The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019

The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 21-06-2019

हम परमधाम-निवासी आत्माएं पहले देवता थे, 84 जन्मों का आल-राउंड सुख-दुःख का पार्ट बजाया… अब पार्ट समाप्त हो कब्रिस्तान बनना है, घर जाना है, इसलिए हम अपने निराकार बाप-टीचर-सतगुरु-अकालमूर्त-महाकाल-लिबरेटर बाबा की अव्यभिचारी याद में रहते, जिससे हम विकार-मुक्त पवित्र दिव्यगुण-सम्पन्न सदा-सुखी देवता बनते सतयुग में… औरों को भी ज्ञान सुनाकर कल्याण करना है, अभी हम पुरुषोत्तम संगमयुग पर है सबकुछ जानते (आत्मा, परमात्मा, आदि), भगवान् आए है ब्रह्मा तन में

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम संगम की टॉप-पॉइन्ट पर खड़े हैं, तो सदा ड्रामा को साक्षी हो देख, सदा अपने परम साथी बाबा को साथ रख… सदा सर्वश्रेष्ठ योगयुक्त शान्ति-प्रेेम-आनंद से सम्पन्न रह, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming victorious over the ghosts within! | Sakar Murli Churnings 20-06-2019

Becoming victorious over the ghosts within! | Sakar Murli Churnings 20-06-2019

अन्तर्मुखी हो चुपचाप अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, Silence में घर-ऑफिस में कार्य करना है… क्रोध (जो खुद-सर्व को जलात, घर के मटके सुखाता, भारत को कंगाल किया है), लड़ना, मारामारी, दुःख देना (और सभी विकार) भूत है, जो बाबा का नाम बदनाम करते, इसको छोड़ने है… इसके लिए दिल कहीं नहीँ लगानी है, सबकुछ भूल अपने को आत्मा समझना है, बाबा को याद कर सम्पूर्ण पवित्र बनना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि भूतनाथ बाबा आए है आधाकल्प के 5 बड़े भूतों को भगाने, तो सदा ज्ञान-योग की वास-धूप जलाए रख सम्पूर्ण फ़रिश्ता-परी बन, सबको शान्ति-प्रेम-खुशियां बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a shining needle! | Sakar Murli Churnings 19-06-2019

Becoming a shining needle! | Sakar Murli Churnings 19-06-2019

1. इसी अनोखे सत्संग में हम आत्माओं को बाप का रूहानी प्यार मिलता (जितना सर्विसएबुल बनते, उतना जास्ती प्यार कैच कर सकते, इसलिए सबको अंधकार से निकाल सुख का रास्ता बताना है, बाबा का पैगाम देना है)…

2. ड्रामा wonderful है, कैसे आत्माएं परमधाम से नीचे आती, पहले सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी (वहां की अपनी रस्म- होंगी, जितना ज्ञान-योग में पक्के होंगे सब साक्षात्कार करेंगे वा नज़दीक अनुभव करेंगे, इसलिए भी योग से आयु बढ़ानी है), फिर और धर्मों की आत्मा आती

3. ज्ञान-योग से ही आत्मा रूपी दीपक पवित्र-प्रज्ज्वलित होता, जिसमें माया विघ्न डालती… आत्मा को देखने से कट उतरती, शरीर देखने से कट चढ़ती… इसलिए सदा आत्मा को देखना है, शुद्ध भोजन खाने से सब अभ्यास सहज हो जाते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ रूहानी पवित्र चुम्बक मिला है, तो सदा ज्ञान-तेल और योग-अग्नि द्बारा सारी माया की कट उतार… अपने रुहानी माशुक बाबा के साथ सदा combined, सर्व खज़ानों से सम्पन्न बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Getting decorated with divine virtues! | Sakar Murli Churnings 18-06-2019

