Seeing our perfect form! | (56th) Avyakt Murli Revision 29-05-70

Seeing our perfect form! | (56th) Avyakt Murli Revision 29-05-70

1. जब सम्पूर्णता के समीप होंगे, तो हमारे आकारी (लाइट का फ़रिश्ता) और भविष्य देव-रूप दोनों स्पष्ट सामने दिखेंगे… ऎसे अनुभव होगा कि अभी-अभी पुराना वस्त्र उतारा, और अभी यह बनें… फिर औरों को भी अनुभव होगा

2. ऎसे देह-भान को छोड़, संकल्प को भी विल करने से, (विल पावर) शक्ति-समानता आती… बिल्कुल हल्का रहते, हम तो निमित्त है, बाबा की हर पल मदद मिलती

3. फर्स्ट बनने के लिए:

  • फास्ट (व्रत) रखना… एक बाबा दूसरा ना कोई, एक की ही स्मृति
  • फास्ट जाना… अर्थात तीव्र पुरूषार्थी

4. महारथी अर्थात माया पर सदा विजयी, उसे विदाई दे देना… इसके लिए knowledge के साथ शक्ति चाहिए, तब ही ज्ञान स्वरूप में आता, सफलता मिलती

5. तीव्र पुरूषार्थी अर्थात फरमानवरदार, एक संकल्प भी फरमान से विपरित नहीं… ज्ञान-स्नान की शक्ति से, माया (अछूत) पास भी न आए

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने सम्पूर्ण आकारी और देव-रूप (और बाबा) को सामने रख, अपनी सम्पूर्णता की ओर तीव्रता से आगे बढ़ते… अपने संकल्पों को भी विल कर, हर पल बाबा के फरमान पर चलते, ज्ञान-योग की शक्ति से हल्के-मायाजीत बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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