The degree of complete angelic stage! | (65th) Avyakt Murli Revision 11-07-70

The degree of complete angelic stage! | (65th) Avyakt Murli Revision 11-07-70

1. संगमयुग की डिग्री है सम्पूर्ण अव्यक्त फ़रिश्ता, जिसके क्वालिफिकेशन है… जितना नॉलेजफुल-फैथफुल (स्वयं-बाप-परिवार में), उतना सक्सेसफुल-सर्विसएबुल… संकल्प-बोल-कर्म में पावरफुल… हर गुण के पीछे फूल… तब ही वैल्यूएबुल कहेंगे, औरों को भी क्वालिफाइड बना सकते… डिग्री या तो डिक्री (धर्मराज की)

2. अब नाजु़क समय में नाज़ नहीं करना, मास्टर ब्रह्मा बने, श्रृंगार किया, अब विकराल-संहारी रूप धारण करना है, सेकण्ड में विकर्म-विकारी को भस्म कर दे… शक्तियों अर्थात स्नेह, रूहानियत और शक्ति (वज्र, घुँघरू की झंकार)… ऎसे शूरवीर बन मैदान में आने से ही बाबा को प्रत्यक्ष-प्रख्यात कर सकेंगे… अपनी कमझोरी को विदाई देने से ही सृष्टि के कल्याणकारी बन सकेंगे

3. विशेष आत्माओं की सेवा करनी है (तो व्यर्थ संकल्प-कर्म-समय नहीं जाएंगा, शक्ति बचेंगी)… इसलिए पुराना चौपड़ा समाप्त कर सेंट-पर्सेंट बनना है (तो सेंट भी झुकेंगे)… अभी पुरुषार्थ अभी प्रालब्ध, इसमे फूल बनना है कमाल करना है, नहीं तो कमान मिलेगा

4. दिल्ली-दर्पण है बाबा की दिल, यहां के आवाज़ से ही समाप्ति की समीपता समझ सकते… ऎसे बेहद जिम्मेदारी वाले बेहद सेवाधारी है (बेहद सोच-स्नेह-सम्बन्ध-स्थान), इन्हें ताज मिलता

5. हम मधुबन के सेफ की मस्तक-मणि है…योगयुक्त निश्चय-बुद्धि संकल्प द्बारा आगे बढ़ने से सफलता मिलती, विघ्न समाप्त होते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनें को सम्पूर्ण अव्यक्त फ़रिश्ता समझ नॉलेजफुल-पावरफुल-विजयी बन… स्नेह-रूहानियत-शक्ति से बेहद सेवा करते, सफलता पाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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