Getting decorated with divine virtues! | Sakar Murli Churnings 18-06-2019

1. ओम् शान्ति कहने से ही झाड और इसके चैतन्य बीज की स्मृति आ जानी चाहिए… हम कितने पद्मापद्म भाग्यशाली है, स्वयं बेहद का बाप (जो हमें बच्चें-बच्चें कहते) पतित-पावन सुख-शान्ति का सागर संगम पर ब्रह्मा तन में आकर हमें राजयोग का ज्ञान सुनाकर वर्सा देते, पुरुषोत्तम बनाते, दिव्यगुणों से श्रृंगारकर गुल-गुल बनाकर साथ ले जाते और पवित्र राज्य में भेजते

2. तो ऎसे लवली बाप को तो निश्चयबुद्धि बन कितना याद करना चाहिए… जिससे श्रीकृष्ण समान पवित्र-मीठा बनते, सजाओं से छूटते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं भगवान् हमारा साजन बन हमें दिव्यगुणों से शृंगारते, तो सदा ज्ञान-चिन्तन और बाबा की प्यार भरी यादों में डूबे, सजे सजाए रह… दिव्य दर्शनीय मूर्त बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

1. परमधाम से हमारा बाबा (ज्ञान-सागर) आए है, हम आत्माओं से बात करते-पढ़ाते… तो हमें भी सबकुछ करते अपने को आत्मा निश्चय करना है (आत्मा ही सुनती, धारण करती, संस्कार बनाती, सबकुछ करती), तो बाबा स्वतः याद रहते, इसमें ही मेहनत है, यह भूलने से ही पाप होते… इसी मेहनत से कर्मातीत स्थिति को पाते, अर्थात कर्मेन्द्रियों वश-शीतल-सुगंधित-सतयुगी हो जाएंगी…

2. ऊंच ते ऊंच अमरनाथ बाबा हमें भी ऊंच बनाते, सत्य-नारायण की सच्ची कथा सुनाते (हम ही देवता थे), सबको भी सुननी है… मुख्य है पवित्रता और योग का पुरुषार्थ

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि आत्मा ही सबकुछ करती, तो सदा अपने को आत्मा समझ, परम-आत्मा को याद करते, सबको आत्मिक दृष्टि से देखते… सदा अपनी और सर्व को की frequency ऊँची-सतोगुणी-सतयुगी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Remembering one Baba at the end! | Sakar Murli Churnings 15-06-2019

Remembering one Baba at the end! | Sakar Murli Churnings 15-06-2019

1. बहुत खुशी में रहना है, हमें बाबा ने पढ़ाकर स्वदर्शन चक्रधारी बनाया है, सुख का वर्सा देते… जबकि बाबा आए है हमें दुःख से छुड़ाए सुख में ले जाने, तो नाम-रूप (और बुरे ख्याल) छोड़ एक बाबा को याद करना है (जिससे विकर्म विनाश हो, शान्ति वा सभी गुणों का अनुभव होता), पुरानी दुनिया भूल (वैशयालय, रावण-राज्य, जिसको आग लगनी है) अपने शान्तिधाम-सुखधाम को याद करना है

2. टाईम बहुत थोड़ा है, इसलिए श्रेष्ठ पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाना है… सबको सच्ची सत्य-नारायण की कथा अथवा दो बाप का परिचय दे (बाबा के वर्से में भी पुरुषार्थ से ऊंच पद मिलता), सबको सुख देना है, धन भी सफल करना है, बाबा को सर्विसएबुल बच्चें बहुत प्यारे हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने श्रेष्ठ अन्तिम लक्ष्य को बुद्धि में रख, अपनी दिनचर्या-जीवन के हर पहलू में बाबा को बहुत प्यार से याद करते रहे… सबको भी उसके बच्चे के रूप में देखते, देह को भी उसकी अमानत समझते, बिल्कुल हल्की-उपराम-अलौकिक स्थिति का अनुभव करते… सबको भी उससे जुड़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Bathing in the lake of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 14-06-2019

