Inculcating Virtues from all! | Sakar Murli Churnings 15-11-2019

Inculcating Virtues from all! | Sakar Murli Churnings 15-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1.

  • रूहानी-बेहद बाप शिवबाबा से हमें पहले ज्ञान का वर्सा मिलता (कारूण का खज़ाना)… जिसको सदा सिमरण करते, सबको बाबा का परिचय दे, कल्याण करना है
  • जिस ज्ञान से शान्ति का वर्सा पाते… बाप-समान शान्त-चित रहना, अशान्ति नहीं फैलाना, आदि… जो शान्ति सब चाहते
  • जिससे स्वतः खुशी-नशे-अतीन्द्रिय सुख में रहते
  • गुणवान बनते.. सबको भी बांटते, सबसे भी गुण उठाते… कम्पलेन-कुसंग से परे, पक्का हंस बनते
  • तब ही अच्छे-लम्बे योग में रह सकते… पवित्र-सतोप्रधान-दिव्यगुण सम्पन्न-देवता बन… सुखधाम-स्वर्ग के मालिक बनते

2. फॉर्म-प्रश्न की युक्ति अच्छी है, उनकी समझ देख उस अनुसार सेवा करने… बाकी समय थोड़ा है

चिन्तन

जबकि हम बाबा-सर्व से गुण उठाने वाले सन्तुष्टमणि-हंस है… तो सदा ज्ञान-योग द्वारा शान्ति-प्रेम-आनंद के गुण स्वयं में भरते… सम्पर्क में भी सबसे गुण उठाते, सच्चे हंस बन, सदा गुण-शक्तियों के सागर के किनारे रह… सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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