The magic of Avyakt stage! | Avyakt Murli Churnings 07-05-69

The magic of Avyakt stage! | (12th) Avyakt Murli Churnings 07-05-69

1. अव्यक्त मिलन का मूल्य है व्यक्त भाव छोड़ना, जिससे अव्यक्त मिलन का आनंद ले सकते… इसके लिए अर्पण होने का दर्पण सदा साथ रखना है, जिससे स्वयं को चेक-चेंज कर सकते… तो इस अव्यक्त स्थिति से हर कर्म में अलौकिकता, हर कर्मेंद्रीयां-नैन-चैन-चलन से अतिन्द्रीय सुख की अनुभूति होगी

2. सर्व खज़ाने के अधिकारी की खुशी-सुख में रहने से कभी अधीन-दुःखी नहीं होंगे… अभी तीव्र पुरुषार्थ का समय है

3. सबके बीच सर्विस का तिलक लिया है, तो हिम्मत-वान बन ब्राह्मण कुल की लाज रखनी है, पुरुषोत्तम बनकर… ऑल-राउन्ड सेवा की सफलता है एकरस स्थिति में … दूर होते भी स्नेह से बाबा के समीप, नैनों के नूर है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अव्यक्त स्थिति में स्थित रह अव्यक्त मिलन मनाते, सदा अलौकिक-अतीन्द्रिय सुख से भरपूर, सर्व खज़ाने से सम्पन्न रहे… बाबा के नैनों के नूर, सदा श्रेष्ठ एकरस स्थिति में स्थित रह, सबको करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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