Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

Considering ourselves a soul! | Sakar Murli Churnings 17-06-2019

1. परमधाम से हमारा बाबा (ज्ञान-सागर) आए है, हम आत्माओं से बात करते-पढ़ाते… तो हमें भी सबकुछ करते अपने को आत्मा निश्चय करना है (आत्मा ही सुनती, धारण करती, संस्कार बनाती, सबकुछ करती), तो बाबा स्वतः याद रहते, इसमें ही मेहनत है, यह भूलने से ही पाप होते… इसी मेहनत से कर्मातीत स्थिति को पाते, अर्थात कर्मेन्द्रियों वश-शीतल-सुगंधित-सतयुगी हो जाएंगी…

2. ऊंच ते ऊंच अमरनाथ बाबा हमें भी ऊंच बनाते, सत्य-नारायण की सच्ची कथा सुनाते (हम ही देवता थे), सबको भी सुननी है… मुख्य है पवित्रता और योग का पुरुषार्थ

सार

तो चलिए आज सारा दिन… जबकि आत्मा ही सबकुछ करती, तो सदा अपने को आत्मा समझ, परम-आत्मा को याद करते, सबको आत्मिक दृष्टि से देखते… सदा अपनी और सर्व को की frequency ऊँची-सतोगुणी-सतयुगी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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