The hot halwa! | Sakar Murli Churnings 13-09-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हम आत्मा शान्त-स्वरूप परमधाम-निवासी हैं, यहां शरीर धारण कर पार्ट बजाते, 84 जन्मों का… अभी हम पवित्र बन पढाई पढ़, अपने को (चमकीली) आत्मा समझ (पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाप-टीचर-सतगुरू) बाबा की याद द्बारा पुण्य-आत्मा देवता बन रहे, नई दुनिया स्वर्ग-हेवन-paradise सुखधाम में
2. आबू सबसे महान तीर्थ है, क्योंकि भगवान् यहा आकर सारे विश्व की सद्गति करते… हम सारे ड्रामा को जानते हैं
3. याद की मेहनत अवश्य करनी है, भल माया तूफान लाएं हमें विजयी बनना है… आत्मा भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि बाबा हमें रोज़ गरम-गरम हलवा मुरली खिलाते… तो सदा इस ज्ञान-भोजन को रूहानी गाई बन उगारते (चिन्तन-योगाभ्यास द्बारा), उसकी शक्ति से श्रेष्ठ तन्दुरस्ती (शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति) का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाए चले… ओम् शान्ति!
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