Illuminating Baba’s name! | (74th) Avyakt Murli Revision 01-11-70

Illuminating Baba’s name! | (74th) Avyakt Murli Revision 01-11-70

1. बाबा कितनी दूर से हमारे लिए आते, फिर भी कहते बच्चों का स्नेह ज्यादा है… जबकि दुनिया में सबकुछ पुराना है (सम्बन्ध-सम्पत्ति-पदार्थ), तो अभी सिर्फ अपने-बाप के गुप्त रूप को प्रत्यक्ष करना है… इसके लिए अन्तर शब्द याद रखना:

  • अन्तर (compare) करना बाबा से
  • अन्तर रहना (अन्तर्मुखी)

2. फरिश्ते अर्थात सदा धरती के आकर्षण से ऊपर, जबकि बाबा के साथ जाना है, समान बनना है… यह है भी सहज, जबकि सर्व समर्पण हो गए

सार

जबकि बाबा हमारे लिए दूर से आये, तो सदा सर्व समर्पण के भाव द्बारा अन्तर्मुखी बन फरिश्ता स्वरुप का अभ्यास करते बाबा को साथ रखे… सदा बाबा से compare करते, बाप-समान बन उनको प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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