Sakar Murli Churnings 11-02-2019

Sakar Murli Churnings 11-02-2019

हम सभी ज्ञान सुनाने में (प्रश्नावाली करना, गोले पर समझाना, मुरली चलाना आदि) होशियार है, लेकिन ज्ञान के साथ चाहिए योग का जौहर… इसलिए अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, इससे ही पाप कट हो पावन बनेंंगे, सबको भी यही सिखाना है… यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, जबकि हीरे तुल्य देवता बनाने वाले स्वयं ज्ञान सागर बाप आए हैं, हमें ज्ञान गंगाएँ बनाकर सारे विश्व को पावन दैवी बनाते हैं

सार

तो चलिए आज सारा दिन… कल्प बाद मिले हुए बाबा को बहुत प्यार से याद कर, योगयुक्त रहे… जिससे न सिर्फ हमारी स्थिति सर्वश्रेष्ठ रहती, लेकिन सर्व को भी श्रेष्ठ अनुभुतीयां करा सकते, और हम साथ में मिलकर सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!

Becoming Golden Aged | गोल्डन एजेड बनने की सहज विधि | Sakar Murli Churnings 09-02-2019

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Becoming Golden Aged | गोल्डन एजेड बनने की सहज विधि | Sakar Murli Churnings 09-02-2019

परमात्मा निराकार पतित-पावन है… हमें ब्रह्मा मुख द्वारा सत्य ज्ञान (spiritual knowledge) देकर स्वदर्शन चक्रधारी वा राजयोगी (आत्म-अभीमानी वा योगयुक्त) बनाते हैं, जिससे हम दिव्यगुण-सम्पन्न (और विकारों से मुक्त) गोल्डन एजेड बन जाते हैं… और तन-मन-धन से रूहानी सर्विस कर विश्व को भी गोल्डन एज बना देेते!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हमारी गोल्डन एजेड स्मृतियों को ईमर्ज कर, स्वयं को और विश्व को भी गोल्डन एजेड बना दे… सतयुग बना दे… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 08-02-2019

Sakar Murli Churnings 08-02-2019

ड्रामा अनुसार अब वापिस घर जाने का समय है, बाबा आया है हमें लेने, तो पुरानी देह और दुनिया में ममत्व नहीँ रखना है… फिर नई दुनिया नये सम्बन्ध में चलना है, इसलिए अपनी जांच करनी है, चेक करना है, चार्ट रखना है, हमने कहा तक दैवीगुण धारण किए है, हमारी दृष्टि भाई-भाई की बनी है?, हम ज्ञान योग में कहा तक रेग्युलर है?

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अपने सुखधाम-शान्तिधाम को याद करते रहे… जिससे सहज ही कमजोरियों से मुक्त दैवीगुण सम्पन्न बन जाएँगे, और को भी बनाते रहेंगे, सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!

Sakar Murli Churnings 07-02-2019

Sakar Murli Churnings 07-02-2019

रूहानी सर्जन बाबा धीरज देते हैं, बाकी थोड़ा समय है, माया से मुक्त हो हम नई दुनिया में पहुँच जाएँगे… इसलिए याद की यात्रा में रह सतोप्रधान बनना है, सजाओं से छूटने लिए… ज्ञान अमृत पीतेे रह स्वदर्शन चक्रधारी बनकर दैवीगुण धारण करने है, विकारों को छोड़ देना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… याद की यात्रा में रह, दुःख के अंश मात्र से भी मुक्त रहे और अतिन्द्रीय सुख का सदा अनुभव करते रहे, जिससे वातावरण बहुत सुन्दर रहेगा, सबकी सेवा होगी, सतयुग बन जाएंगा… ओम् शान्ति!