो सारा दिन बुद्धि में ज्ञान टपकता-धारण होता रहे, सब को सुनाते रहे, जो समझने होंगे वह समझेंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् ने हमको इतनी सर्वश्रेष्ठ पढ़ाई-एम ऑब्जेक्ट दी है, तो सदा बार-बार दिन में मुरली को पढ़ते-चिन्तन करते… बहुत सहज हल्की योगयुक्त आनंद-मई स्थिति में स्थित, सदा खुश-सन्तुष्ट रह, सबकी श्रेष्ठ मन्सा-वाचा-कर्मणा सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being truthful with God! | Sakar Murli Churnings 26-07-2019

Being truthful with God! | Sakar Murli Churnings 26-07-2019

1. इस पुरूषोतम संगमयुग पर बाबा आकर हमें adopt कर ब्राह्मण बनाकर… भक्ति का फल ज्ञान देते (आत्मा-परमात्मा-समय-ड्रामा का)… और योग सिखाते गुल-गुल देवता बनाने, अथवा स्वर्ग-सचखण्ड स्थापन करते

2. तो हमें भी बाबा और उनकी श्रीमत से सच्चा रहना है… तो याद की यात्रा में सहज आगे बढ़ते फ़रिश्ता बन जाएँगे, माया से बचे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम सबकुछ अच्छी रीति जान गए हैं, तो सदा बाबा की दिनचर्या-श्रीमत प्रति (चार्ट-सहित) सच्चाई का गुण धारण करे, यदि कोई गलती हो तुरन्त बाबा को बता दे… तो सदा गलतियां आधी माफ़ हो उनसे सिख लेते, हम बहुत नैचुरल ज्ञान-योग-धारणाओं में आगे बढ़ते… सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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The essence of all festivals! | Sakar Murli Churnings 25-07-2019

The essence of all festivals! | Sakar Murli Churnings 25-07-2019

सार

जिसे दुःख-वश भक्ति में सब याद करते, वह ज्ञान का सागर बीज-रूप बाबा हमें पढ़ाते (ब्रह्मा-मुख द्बारा आकाशवाणी करते)-प्यार-पूछकर करते, मित्र बनाते… तो बुद्धि को सोने का बर्तन बनाने, आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की कर याद की रेस करनी है, फिर सुख-शान्ति सम्पन्न स्वर्ग में पहुँच जाएँगे… हमें सबकी सेवा-सद्गति करते रहना है, विरोध से डरना नहीं है

चिन्तन

तो जबकि स्वयं भगवान् आकर (शिव-जयन्ती) ज्ञान देते (गीता-जयन्ती), तो पवित्रता की प्रतिज्ञा द्बारा (राखी) सदा उनके ज्ञान-रंगों से खेल (होली) अपनी आत्मा-ज्योति जगाकर (दीपावली) बाबा को याद कर सर्व-शक्ति सम्पन्न बन (नवरात्रि) विकारों पर विजय (दशहरा) प्राप्त करते-कराते नई दुनिया सतयुग स्थापन करें (कृष्ण-स्वर्ग जयन्ती), फिर चक्र फिरता रहेगा (त्रेता में राम-जयन्ती)… ओम् शान्ति!


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Remembering only One! | Sakar Murli Churnings 24-07-2019

Remembering only One! | Sakar Murli Churnings 24-07-2019

सार

1. जबकि हमें सबकुछ भूल-छोड़ घर जाना है, तो अभ्यास करना है जैसे कि यहां कुछ भी नहीं, देखते हुए भी जैसे यह है ही नहीं, फिर घर-नई दुनिया में पहुंच जाएंगे, लक्ष्मी-नारायण समान बन … माया के तूफान-कर्मभोग तो अन्त तक आएँगे, ब्रह्मा बाबा को भी आते थे, फिर भी फ़रिश्ता बने, हमें भी बाप-समान बनना है

2. इसके लिए हमें भी अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, प्रिंस-पद बुद्धि में रख (स्वदर्शन चक्र)… तो दिव्यगुण आते जाएँगे (मधुरता, प्यारा-पन), अवगुण निकलते जाएँगे (rough बोलना), ऊंच पद पाएंगे… जबकि बाबा 5000 बर्षों के बाद मिले हैं, तो ऊंच पद जरूर पाना है, बाकी सबकुछ भूल

3. सबकी सेवा करनी है… museum खोल कहना है, आत्मा समझ बाबा को याद करने से, अपने धर्म में भी ऊंच पद पाएंगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जब भी योग के बैठे, तो ऎसा अभ्यास करे कि जो भी अन्य विचार आए, उनको न देख… अपने योग के संकल्प-द्रश्य में बिजी रह, बाबा से बहुत शक्तिशाली-गहरे शान्ति-प्रेम आनंद दिव्यता के अनुभवों से भरपूर -सम्पन्न बन… फिर सबको बांटते (लेने की भावना से मुक्त), सतयुग बनाये चले… ओम् शान्ति!

गीत: तू ही तू नज़र आएं…


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