Sakar Murli Churnings 20-03-2019
यह ईश्वरीय पढ़ाई (राजयोग और त्रिकाल-त्रिलोक का ज्ञान) हैं देवता बनाने वाली सतयुग के (जहां जेल, जज, आदि कुछ नहीं होगा)… तो सवेरे एकान्त में विचार सागर मंथन कर, नई-नई पॉइन्ट्स निकालनी है, औरों को भी पढ़ाना है… जो देखते-सुनते-पढ़ते वा हमारे संग की पूरी संभाल रखनी है
सार
तो चलिए आज होली के पावन पर्व पर… होली अर्थात हो-ली, जो हो गया उसे चित्त-चिन्तन से भूल, जैसेकि पिछले जन्म की बात है, ड्रामा की भावी… इससे हमारे पुरूषार्थ की गति बहुत तेज़ हो जाएंगी, और हम बाबा से सम्पूर्ण ज्ञान गुण शक्तियों ले भरपूर हो जाएंगे… इससे स्वतः हमारी स्व-उन्नति, औरों का कल्याण होते, हम सतयुग स्थापन करने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!