Doing spiritual service! | (43rd) Avyakt Murli Revision 23-01-70

Doing spiritual service! | (43rd) Avyakt Murli Revision 23-01-70

1. आवाज में आना मजबूरी लगे, एसे अशरीरी होकर सबको सुनाने से उन्हें मनरस-आंतरिक सुख का अनुभव होगा… जो ऎसे अव्यक्त अनुभवों द्बारा आए हैं, वह अभी भी निर्विघ्न है… खुद सहज पुरूषार्थी बनकर, सबको भी लक्ष्य तक पहुंचा सकेंगे

2. सेवा की युक्तियां:

  • चित्रों में अव्यक्त चैतन्यता चाहिए… जो दूर से आकर्षित करे
  • टॉपिक कोई भी हो, स्थिति टॉप की चाहिए… तो सहज मोड़ सकेंगे
  • वायुमण्डल अव्यक्त चाहिए, शुरू से अंत तक… ऎसे सेवाकेंद्र चिराग समान लगेंगे
  • व्यक्त मूर्त में, अव्यक्त आकर्षण चाहिए
  • तब सबके आगे sample बनेंगे… हमारी अव्यक्त स्थिति से, समय का घंटा बजे

3. बाबा-परिवार के स्नेह के सूत्र में बंधे रहना है… सबको पहले से मददगार बनाना है (वाणी से अहंकार तकरा सकता, प्रैक्टिकल लाइफ से नहीं)… जितनी बुद्धि-पुरुषार्थ की लाइन clear होगी, तो संकल्प किया और हुआ… इसके लिए व्यर्थ से बचना है, तो अव्यक्त स्थिति बढ़ेंगी, और बाबा की शुभ प्रेरणाएं स्थाई रहेंगी

4. यह अव्यक्त अनुभव साथ ले जाना है, इसलिए लौकिक को अलौकिक बनाना है, पुराना-पन समाप्त… अलौकिक सेवा करना अर्थात, सब को लाइट से जुड़ाना, इसलिए खुद देह से न्यारा रहना… आत्म-अभिमानी बनने से सबकी आशीर्वाद मिलती

5. Godly स्टूडेंट को अपने लक्ष्य-प्रमाण लक्षण चाहिए, ऎसी शक्तिशाली प्रैक्टिकल स्टेज में रहने से बड़ो से भी अच्छी सेवा कर सकते, इच्छा-हिम्मत रखने से मदद भी मिलेंगी… स्थूल सेवा भी अलौकिक सेवा करने का साधन समझना है… जितना योगयुक्त होंगे, कम बोलने से ज्यादा काम होगा, विघ्न समाप्त हो अटल-एकरस-example बनेंगे बाप-समान… नयन-मस्तक से निराकार प्रगट हो

6. जो सदा दुःख में साथ देता, जिससे स्नेह हैं… उसको अपना युगल बना देना है, कभी अलग न हाना… तो साहस मिलेगा, माया दूर रहेंगी, स्थिति-कर्म मजबूत रहेंगे… अकेले में आत्मा और साथ में रूहानी युगल, वही सबसे प्रिय वस्तु है

7. मधुबन खान है, इसलिए जितना हो सके भरना चाहिए, जितना वहां सम्पन्न … हर कदम में पदमों की कमाई

8. हम निर्बंधन है, उल्टी सीधी से बचे हुए… इसलिए हमें lottery मिली है, तो सदा श्रेष्ठ स्थिति में रहना है

9. तन की सर्जरी करने से तन्खा मिलती… और मन ठीक करने से दुआओं द्बारा अतिन्द्रीय सुख मिलता

10. संगम का समय बहुत कम है, इसलिए जितने दिन मिले, लास्ट सो फास्ट जाना है… हमें सिर्फ हिलना नहीं, बाप से पूरा सुख-शान्ति का वर्सा लेना है

11. अब बाबा सदा साथ है, इसलिए एकमत रहना है, गुणदान करना है… अपनी original स्थिति याद रखनी है… अर्पण होने से वरदान मिलते

12. महाबली अर्थात, त्याग का संकल्प भी न आए, तो महान शक्ति मिलती… सर्वशक्तिवान हमारा साथी है, तो कमझोरी आ नहींं सकती

सार

तो चलिए आज सारा दिन… बुद्धि की लाइन clear रख, सदा आत्म-अभिमानी अशरीरी अव्यक्त अलौकिक स्थिति का अनुभव करते… सबको बाबा से जुड़ाते, सर्व प्राप्तियों से भरपूर करते… सब की दुआएं कमाते, सब को और आगे बढ़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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