Becoming number one! | (17th) Avyakt Murli Churnings 16-06-69

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1. बाबा से स्नेह है, क्योंकि वह हमें आप-समान सर्वशक्तिमान बनाते… जब स्नेह-शक्ति दोनों है, तब ही हमारा बाबा से मिलाप अविनाशी रहता

2. नम्बर-वन वह, जो औरों को भी आप-समान नम्बर-वन बनाए… जब अवगुणों का त्याग करेंगे, तब ही औरों को जातकू बना सकते… पहले खुद बनना है, हिम्मतवान बनने से बाबा का स्नेह भी मिलता

3. एकता और एकान्त चाहिए… जब स्थूल-सूक्ष्म एकान्त के आनंद का अनुभव करेंगे, तब बाह्यमुखता से परे, अव्यक्त स्थिति बना सकेंगे

4. बाबा को तीन सम्बन्ध के रूप में तीन स्नेह-सौगात देनी है:

  • बाप-रूप में आज्ञाकारी-वफादार
  • टीचर-रूप में ज्ञान-ग्रहण, गुण-ग्रहण
  • सतगुरू-रूप में एकमत-एकरस-एक की याद

विष्णु के अलंकार को शक्ति-रूप से धारण कर, सदा सामने रखना है

5. बम्ब फैकना अर्थात आवाज़ फैलाना, इसके लिए refine बनना है… सेवा में all-rounder बनना है, ऑल-राउन्ड चक्र लगाकर शो करना है, तो सतयुग में भी नजदीक आएँगे… औरों को भी साथ ले आना है, प्रैक्टिकल में

सार

तो चलिए आज सारा दिन… एकान्त में बाबा को स्नेह-शक्ति से याद कर सदा उनसे combined रह, अव्यक्त स्थिति का अनुभव करते… सबको भी all-round refine बन आप-समान नम्बर-वन बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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