हम हैं ज्ञान सूर्य के समीप लक्की सितारे | Lucky Stars sparkling in God’s remembrance | Avyakt Murli Churnings 07-04-2019
1. ज्ञान चंद्रमा और ज्ञान सूर्य के रूहानी रोशनी मिलने से हम सितारे भी चमक उठे हैं, स्नेही सहयोगी सहजयोगी श्रेष्ठ ज्ञानी वा सेवाधारी बन गए हैं… लेकिन कोई मेहनत वाले, कोई सहज सफलता प्राप्त करने वाले सितारे है
2. जो बाबा के अविनाशी प्राप्ति के सम्बन्ध के समीप है, वह औरों को भी समीप सम्बन्ध में जोड़ते… पूरा कनेक्शन ने होने कारण यथाशक्ति रह जाते, फिर और भी विघ्नों में रुकते रहते… इसलिए यथा शक्ति से मास्टर सर्वशक्तिमान बनना है, तो ज्ञान सूर्य सदा साथ रहने से प्राप्तियां परछाइ समान पीछे- पीछे आएँगी
पार्टियों से मुलाकात!
1. एक मत पर दोनों पहिए चलने से रफ्तार तीव्र रहती, एक दो को आगे बढ़ाते, आगे बढ़ते रहना है… विशेष आत्माओं का संग-सहयोग-शिक्षाएं मिलना भी श्रेष्ठ भाग्य है, इसके रिटर्न में सदा उड़ती कला में जरूर रहना है
2. बाबा की याद ही छत्रछाया है, जिसमे माया से सेफ रहते, बाबा का सहयोग मिलती रहता, सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहते… बाबा को भूल इससे बाहर नहीं आना है, नहीं तो ठोकर दुःख-दर्द मिलता
3. बाबा को भी अपने समान बच्चें, जो बाप से भी विशेष कार्य करते, उनपर नाज़ है… इसके लिए सिर्फ़ याद और सेवा की लगन में मगन रहना है, महावीर बन पहले याद फिर सेवा रखना है
4. संगमयुग है ही मिलन का युग, यह मिलन की आश बाबा की याद दिलाती, मायाजीत बनाती… अव्यक्त रूप में मिलन तो सदा चलता रहेगा (जिसमे कोई समय-शरीर का बन्धन नहीं!), सर्व शक्तियों से सम्पन्न होते रहेंगे… हमारा तो हर मार्निंग शुभ और श्रेष्ठ है
5. वृद्धि होना तो अच्छा है, हमारे भाई-बहनो का कल्याण हो रहा है… हमें सदा सन्तुष्ट रह समय को सफल करते रहना है, आगे यह भाग्यवान दिन भी याद आएँगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… “मैं लक्की सितारा, ज्ञान सूर्य के सदा समीप हूँ”, इसी स्मृति में रह सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनें, और सब को बाबा के समीप सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!