Being Present always! | Sakar Murli Churnings 28-06-2019
1. हमारा बाबा से प्यार है, बाबा का हमसे (क्यूंकि हम कल्याणकारी है)… ऎसे ही हम भाई-भाई को भी आपस में शुद्ध रुहानी प्यार की गंगा बनना चाहिए, लड़ना-झगड़ना रूसना-लूनपानी उल्टा-सुलटा बोलना नहीं (सब आसुरी स्वभाव, देह-अभिमान है, जो बाबा की निंदा कराता)… फिर हमारा सतयुग में भी ऎसा प्यार रहेगा, 21 जन्म क्षीरखण्ड… ऎसे माया से बचने वा ईश्वरीय गुण धारण करने लिए, देही-अभिमानी बन बाबा के शक्तियों का वर्सा लेना है (याद से)
2. बाबा की श्रीमत से श्रेष्ठ चलन वाला, गुणवान-पूज्य बनना है… स्वदर्शन चक्रधारी व बाबा की याद में रहना अर्थात प्रेजेंट रहना … ऎसा अभ्यास हो, जो अन्त समय सिर्फ बाबा की याद (वा स्वदर्शन चक्रधारी) रहे, लोभ-मुक्त
मातेश्वरीजी के महावाक्य
परमात्मा पाण्डव-शक्तियों के साथ है, कहते देह-सहित सबकुछ भूल अपने स्वधर्म में टिक सर्वशक्तिमान बाबा को याद करना है (अर्थात योगबल, न कि बाहुबल)… तो स्वतः अपने महान-पवित्र-श्रेष्ठ धर्म-कर्म को प्राप्त कर लेंगे
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… सदा प्रेजेंट रहने लिए, सदा अपने संकल्पों पर attention रख, उन्हें श्रेष्ठ दिशा देते (ज्ञान-चिन्तन वा बाबा के यादों से) सर्वश्रेष्ठ-सतोगुणी स्थिति का अनुभव करते रहे… तो स्वतः हमारा पास्ट मर्ज, फ्यूचर बेफिक्र बन, वर्तमान बहुत-बहुत सुन्दर-स्वर्णिम हो, हम सब के साथ सतयुग बना लेंगे… ओम् शान्ति!
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