The beauty of Avyakt sustenance! | (23rd) Avyakt Murli Churnings 19-07-69
1. हम शक्ति-रूप शिव शक्तियां तो है, अभी बाबा आए है जेवर की पालिश करने… अर्थात अव्यक्त स्थिति को बढ़ाने, सब को आत्मिक दृष्टि-स्मृति में देखने का पहला पाठ पक्का करना है, तो सर्विस में स्वतः सफलता मिलेंगी (परवाने बनेंगे)
2. बाबा आए है आप समान zero बनाने (अर्थात बीज-बिन्दी, जिनमे कोई पुराने संस्कार नहीं, और ड्रामा की भी बिन्दी)… तो सर्वगुण सम्पन्न हीरो-हीरा दोनों बन जाएँगे, कमियां समाप्त हो कमाल करेंगे, विश्व परिवर्तन हो साथ घर चलेंगे
3. हम मददगार तो है, अभी हिम्मतवान बनना है… इसलिए हर संकल्प-कदम-समय बलिहारी बनना है (तो गले का हार बनेंगे, सब को बलिहारी-वारिस बनाएंगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमारी रोज़ पालिश करते, तो सदा बाबा पर बलिहारी बन अपने को zero-हीरो समझ अव्यक्त स्थिति का अनुभव… सबको आत्मा रूप में देखते, सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
Recent Avyakt Murli Revisions:
- 14-01-88: उदासी आने का कारण – छोटी-मोटी अवज्ञायें | 14th January 1988: The reason of sadness – Small Disobediences | how to walk in obedience to god
- 23-11-89: वरदाता को राज़ी करने की सहज विधि | 23rd November 1989: Easy Method of satisfying the Bestower of Blessings | None but One
- 23-03-88: दिलाराम बाप के दिलतख्त-जीत दिलरूबा बच्चों की निशानियाँ | 23rd March 1988: Signs of Beloved soul seated on heart-throne of Comfortor of Hearts | and let the peace of god rule in your heart
- 28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god
- 02-02-72: प्रीत बुद्धि की निशानियाँ | 2nd February 1972: Signs of a God-loving Intellect | do i love god quiz
Thanks for reading this article on ‘The beauty of Avyakt sustenance! | (23rd) Avyakt Murli Churnings 19-07-69’