A golden vessel! | Sakar Murli Churnings 27-11-2019

A golden vessel! | Sakar Murli Churnings 27-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर हम दूरांदेशी-बच्चें सब जानते:

  • यह 5000 वर्श का चक्र… पहले नई-दुनिया सुख में थोड़ी आत्माएं (हद) होती, फिर सब बेहद हो जाता, फिर हद-बेहद से पार घर जाते
  • भगवान्… ऊँच ते ऊँच परमात्मा बाप-नॉलेजफुल-सतगुरू, जो ब्रह्मा-मुख (आकाश) द्वारा वाणी चलाते, हमें विश्व का मालिक सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनाते
  • (माला का उदाहरण) बाप-फुल के बाद युगल-मेरु (महाराजा-महारानी), फिर सारी माला
  • यह सब उल्टे झाड़ के रूप में समझना सहज है

2. यह सब धारण करने लिए चाहिए पवित्र-सोने का बर्तन… जिसके लिए एक बाप से बुद्धियोग चाहिए (उल्टे-सिलते विचारों से परे)… तब ही मास्टर नॉलेजफुल बन अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर सकेंगे… बहुत मीठा कमल-फुल-समान बनना है, माया तो आएगी, हम याद द्वारा विजयी बनना है

चिन्तन

जबकि बाबा रोज़ हम पर अमूल्य-ज्ञान-रत्नों की वर्षा करते, तो इन सबको अपनी बुद्धि में समाने लिए… सदा नॉलेजफुल बन सच्ची-अविनाशी खुशी को चुनते, सदा ज्ञान-चिन्तन वा याद में बुद्धि को बिजी़ रख शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते… अपने हर कार्य-व्यवहार को यादगार-कल्याणकारी बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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