The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 06-09-2019

The wonderful Confluence Age! | Sakar Murli Churnings 06-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगमयुग (कलियुग-अन्त वा सतयुग-आदि के बीच का सुहावना-कल्याणकारी समय, जहा बाबा ईश्वरीय युनिवर्सिटी खोलते, हम उत्तम पुरुष बनते) पर… बाबा (ज्ञान-सुख सागर, पतित-पावन, सर्व का सद्गति दाता, बीजरूप) की राजयोग की शिक्षाओं के अनुसार, हम याद करते है:

  • बाप को (जिससे पावन-सतोप्रधान बनते)
  • घर को (जहां जाना है)
  • नई दुनिया-स्वर्ग को (जो माल-मिलकियत-सुख मिलना है)… फ़िर वहां चले जाएंगे

फिर चक्र फिरता, झाड़ बढ़ता रहेंगा, फिर बाबा पावन बनाएंगे संगम पर… य़ह आत्मा का wonderful कुदरती पार्ट है, जो रिपीट होता रेहता

2. मुख्य बात, अपने को पवित्र ब्राह्मण बनाना है (तब ही देवता बनेंगे)… सबकुछ भूल, अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करने से पाप भस्म होते

चिन्तन 

जबकि यह कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग चल रहा… तो सदा बाबा के संग-combined रह शान्ति-प्रेम-आनंद की सर्वश्रेष्ठ शक्तियों से भरपूर बन… बहुत सहज अपने में परिवर्तन अनुभव करते, दिव्यगुण-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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