Being a true Parvati! | Sakar Murli Churnings 31-05-2019
1. हम शान्त स्वरूप आत्माओं को स्वयं पवित्रता-सुख-शान्ति का सागर आकर पढ़ाते है बाप (वा ओबीडियन्ट सर्वेन्ट) बन, हमें सचखण्ड-शिवालय सम्पूर्ण सुख ही दुनिया स्वर्ग का वर्सा देते… जैसे कि कल की बात है, फिर रावण (5 विकार, जिसका बीज है देह-अभिमान) ही तमोप्रधान-पत्थरबुद्धि-दुःखी बनाता
2. तो जबकि आत्मा ही सबकुछ करती (उनमें कर्म-संस्कार रिकॉर्ड होते, एक शरीर छोड़ दूसरा लेती), इसलिए देही-अभिमानी जरूर बनना है… इस स्थिति को स्थाई रखने लिए इस होपलेस कांटों की दुनिया कब्रिस्तान को बुद्धि से भूलना जरुर है… जबकि अल्लाह आया है हमें सुल्ता बनाने, तो आत्म-अभिमानी जरूर बनना है, तो देवता बन जाएँगे
3. सबको बाप से वर्सा लेने का हक है… तो जबकि हमारे सभी भाई अनजान दुःखी है, सबको दो बाप का परिचय दे, बेहद के वर्से की पहचान देनी है… शिवरात्रि मनाते है, तो जरूर वह निराकार आया होगा, बुढ़े तन में… हमारा यह शुभ भावना का बीज निष्फल नहीँ जाएंगा
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि स्वयं अमरनाथ बाबा आकर हमें अमरकथा सुना रह है, तो सच्ची-सच्ची पार्वती बन एक बाबा, दूसरा ना कोई इस पाठ को पक्का कर, सदा अपने परम-प्रिय साजन की प्यार-भरी मीठी यादों में मग्न हो… सर्व ज्ञान-गुण-शक्तियों से सम्पन्न बन, सबको बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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