Our illustrious life! | हीरे-तुल्य जीवन | Sakar Murli Churnings 02-05-2019
1. आत्मा ही सबकुछ करती तो आत्मा-अभिमानी रह अपने बाप-टीचर-गुरु बाबा को याद करना है… आपस में सेवा की चित-चैत जरूर करनी है (क्या प्रश्न पूछे, क्या रिस्पॉन्स मिला, आदि), भोजन के बाद का समय अच्छा है… बहुत खुशी में रहना है, और ज्ञान समझाना है
2. बाबा प्रेरणा से नहीं समझाते (हम कैच नहीं कर पाते), इसलिए रथ जरूर चाहिए… जिन्होने 84 जन्म लिए है, उनके ही लास्ट जन्म की वनप्र्सथ अवस्था में प्रवेश कर, नाम रखते प्रजापिता ब्रह्मा, जिनके द्वारा प्रजा रचते
3. बाबा आए है साकार में, उनके संग में रहने से परिस्तान पहुंच जाते, बाकी तो कब्रिस्तान है जो विनाश होना है… ऎसी सर्वश्रेष्ठ शिक्षाएं देकर बाबा ने हमारा जीवन हीरे-तुल्य बनाया है… हम ईश्वरीय सन्तान है, बाबा हमें पावन रजाई देते, तो उनको याद जरूर करते रहना, आत्म-अभिमानी बनकर
4. अब सिर्फ कुछ ही समय है, इसलिए पवित्रता-ज्ञान-योग के बल द्वारा नई दुनिया में श्रेष्ठ पद जरूर प्राप्त करना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमारी जीवन हीरे-तुल्य बना रहे, तो हम भी थोड़ा सा ज्ञान-योग का पुरूषार्थ कर अपनी दिनचर्या श्रेष्ठ कर, सदा दिव्यगुण-सम्पन्न बन… सबको भी आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!