Being a Raj-Rishi! | Sakar Murli Churnings 30-10-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हम राजयोग अर्थात् अपने को आत्मा समझ (आत्मा में ही संस्कार है, शरीर को चलाती) पतित-पावन बाबा की अव्यभिचारी याद में रहने से सतोप्रधान-सोना बन… मुलवतन-स्वीट हॉम-शान्तिधाम में पहुंचते… फिर नई-निर्विकारी दुनिया सुखधाम-स्वर्ग-कृष्णपुरी के मालिक बनते, सूर्यवंशी-देवता लक्ष्मी-नारायण के रूप में…
2. स्वयं ज्ञान-सागर नॉलेजफुल-बीजरूप सुप्रीम बाप-टीचर-सतगुरु ने हमें इस 5000 वर्ष के सारे ड्रामा का ज्ञान दिया है, हम सब का पार्ट नुन्धा है… जिसमें साक्षी रहना है…
3. माया का काम ही है अवस्था गिराना, हमें योगबल से विजयी बन, विश्व का मालिक बनना है… हम राजऋषि है
चिन्तन
जबकि हम बाबा के राजा बच्चें है… तो सदा याद द्वारा उनकी शक्तियों से भरपूर बन, माया को डोंट केयर कर… बहुत श्रेष्ठ-सुन्दर शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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