Bathing in the lake of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 14-06-2019

इस संगम पर बाबा रथ पर आकर नई गोल्डन एजेद सतयुगी दुनिया, सुखधाम के राज्य लिए हमें पढ़ाते… तो अपने को भी change कर देवताओं (लक्ष्मी-नारायण) समान पवित्र-गुणवान character बनाना है, विकारों से मुक्त… इसके लिए श्रीमत पर अपने स्वधर्म में टिक बाबा को याद करने का श्रेष्ठ पुरुषार्थ करना है (राजयोग), तो पद ऊंचा बन जाएंगा (माला का मणका)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के ज्ञान-मानसरोवर में सारा दिन डूपकी लगाते रहे हैं, अर्थात बार-बार मुरली की कुछ लाइन पढ़कर उसपर चिन्तन किया करे… तो स्वतः हमारी स्थिति हल्की-उपराम-योगयुक्त रहेंगी… अर्थात हम परी-समान देवता बन, सबको बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!

समर्पित होने से 108 प्राप्तियां | 108 benefits of Surrendering to God

समर्पित होने से 108 प्राप्तियां | 108 benefits of Surrendering to God

बाबा के घर में समर्पित होना, यह सर्वश्रेष्ठ भाग्य है, जिसकी आज भी बाबा ने मुरली में बात की… तो आज समर्पित होने से 108 प्राप्तियां देखते हैं… इस सतगुरूवार की सौगात को बहुत रूहानी नशे से, बाबा की याद में स्वीकार करना जी! 

सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय जीवन

  • पवित्रता-अलौकिकता-दिव्यता-सादगी-सरलता सहज बढ़ जाती
  • सेवा के बहुत चान्स मिलते (कोर्स, मुरली, स्पेशल प्रोग्राम), सारा दिन याद सेवा में बीत सकता, हर पल कमाई ही कमाई, समय-श्वास-संकल्प सफल
  • सहज हो जाता श्रीमत-फरमान-नियम-मर्यादा की पालना, फोलो फादर
  • दिनचर्या-धारणाएं सहज (अमृतवेला, मुरली, revise, चिन्तन, शुद्ध भोजन योग में, ट्रेफिक कंट्रोल, नुमाशाम, रात योग, चार्ट)
  • सच्चा त्याग, tapasya, निश्चय…

सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियां

  • सर्वश्रेष्ठ भाग्य है, कल्प-कल्प की नुन्ध, श्रेष्ठ भाग्य बना सकते… शिक्षक, सेवाधारी, बाप-समान बनने का भाग्य
  • सेन्टर (बाबा के घर, शहर के सर्वश्रेष्ठ स्थान) पर रहने को सौभाग्य मिलता, बाबा के कमरे में बार-बार जा सकते… मधुबन जाने के चान्स ज्यादा (गाइड, टीचर क्लासेज bhatti, आदि
  • श्रेष्ठ वातावरण-वायुमण्डल… संग (बड़ों से सीखते, उनका example, मार्गदर्शन मिलता)… ब्रह्मा भोजन (शुद्ध, बाबा की याद में)…

एक बाबा, दूसरा ना कोई!

  • सच्ची-पक्की ब्रह्माकुमारी ब्राह्मण बनते… सच्ची सजनी-पार्वती-सीता, शिव से सच्ची सगाई-शादी…
  • प्रैक्टिकल में एक बल, एक भरोसा, एक बाबा दूसरा ना कोई, एकव्रता, एकनामी…
  • बाबा को काम आते, मददगार बनते, उसकी gaddi संभालते, समय श्वास संकल्प जीवन सफल होती… दिल तख्त

बच जाते 

  • शादी (अपवित्रता, ढेर सारे सम्बन्ध, रोक टोक, आदि)
  • नौकरी (ट्रैवल, ऑफिस पालिटिक्स, संघर्ष, आदि)
  • औरों की बुरी दृष्टि-वृत्ति से
  • पैसे की लेन-देन, शॉपिंग, आदि
  • लौकिक जिम्मेवारी-बन्धन कम हो जाते
  • स्थूल-दुनियावी-लौकिक-भौतिक व्यर्थ-अपवित्र-नकारात्मक बातों से सहज उपराम-परे रहते 

सबके प्रिय!

