Becoming double-crowned! | Sakar Murli Churnings 08-06-2019
ज्ञान-सुख-शान्ति के सागर बाबा अन्त समय पुराने तन में आकर, हमारी निष्काम सेवा करते अर्थात बेहद का वर्सा देते सेकण्ड में… और सहज याद सिखाते, अर्थात सबकुछ भूल सिर्फ़ अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है, तो पवित्र दिव्यगुण-प्रेम-सम्पन्न विश्व का मालिक लक्ष्मी-नारायण देवता बन जाएँगे, स्वर्ग वा सचखण्ड में, भारत भी सालवेन्ट बन जाएंगा… हमें सारे 84 जन्मों की समझ मिल गई है, कर्म-अकर्म-विकर्म की गति की भी, तो माया पर सम्पूर्ण विजयी जरूर बनना है
मम्मा के महावाक्य
सबकी इच्छा है सदा सुख-शान्ति पाए, इसलिए बाबा बाप (जिसका बन जाना है) टीचर (पढ़ाई द्बारा जीवनमुक्ति पद दिलाते 21 जन्मों के लिए) सतगुरु (पवित्र बनाकर मुक्ति में ले जाते) बन सहज उपाय बताते, सिर्फ बाबा को याद कर विकारों-कर्मबन्धनों पर विजयी बनना है… तो कल्प-कल्प की नुन्ध हो जाएंगी, फिर तो कुछ भी पता नहीं होगा, इसलिए अभी ही खूबी से पार्ट बजाएं हीरो-हीरोइन जरूर बनना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… याद-चिन्तन-सेवा द्बारा दोनों पवित्रता-विश्व कल्याण का ताज सदा धारण कर, सदा ऊँची श्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद की स्थिति से सम्पन्न बन, सबको बांटते… भविष्य में भी पवित्रता-रत्न जड़ित डबल ताजधारी बनते, और सबको बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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