The power of experience! | (4th) Avyakt Murli Churnings 02-02-69
अव्यक्त मिलन मनाने की सहज विधि!
1. हमारा शुद्ध ज्ञान-सहित प्यार बाबा को भी खिंच लाता (बाबा का भी हमसे शुद्ध प्यार है, साथ में निर्मोही है, जानते हैं ड्रामा accurate-कल्याणकारी है)… दिव्य-बुद्धि (पुरूषार्थ) से अव्यक्त-वतन (वा सूक्ष्मवतन-वासी बनने) का अनुभव करने में अनोखी-अलौकिक-लाभदायी कमाई है, इसकी सहज बिधि है अमृतवेले याद में इस संकल्प से बैठना हमें अव्यक्त मिलन मनाना है, और अव्यक्त स्थिति में स्थित हो रूहरूहान करना, जिसके लिए सारा दिन अन्तर्मुखी-अव्यक्त रहना है… हमारे में इतनी ताकत है जो अव्यक्त-वतन को नीचे ला सकते, हमें अलौकिक फ़रिश्ता बन पढ़ाई का शो करना है
2. हमारा अविनाशी स्नेह बाबा को पहुंचता है, वह भी respond करते… इसे कैच करने व्यक्त भाव छोड़ना पड़ेगा
प्रैक्टिकल सेवाओं में!
1. सेवा में मैं-पन के ज्ञान-बुद्धि-सेवा का अभिमान से मायूसी-मुरझाईश-मगरूरी-पन आता, और निमित्त भाव से निराकारी-निरहंकारी-नम्रचित-निःसंकल्प बनते… मतभेद के बजाए स्वादर्शन चक्रधारी बनना है… बाबा की शिक्षा है निर्माण-चित्त हो सबसे प्यार से चलना
2. ड्रामा के silence से शक्ति आती, हमें देख सब सीखेंगे… अभी ज्वाला-रूप ज्वाला-देवी बनना है, माताओं का संगठन
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बुद्धि-बल के अनुभवों में ही सच्ची कमाई है, तो सदा ड्रामा की पट्टी पर अन्तर्मुखी-silent रह अव्यक्त फ़रिश्ता बन बाबा को प्यार से साथ रख, सूक्ष्मवतन को ही नीचे लाए… अपने संस्कारों पर शक्तिशाली ज्वाला-रूप बन, औरों के साथ नम्र-चित्त बन बहुत प्यार से चलते… सतयुगी बन-बनाते रहे, ओम् शान्ति!
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