Sakar Murli Churnings 16-03-2019
जब हम सतोप्रधान थे, हमारा आपस में बहुत रूहानी प्रेम था, हम बहुत मीठे सुखदाई थे… तो औरों के अवगुण आदि देखना सबकुछ भूल एक बाप की याद में लग जाना है, क्यूंकि मंज़िल बहुत ऊंची है… इसलिए चेक करते रहना है, हम देही अभीमानी कितना बने है, हम कितना बाबा को याद करते, श्रीमत पर चल, कितनी सर्विस करते हैं… बहुत खुशी में जरूर रहना है, कि स्वयं भगवान हमें पढ़ाकर विश्व का मालिक बना रहे हैं
सार
तो चलिए आज सारा दिन… आत्मिक, परमात्मा की और प्रैक्टिकल जीवन की लाइट द्वारा ज्ञान का चिन्तन और बाबा की याद द्वारा सदा श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करते रहे… तो स्वतः हमारे श्रेष्ठ वाइब्रेशन, बोल और व्यवहार द्वारा औरों को भी श्रेष्ठ गुणवान बनने की प्रेरणा मिलती रहेंगी, हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!