The ideal teacher! | (84th) Avyakt Murli Revision 22-01-71
1. हम है बाबा की मददगार-वफादार भुजाएं… दिल-तख्त-नशीन अर्थात:
- आत्मिक-स्थिति के तिलक-धारी
- उनके नैंन-चेहरे पर सबके प्रति शुभ-भावना छलकेंगी
- संकल्प-बोल-कर्म बाप-समान
- जिनकी सेवा करेंगे, उनमें भी स्नेह-सहयोग-शक्ति भरेंगी
2. शक्ति की कमी के लक्षण:
- क्या-क्यों में उलझे रहेंगे, फुल-स्टॉप नहीं लगा सकते
- समीप, मर्यादाओं पर चलने वाले, हाई जम्प नहीं लगा सकेंगे
- संस्कारों को मिटा नहीं सकेंगे
3. हमारा लक्ष्य है सर्वगुण सम्पन्न बनना-बनना, कोई उल्हना न दे… सेवा दर्पण है, जिसमें अपनी ही स्थिति-सीरत चेक कर सकते
4. टीचर अर्थात चेहरे पर फरिश्तों की झलक द्बारा सेवा… मेरी नेचर, मैं पुरूषार्थी हूँ, आदि से परे… क्योंकि यह गुम्बज़ है, फिर स्टूडेंट्स भी एसे ही करेंगे, फायदा उठाएंगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सेकण्ड में फुल-स्टॉप लगाकर हाई-जम्प दे, बाप-समान आत्मिक-स्थिति फरिश्तों की झलक को धारण कर सबको शुभ-भावना दे स्नेही-शक्तिशाली बनाते, सर्वगुण-सम्पन्न बनते बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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