Surrendering completely to Baba! | (3rd) Avyakt Murli Churnings 25-01-69
1. अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर अव्यक्त को देखना है साकार में (तो अव्यक्त मुलाकात का अलौकिक अनुभव ले सकेंगे)… इसके लिए अमृतवेला शक्तिशाली चाहिए (जिससे थकावट दूर होती), अन्तर्मुखता-Silence (वाणी से परे)-अव्यक्त में रहते कर्मणा में आने का अभ्यास ज्यादा सारा दिन
2. सर्व समर्पण अर्थात देह-भान से भी परे (मरे हुए) और श्वासों-श्वास स्मृति, तब सम्पूर्ण कर्मबन्धन-मुक्त बन साथ जाएँगे.. एसी आत्माएं सहनशील होने कारण सदा शक्तिशाली-हर्षित रहेंगे… वाणी से भी निर्बल बोल नहीं निकलेंगे, संकल्प ड्रामा की पट्टी पर accurate चलेंगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… अमृतवेला-अन्तर्मुखता-Silence की अघ्छी प्रैक्टिस द्बारा अव्यक्त स्थिति को अपनी नैचुरल नेचर बना… सदा बाबा की दी हुई श्रेष्ठ स्मृतियों में स्थित, देह भान से परे रह… सबको अविनाशी खज़ाने बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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