Being Master of all Powers! | मास्टर सर्वशक्तिमान | (51st) Avyakt Murli Revision 02-04-70

Being Master of all Powers! | मास्टर सर्वशक्तिमान | (51st) Avyakt Murli Revision 02-04-70

1. बाबा एक सेकण्ड में आवाज से परे ले जाना सिखाते, यही सम्पूर्णता (वा मास्टर सर्वशक्तिमान) की निशानी है, फिर याद-सेवा सब सहज हो जाएँगा, प्राप्ति ज्यादा… हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता, साथ में गार्ड बन औरों को भी आगे बढ़ाना है 

2. फिर सबकी सूरत से ही उनकी संकल्प-स्थिति समझ जाएंगे… और हमारी सूरत से भी अन्तिम-भविष्य स्वरूप स्पष्ट दिखेगा, साक्षात् साकार बनेंगे तब साक्षात्कार होंगे… जितना पुरुषार्थ स्पष्ट, उतना प्रालब्ध भी स्पष्ट, सन्तुष्ट होंगे, इसके लिए सरल-साफ बनना है… ऎसे एग्जाम्पल बनने से एग्ज़ाम में पास होंगे… चारों बल (याद-स्नेह-सहयोग-सहन) समान चाहिए, तब समीप कहेंगे

3. जितना बहुतकाल से हिम्मतवन बनने की लिंक जुटी हुई होगी, उतनी अन्त में एक्स्ट्रा मदद मिलेगी… सर्विस में ईन-चार्ज बनने के साथ योग में बैटरी चार्ज करनी है, बाबा-समान जिम्मेवारियां की लहरे में भी तले में जाना, इसलिए बीच-बीच में आवाज से परे जाना है, जितना साहस है उतनी सहन-शक्ति भी हो

4. श्रेष्ठ पुरूषार्थी बनना है, निश्चयबुद्धि विजयी, विजय के संकल्प से भी सर्वस्व त्यागी… जैसे यहां सहयोगी है, वैसे वहां भी बनेंगे… बाबा को पूरा फालो करना है

5. स्वयं को पहले सम्भालने से ही यज्ञ को संभाल सकते… सेवा में ललकार करने लिए अंगीकार (स्वीकार) नहीं करना है (मैं-मेरा, तू-तेरा का), जैसे बाबा… बाबा-बाबा कहते रहने से परम बल मिलता

6. बाबा सम्पूर्ण होने कारण, जो होने वाला है, वह उन्हें पहले ही टच हो जाता… बाप-समान साक्षी-उपराम बनने से सबके प्यारे रहेंगे, अभी सो भविष्य में

सार

तो चलिए आज सारा दिन… हिम्मतवान साफ-दिल मास्टर सर्वशक्तिमान बन, सेकण्ड में आवाज़ से परे जाने की ड्रिल करते… अपनी बैटरी को चार्ज कर, सदा सन्तुष्ट बन, साक्षीनिमित्त भाव से सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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