Sakar Murli Churnings 11-02-2019
हम सभी ज्ञान सुनाने में (प्रश्नावाली करना, गोले पर समझाना, मुरली चलाना आदि) होशियार है, लेकिन ज्ञान के साथ चाहिए योग का जौहर… इसलिए अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, इससे ही पाप कट हो पावन बनेंंगे, सबको भी यही सिखाना है… यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, जबकि हीरे तुल्य देवता बनाने वाले स्वयं ज्ञान सागर बाप आए हैं, हमें ज्ञान गंगाएँ बनाकर सारे विश्व को पावन दैवी बनाते हैं
सार
तो चलिए आज सारा दिन… कल्प बाद मिले हुए बाबा को बहुत प्यार से याद कर, योगयुक्त रहे… जिससे न सिर्फ हमारी स्थिति सर्वश्रेष्ठ रहती, लेकिन सर्व को भी श्रेष्ठ अनुभुतीयां करा सकते, और हम साथ में मिलकर सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!