Spiritual Significance of Holi! | Avyakt Murli Churnings 10-11-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हमारे संगमयुगी-जीवन का हर दिन उमंग-उत्साह-खुशी सम्पन्न है (हम ज्ञान-अमृत पीते, खुशी में नाचते, सुख-स्नेह के गीत गाते)… मनाने के साथ होली बनते-बनाते
2. होली विशेष तीन-प्रकार से मनाते:
- जलाने की… अर्थात् पुराने स्वभाव-संस्कार को योग-अग्नि में जलाना
- फिर रंगों से खेलना… अर्थात् बाप के संग-रंग में रंग बाप-समान बन जाना, ज्ञान-गुण-शक्तियों सहित… जो अविनाशी जन्म-जन्म चलेंगे
- फिर मंगल-मिलन मनाना… अर्थात् आत्मा-परमात्मा का मिलन, जिसमें हम कम्बाइन्ड हो जाते
3. और सूक्ष्म बातें:
- होलिका जलने की कहानी… अर्थात् माया को जलाना
- खुशी से मनाते… क्योंकि हम खुश रहते
- हल्के हो जाते… क्योंकि हम डबल-लाइट रहते
- पुराना-पन भूलते… क्योंकि 63 जन्म का पुराना-पन हम भूलते
- समान-भाव से मनाते (बच्चें-बूढे सब)… क्योंकि हम देह-भान से परे, भाई-भाई की स्मृति में स्थित होते
- दुश्मनी भूल जाते… क्योंकि हमने पुराने स्वभाव-संस्कार (आत्मा के दुश्मन) को योग-अग्नि में भस्म कर दिया है
- पिचकारी उड़ाते… क्योंकि हम रूहानी-दृष्टि द्वारा सुख-शान्ति-खुशी-प्रेम लुटाते… एसा रंग कोई मिटाना नहीं चाहते
जिनके हर कर्म मनाये जाते (हम)… वह खुद कितने महान होंगे!
4. पुराना-पन जरा भी याद न आए… हमारा तो सब नया है, नया जन्म-दुनिया-संसार-संस्कार-बातें… नयी भाषा, रीति-रस्म, सम्बन्ध-सम्पर्क… नये गीत (हाय-हाय, क्यों-क्या से परे… सदा अहो-वाह)
5. हमारे जैसे मौजों की जीवन, कोई वर्ग की नहीं:
- हम बेफिक्र-बेगमपुर-बीन कोड़ी बादशाह है
- मेहनत समाप्त हो गई, मोहब्बत में
- चिंता के बदले शुभ-चिन्तक
- सोने की गोली के बदले… बाबा के साथ सोना
अन्त में सब साथ हो जाएंगे… सिर्फ बाबा की touching सेकण्ड में कैच करने, बुद्धि की लाइन क्लियर रखनी है… औरों को शक्ति देने भी शायद रुकना पड़े, सब श्रीमत पर, लगाव नहीं
हमारे स्नेह-उत्साह-प्रतिज्ञा के पत्रों प्रति
1. बाबा हमें “जैसे बाप, वैसे हम” का वरदान देते (हर संकल्प-कर्म पहले चेक करना बाप-समान है, तो शक्तिशाली-सफल रहेंगे, सफलता हमारे गले की माला है)… बाबा सदा हमारी विशेषताएं-भाग्य के गीत गाते, याद-प्यार देते
2. हम बाबा की छत्रछाया में है (माया कुछ नहीं कर सकती), सिर्फ छोटी बातों को बड़ा नहीं बनाना… इसके लिए सदा ऊपर (बाबा के साथ) रहना है, तो सेफ रहेंगे
सार (चिन्तन)
जबकि होली हमारी ही सर्वश्रेष्ठ खुशियों-भरी जीवन का यादगार है… तो सदा माया की पुरानी बातों को भूल, बाबा की छत्रछाया-संग-मोहब्बत में रंग बाप-समान बन… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद के गीत गाते-नाचते, सबको दृष्टि-शुभ भावना द्वारा बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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