The easy way of remembering Baba! | Sakar Murli Churnings 19-10-2019
1. इस यूनिवर्सिटी में स्वयं भगवान् हमें टीचर-रूप में पढ़ाते, भाग्यशाली-रथ ब्रह्मा द्वारा adopt कर… अपने को आत्मा (भ्रकुटी के बीच चमकता दिव्य सितारा) समझने से ही परम-आत्मा की याद रहेंगी (जो हमारा बाप, निराकार शिव है, हमें उनका पूरा परिचय है)
2. यह शिक्षा अभी ही मिलती, जबकि आधाकल्प के पाप विनाश कर पावन बन, वर्से के हकदार बनना है (शिवालय में, दिव्यगुण-धारी देवता-रूप में, फुल-आयु वाले)…
3. इसके लिए एकान्त का समय अवश्य निकालना है, कहीं अटकना नहीं है, हमें सारे चक्र-ड्रामा का ज्ञान है… सर्विसएबुल बन सबका कल्याण कर, बाबा की दिल पर अवश्य चढ़ना है
चिन्तन
जबकि अपने को आत्मा समझनै से हो बाबा को अच्छे से याद कर सकते… तो सदा आत्म-अभिमानी बनने के संकल्प मन में दोहराते, बुद्धि से सहज अपने वास्तविक स्वरुप को देखते, बहुत हल्की शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर अवस्था का अनुभव करते… बहुत ही natural बाबा की प्यार-भरी यादों में समाए-डूबे सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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