Finishing the old sanskars! | (68th) Avyakt Murli Revision 30-07-70
1. महारथी अर्थात संकल्प-कर्म समान महान, जिसके लिए चाहिए controlling पावर… पुराने संस्कार-कमझोरी समाप्त, इसके बदले कमाल के संकल्प… हम तो विश्व के लिए आधार-उद्धार-उदाहरण मूर्त है, सब को बाबा पर फिदा कर, वर्सा दिलाने वाले
2. हम है सर्व के सहयोगी (और स्नेही), सफलता-मूर्त… इसके लिए पुराने संस्कार को मिटाना है, बस मैं और बाबा तीसरा कुछ नहीं, यही ऊँगली देनी है… कोई न कोई स्लोगन स्वरूप में लाना है
3. माला का मणका अर्थात एकमत-एकता-एकरस स्थिति… इसके लिए भिन्नता को समाना है… विशेषताएं देखने से विशेष आत्मा बन जाएँगे, कमी देखने से ग्रहण-ग्रहचारी लगती… ऎसा सच्चा सोना बनना है, जिससे दूसरों पर प्रभाव पड़़े
सार
तो चलिए आज सारा दिन… मैं और बाबा इसी एकरस स्थिति में स्थित, controlling पावर से सम्पन्न महारथी सच्चा-सोना बन… हर कार्य में सफलता पाते, सबकी विशेषताएं देख एकमत बन, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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