The blissful swing of God’s love | परमात्म प्यार का आनंदमय झूला | Avyakt Murli Churnings 06-01-2019
अधिकारों की माला
बाबा के बच्चे बनना, अर्थात सर्व अधिकारों से सम्पन्न बनना:
- परमात्म बच्चे बनने के नाते… सर्वश्रेष्ठ माननीय पूज्यनीय आत्माएं बनने का अधिकार
- गॉडली स्टूडेंट होने के नाते… ज्ञान के खजानों के अधिकारी
- सर्व शक्तियों की प्राप्ति का अधिकार
- कर्मेंद्रीय जीत स्वराज्य अधिकारी बनने का अधिकार
- इन सबके फल-स्वरूप मायाजीत और विश्व राज्य अधिकारी, अर्थात समर्थ आत्मा बन जाते
सफलता का आधार – त्याग, तपस्या और सेवा!
जहां त्याग, तपस्या और सेवा है… वहां सेकण्ड में निश्चित सफलता मिलती है:
- सबसे बड़ा त्याग है देह-भान का त्याग… जिसमें मैं-पन वा मेरा-पन सब आ जाता है… बेहद की स्मृति रखनी है, मैं शुध्द आत्मा हूँँ, सर्वशक्तिवान बाप मेरा है!
- तो तपस्वी सहज बन जाएँगे… तपस्या अर्थात एक के है, एक की मत पर चलना, एकरस स्थिति (के कमल पुष्प आसन) में रहना, एक परमात्म स्मृति में!
- और जहां त्याग और तपस्या है, वहां सेवा स्वतः होती है… सच्चे सेवाधारी बन जाते हैं
- ऎसे त्यागी, तपस्वी, सेवाधारी ही सदा सफलता स्वरूप रहते… सफलता (वा विजय) हमारे गले का हार बन जाता… हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है सफलता!
अन्य पॉइन्ट्स
- प्रकृति हलचल भी करे… तो भी हमारा काम है स्वराज्य अधिकारी बन अचल रहना… हम स्वराज्य नेताओं की नीति है श्रीमत! (इसमें धर्म नीति, स्वराज्य नीति सब आ जाता है!)
- सर्व खझानों व शक्तियों से सम्पन्न बन, सबको सम्पन्न बनाने की सेवा करनी है… इसी कार्य में busy रहने में उन्नति है, व्यर्थ से भी बचे रहते… इसलिए बुद्धि का time-table बनाना है, याद और सेवा के balance द्वारा blessing प्राप्त करते रहना है!
- लगन से, निःस्वार्थ और निमित्त भाव से कार्य करने से… सेवा का प्रत्यक्षफल खुशी प्राप्त होती, और सबकी शुभ भावनाएं भी मिलती! … हल्के ट्रस्टी रहते और निर्णय-शक्ति भी बढ़ जाती!
परमात्म प्यार का सुखदाई झूला!
परमात्म प्यार आनंदमय वा सुखदाई झूला है, जो उड़ती कला में ले जाता… जिससे माया के आकर्षण और परिस्थितियों से बचे रहते!
परमात्म प्यार का प्रमाण है:
- बाबा कहते तुम जो हो, जैसे हो, मेरे हो!
- वह रोझ हमें इतना लम्बा पत्र (मुरली!) भेजते, याद-प्यार देते
- रोज सुबह अमृतवेले हमसे मिलन मनाते, रूहरुहान करते, शक्तियां भरते!
- सारा दिन साथी बन साथ रहते
- हमारी सुख-शान्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते
- बाबा चाहते हम उनसे भी आगे जाएं!… सम्पन्न, सम्पूर्ण और समान बन जाएँ!
परमात्म प्यार के पात्र बनने लिए:
- जैसे बाबा चाहते हैं, वैसा सहज-योगी जीवन बनाना है, अपसेट नहीं होना है
- परमात्म प्यार, गुण और शक्तियों से इतना भरपूर हो जाएँ, कि और कोई भी आकर्षण खींचे नहीं!
- प्यार की निशानी है समान, कर्मातीत बनना… तो करावनहार बन मन बुद्धि संस्कार कर्मेंद्रीयों के मालिक बन कर्म कराना है, उनके वश नहीं होना है
- न्यारा बनना है, बाबा पर पूरा न्योछावर होना है, सभी कमझोरीयां कुर्बान कर देनी है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… परमात्म प्रेम के झूले में इतना लवलीन हो जाए, कि सभी कमझोरी स्वतः समाप्त हो जाए… और सबको भी गुणों और शक्तियों से सम्पन्न करते जाएं, सतयुग बनाते जाएं… ओम् शान्ति!