The power of incorporeal stage! | (13th) Avyakt Murli Churnings 08-05-69
1. निश्चय में कोई भी पर्सेंटेज नहीं, जरा भी मन्सा-वाचा-कर्मणा में संशय है तो संशय-बुद्धि कहेंगे… निश्चय-बुद्धि की परख है उनका चेहरा निशाने-बाज जैसा होगा (बिन्दु के निशाने पर एकाग्र) और चेहरे में नशा
2. मन्सा को ठीक करने चाहिए निराकारी स्थिति, वाचा में निरहंकारी, कर्मणा में निर्विकारी… निराकारी से स्वतः निर्विकारी-निरहंकारी रहते… यह तीनों होगा तो त्रिलोकीनाथ-त्रिकालदर्शी और भविष्य विश्व के मालिक बन जाएँगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… निश्चय-बुद्धि बन निराकारी स्थिति का अभ्यास पक्का करते रहे… तो स्वतः विकारों से मुक्त, नम्रता से सम्पन्न बन, योग के विभिन्न अनुभवों से सम्पन्न-खुश-रूहानी नशे में रहेंगे… औरों को भी सम्पन्न करते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!
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