A clear Intellect! | (24th) Avyakt Murli Churnings 23-07-69
1. बाबा 4 बातें देख रहे:
- ताज (जिम्मेवारी का, कितना बड़ा है, सदा पहनते वा कभी-कभी… और ताज में मणियां है स्नेही, सरेण्डर -बुद्धि, एवर-रेडी)
- तख्त (नम्रता का)
- तकदीर-तदबीर (खुद परख सकते, तब ही औरों को परख सकते, किस रूप से उनकी तकदीर जग सकती), जिससे सेवा में सफलता मिलती (वारिस निकलते)
2. मन-बुद्धि की स्वच्छता के लिए चाहिए ब्रेक-मोड़ने की अव्यक्त शक्ति, जिससे एनर्जी बचकर जमा हो, परख-निर्णय शक्ति बढ़ती, निवारण-सामना कर प्रत्यक्षता की सफलता मिलती… परिस्थिति ठीक परखने से परिणाम ठीक रहता
3. सीधी उतरना-चढ़ना अर्थात एक सेकण्ड में मालिक (विचार देना), और एक सेकण्ड में बालक (नीर्संकल्प स्वीकार करना), जैसा समय… नहीं तो समय-शक्ति-स्नेह नष्ट होता… सब को स्वमान चाहिए, हमें अपने मान का त्याग करना है, तो सब का मान मिलेगा
4. सुनते हुए भी बिन्दु रूप में रहना है, हमें कर्म करते भी न्यारा-निराकार-अशरीरी रहना है… फिर जब चाहे बिन्दु रूप वा चलते-फिरते अव्यक्त फ़रिश्ता बन सकेंगे, अव्यक्त बल भरेगा, संकल्प ही नीचे लाता… लक्ष्य होना से समय निकलता-सफलता मिलती, नहीं तो समय वेस्ट जाता, जैसी परिस्थिति वैसा अभ्यास होना चाहिए
5. आत्म-अभिमानी बनने से स्वतः न्यारे, गुणों का अनुभव, बाबा की याद रहती… फिर कम समय में ज्यादा सफलता मिलती, हमारी प्रजा-पद प्रख्यात होंगा, फिर सारा समय औरों को देना पड़ेगा
6. कुर्सी (अर्थात तख्त) कलम (अर्थात कमल फूल) फाइल (अर्थात चार्ट) भाग-दौड (अर्थात सीधी) और पाँव (अर्थात बुद्धि जहां लगाना चाहे), एसी स्मृतियों से लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करना है, तो अवस्था भी परिवर्तन होंगी… जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख सब करेंगे… छोटों को प्यार, बड़ों को रिगार्ड देना है
7. सोने पे सुहागा करने, मधुबन में बीच-बीच में आना है संगठन में… प्रदर्शनी में नवीनता लानी है (आकर्षण के टॉपिक, सब आपेही समझे ऎसी बातें)… जो दूर भागते, उनकी भी सेवा करनी है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… तो सदा ब्रेक-मोड़ने की शक्ति द्बारा स्नेही-समर्पण-स्वच्छ बुद्धि बन आत्म-अभिमानी बिंदु स्वरूप में स्थित चलते-फिरते अव्यक्त फ़रिश्ता बनकर… नम्रता से सबको सम्मान देते, परखने की शक्ति द्बारा सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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