The story of two words! | Sakar Murli Churnings 06-08-2019

The story of two words! | Sakar Murli Churnings 06-08-2019

सार

1. ड्रामा पार्ट अनुसार पहले हम ऊंच-पवित्र थे, अब धीरे-धीरे नीच-अपवित्र बनें, शिवालय-क्षीर सागर अब विशश बने हैं… अब हमें फिर से तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है… यह दो-दो बातों में सारा स्वदर्शन चक्र आ जाता

2. हमें सिर्फ संगम पर आए हुए बाबा की आज्ञाओं पर… स्वयं को आत्मा समझ मामेकम् बाबा को याद करना है, तो पावन-देवता बन जाएंगे, बेहद सुख का वर्सा मिल जाएगा… माया के तूफान भल आएँ, हमें याद का जौहर भरना है… हमें ज्ञान-योग की धारणा करते रहना है, तो ताकत आते, हम बाप-समान बन जाएँगे

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जैसे चक्र का ज्ञान दो-दो शब्दों में आता, हमारा पुरुषार्थ भी दो शब्द आत्मा-बाबा में आ जाता… तो इसी wonderful ज्ञान के चिन्तन द्बारा अपने योग को बहुत सहज-शक्तिशाली बनाते, दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहें… ओम् शान्ति!


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