  • सबका सम्मान-सत्कार मिलता
  • सबके लिए sample, example, उदाहरण बनते… स्वयं पर attention बढ़ता…
  • माँ-बाप-ज्ञान में चलने वाले सन्धी टीचर स्टूडेंट साथियों के दिल पर चाहते

सार

यदि निर्बंधन होने कारण हमारे पास समर्पित होने का गोल्डन चान्स है… तो बाबा और इन सभी प्राप्तियों को बुद्धि में रख, अपने को ज्ञान-योग से सशक्त कर इसे सर्वश्रेष्ठ सुहावने अवसर का लाभ ले, जीससे स्वयं और सर्व का श्रेष्ठ कल्प … सदा बाबा की सच्ची-सच्ची सजनी, सर्व प्राप्ति सम्पन्न, दिव्य दर्शनीय मूर्त बन, सबकी सच्ची सेवा करते सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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Our wonderful discus! | स्वदर्शन चक्र | Sakar Murli Churnings 13-06-2019

Our wonderful discus! | स्वदर्शन चक्र | Sakar Murli Churnings 13-06-2019

हम ब्राह्मण बन बाबा से राजयोग की पढ़ाई पढ़ते ही है, जीवनमुक्त-पवित्र सूर्यवंशी-देवता लक्ष्मी-नारायण महाराजा बनाने… हमें तीनों लोकों-कालों के ज्ञान की रोशनी मिली है, इसलिए अब बहुत खुशी से अपने को आत्मा समझ (जिससे बुद्धि स्थिर होती) बाबा को याद कर पवित्र बनते जाना है, और स्वदर्शन चक्र फिराते पद ऊंचा बनाते रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा ने हमें ज्ञान स्वादर्शन चक्र का सर्वश्रेष्ठ अस्त्र-शस्त्र दिया है, तो सदा इसको फिराते अर्थात ज्ञान चिन्तन वा बाबा की याद द्बारा सर्व प्राप्ति सम्पन्न, सदा खुश-सन्तुष्ट बन, सबकी माया का भी गला कांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

Filling ourself with jewels! | Sakar Murli Churnings 12-06-2019

1. दोनों शिवालय (शान्तिधाम-सुखधाम) और बाप-टीचर-सतगुरु बाबा को याद रखने से, सुख-खुशी का पारा चढ़ पाप कटते, पद ऊंच बनता… माया-वश झुटका खाना वा बुद्धि को भटकाना नहीँ, उससे औरों को भी नुकसान होता, अच्छे से पढ़ना हैं, हमें सर्वश्रेष्ठ टीचर मिला है

2. घर जाकर सब भूलना नहीँ है, औरों को भी समझाते रहना है, कलियुग-संगमयुग-सतयुग पर, गंभीरता-निर्भयता से, चित्र-म्युज़ियम-लिखत-समझानी श्रेष्ठ हो… जो आने वाले होंगे वह आ जाएँगे… चने (स्थूल प्राप्तियों-सम्बन्धों का आकर्षण) छोड़ हीरों (ज्ञान रत्नों वा योग केे अनुभव) से सम्पन्न बनने-बनाने में समय सफल करना है, तो विश्व-महारानी बन जाएँगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा रोज़ हमपर अविनाशी ज्ञान रत्नों की वर्षा करते, तो इन सभी रत्नों को चिन्तन-योग द्बारा अनुभव कर धारण करते दसवें… तो सदा शान्ति प्रेम आनंद से मालामाल, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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