The spiritual business! | Sakar Murli Churnings 12-11-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. जबकि बाबा आए है… हमें नई दुनिया-सतयुग का वर्सा देने… पूज्य-जीवनमुक्त सम्पन्न-सम्पूर्ण देवता-शहजादा के रूप मे, सोल्वन्त-सुखी राज्य…
2. तो हमारा भी फर्ज है, इस ज्ञान को उगारते… चलते-फिरते कार्य-व्यवहार करते, बाकी सब भूल, अपने को आत्मा समझ (जो ही पार्ट बजाती) पतित-पावन सर्वशक्तिमान बाबा को याद करना… जिस शक्ति से ही पाप-कट हो, पावन-सतोप्रधान बनते…
3. दूसरा फर्ज है… सबकि सेवा करना (अर्थात् रास्ता दिखाना, बाबा का परिचय देना, भूं-भूं करना)… अन्त में तो बहुत आएंगे…
4. बाकी समय थोड़ा है… तो अन्तर्मुख हो अपने याद के चार्ट को चेक करते रहना है… हम तो है ही बाबा के बच्चें-आशिक
चिन्तन
जबकि बाबा ने हमें याद का रूहानी धंधा सिखाया है… तो सदा इनसे होने वाली सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों को ध्यान में रखते, थोड़ा समय निकाल याद में अवश्य बैठे… और ज्ञान-योग के थोड़े चिन्तन-अभ्यास द्वारा सर्व परमात्म गुण-शक्तियों को स्वयं में समाकर, सारा पुराना-पन स्वाहा कर… बहुत सहज आगे बढ़ते-बढ़ाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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