हलचल में अचल रहने की सहज विधि | Being Calm in Crisis | Avyakt Murli Churnings 05-05-2019

हलचल में अचल रहने की सहज विधि | Being Calm in Crisis | Avyakt Murli Churnings 05-05-2019

1. हम एक बल, एक भरोसे वाली हिम्मतवान-स्नेही-एकरस आत्माएं है, हलचल-रुकावट-थकावट हमें रोक नहीं सकती:

  • हम उड़ती कला के पंछी है, जो उड़ती कला द्वारा समस्याओं को छोटा-सहज-खिलौने जैसा बना देती
  • दर्दनाक बाते भी दृढ़ता बढ़ाती
  • भयानक बातें भी स्वाभाविक लगती
  • दुःख के नज़ारे भी सुख के नगाड़े बन जाएँ, ऎसा प्रभाव से परे… ताकि हम अपनी शान्ति-शक्ति शीतल जल से औरों को सहयोग दे सके

विश्व की तड़पती आत्माओं को यही आवश्यकता है, इसी योग के सहयोग द्वारा जयजयकार-प्रत्यक्षता होगी… ऎसी शक्तिशाली स्थिति चाहिए, जो उन्हें एक सेकण्ड की शान्ति-शक्ति की अनुभुती द्वारा जन्म-जन्मान्तर की तृप्ति-प्राप्ति करा सके, ऎसा अखण्ड योगी बनना है… इसके लिए खुद दुःखों से परे मास्टर सागर की स्थिति में स्थित, इच्छा मात्रम अविद्या, अखण्ड सेवाधारी बनना है… तब ही पूज्यनीय बनेंगे, यही समय की घण्टी है

2. बाबा की छत्रछाया सदा हमपे है, सिर्फ उसका हाथ-साथ पकड़ के रखना है… नथिंग-न्यू की स्मृति द्वारा अचल-अडोल रहना है, यह तो सिर्फ रिहर्सल है… हम बेफिक्र बादशाह है, हर दृश्य में कल्याण-स्व उन्नति-सेवा समाई हुई है.. यह नहीं सोचना, कि हम पहले जाएँ, लेकिन हमें सबको तृप्त-सन्तुष्ट कर साथ लें जाना है… अंत के जयजयकर के सीन देखकर

3. हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है स्वराज्य अधिकारी बनना, और स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी… ऎसे कर्मेंद्रीयां के राजा बनने में ही शान्ति-सुख-नशा-उड़ती कला-शक्ति है, कर्मेंद्रीयां के वश होने में तो धोखा-दुःख है

4. जो पहले से पहेली है, मैं कौन वही अब है कि हम कौनसी माला में आएंगे… अष्ट-माला में वह आएँगे जो सदा अष्ट-शक्तियों से सम्पन्न रहते, और जो परिवार के इष्ट-समान सदा श्रेष्ठ-महान-वरदानी रहते

5. जैसे दुनिया में बाम्ब्स गिरते तो अण्डरग्राउण्ड चले जाते… ऎसे मायावी वाइब्रेशन से बचने के लिए चाहिए सदा एक बाबा दूसरा ना कोई की लगन… फिर माया वार भी नहीं कर सकती, यही safety का साधन है

6. जो बाबा के समीप रहते, वह उसके संग में रंग में सदा रूहानियत में स्थित रहते… अर्थात देह से न्यारे रूहानी स्थिति में स्थित, सबको आत्मा ही दिखाई दे यही कमाल है… सदा नशा रहे कि हम अधिकारी है, बाबा के सर्व ज्ञान-शान्ति-सुख-शक्तियां हमारे है, तो स्वतः और सब स्मृतियों से परे रहेंगे

7. विश्व को कंट्रोल तब कर पाएंगे, जब पहले अपने में एसी कन्ट्रोलिंग पावर होगी कि… जब चाहे सेकण्ड में शरीर में आए, जब चाहे शरीर से परे अव्यक्त स्थिति में स्थित हो, फ़ाइनल पेपर भी एक सेकण्ड का होगा…. ऎसे सुख केे झूले में झूलतेे रहना है, कि हमारे नैन-मुख-चेहरे को देख दुःखी भी सुखी हो जाए… ऎसा सुखदाई बनना है, दुःख की लहर से एकदम परे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… इस नाजुक समय पर नथिंग न्यू का पाठ पक्का कर, सदा एक बाबा दूसरा ना कोई, इसी स्मृति द्वारा बाबा के हाथ-साथ को पकड़, सदा अतिन्द्रीय सूख-शान्ति-खुशियों के झूले में झूलते रहे… इससे न सिर्फ , औरों को भी, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!

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