Going beyond Sound in a second! | आवाज से परे | (42nd) Avyakt Murli Revision 22-01-70

Going Beyond Sound in a second! | आवाज से परे | (42nd) Avyakt Murli Revision 22-01-70

1. अव्यक्त दुनिया में आवाज नहीं, इसलिए बाबा ड्रिल कराते (अभी-अभी आवाज में, अभी-अभी परे), फिर औरों के मन के भावों को भी सहज जान सकेंगे… ऎसी बुद्धि की लाइन clear हो, इसलिए अटूट-अटल-अथक चाहिए, फिर भविष्य भी बिल्कुल स्पष्ट दिखेगा, जैसे टीवी… इसलिए बाबा सूर्य को साथ रखना है, तो माया अंधकार दूर रहेगा

2. अपने अटूट-एकरस स्नेह से, बाबा हम स्नेही बच्चों को मिलन-मेले में दो सौगात देते, शुभ-चिन्तन (जिससे स्थिति बनती) और शुभ-चिन्तक (जिससे सेवा होती)

3. बाबा हमारे 3 रूप एक साथ देखते… वर्तमान-पुरूषार्थी और भविष्य-फ़रिश्ता (सब अपने नम्बर अनुसार सम्पूर्ण जरूर बनेंगे) और भविष्य-देवताअव्यक्त सहयोग देते रहते, अब तो उन्हें देह-समय का भी बन्धन नहीं

4. अभी-अभी देह से न्यारा (बिल्कुल अशरीरी), और अभी-अभी देह में कर्म लिए, ऎसा हल्का बनना है… इसलिये संस्कार को ईजी बनाना है, ईजी-अलर्ट

5. हम ही कल्प पहले वाले, पुराने, कोटों में कोई आत्माएं है… इसलिए लास्ट सो फास्ट जाकर, राज़ाई पद पाना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… अभी-अभी आवाज से परे अशरीरी, और वापिस देह में… इसी अभ्यास को बार-बार करते, बुद्धि की लाइन clear रख सदा हल्के शुभ-चिन्तक बन… फास्ट अपने सम्पूर्णता के लक्ष्य पर पहुंचते-पहुंचाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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