The legal opinion | श्रीमत | Sakar Murli Churnings 23-10-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. ओम्-शान्ति के अर्थ-स्वरूप में टिकने (अपने को निराकार शान्त-स्वरूप आत्मा समझने) से स्वतः निराकार पतित-पावन सर्वशक्तिमान की याद आती (परिचय-सहित)… जिससे कैरेक्टर-चलन दैवी बनता, और हम पावन-सतोप्रधान नई दुनिया-अमरलोक-सचखणड-सुखधाम-सद्गति के वर्से में ऊँच पद पाते, देेवता रूप में…
2. यह ज्ञान-सागर बाबा के ज्ञान-अमृत की पढ़ाई-श्रीमत सिर्फ अब संगम पर मिलती… जिसका हमें काफी समय मिला है, हम निश्चयबुद्धि भी है, तो अपने पर रहम कर नम्बर-वन पद जरूर प्राप्त करना है… सबकी सेवा कर मददगार बनना है, अपना सबकुछ ट्रान्सफर कर
चिन्तन
जबकि आधा-कल्प बाद बनें सम्पूर्ण लीगल रास्ता (श्रीमत का) मिला है… तो सदा अपने जीवन-दिनचर्या को श्रीमत अनुसार सेट करते, ज्ञान-योग की सम्पूर्ण प्राप्तियों को अपने जीवन में अनुभव कर… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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