Getting lost in God’s love! | Avyakt Murli Churnings 26-05-69

Getting lost in God’s love! | Avyakt Murli Churnings 26-05-69

1. चेक करना है… कितना समय लगन लगाने में जाता, और कितना समय मग्न अवस्था में रहते

2. जैसे बाप में 100% निश्चय है, वैसे ही उस:

  • बाप के महावाक्यों-फरमान-आज्ञाओं पर
  • टीचर की पूरा पढ़ाई पर पूर्ण रीति से चलना
  • सतगुरू की श्रीमत पर चलना

इन पर भी पूरा निश्चय चाहिए

3. स्नेह लगाना तो सहज है, अभी स्नेह-स्वरूप बनना है… फिर हमारे सूरत में बाबा, नयन में भी वहीं नूर, वाणी में स्नेह के बोल, चित्र में

4. सहनशक्ति से ही संगठन-सेवा में सफलता मिलती, अन्त समय में काम आती… जितना स्नेह होगा, उसके प्रति सहन करना सहज होता (जैसे माँ)

5. निर्भयता के लिए चाहिए निराकारी स्थिति, देह भान में ही भय आता

6. कुमारियां को बाबा विशेष ईश्वरीय स्नेह देते, ताकि दूसरे के स्नेह में न फंसे, इसलिए स्वयं को बचाना है… बचाना अर्थात

  • मन्सा में प्यूरिटी-निश्चय
  • वाचा में controlling पावर, बाप समान
  • कर्म भी बाप जैसे
  • संगदोष (आत्मा-शरीर के भिन्न-भिन्न रूपों) से बचना

परीक्षाओं में पास होने लिए चाहिए परख शक्ति (यह कैसी माया-विघ्न है?, क्यू आई है? आदि की परख)

सार

तो चलिए आज सारा दिन… निश्चयबुद्धि बन निराकारी स्थिति में स्थित हो बाबा के स्नेह में मग्न हो जाए… तो सदा बचे रहेंगे, सहनशक्ति द्वारा सफलता पाते, हमारे नैन-चेहरे-चलन में बाबा दिखते… हम सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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