Becoming Mayajeet by remembering Baba in a variety of ways! | Sakar Murli Churnings 29-11-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. जबकि स्वयं बाप-टीचर-सतगुरु ईश्वर हमें यह राजयोग की नई पढ़ाई पढ़ाते, तो सबकुछ भूल आत्मा समझ टीचर से योग रखना तो सहज होना चाहिए, जिससे नई दुनिया-पैराडाइज में पावन-देवता बनते, पद्मापद्म भाग्यशाली
2. सिर्फ माया की खिंच होती, इसलिए पुरूषार्थ करना पड़ता (भिन्न-भिन्न रीति से याद करना, मीठी बातें करना, पिछला बताकर हल्का होना, आदि)… तब ही हमारी सेवा में आत्म-अभिमानी का जौहर भरता, तीर लगता
चिन्तन
जबकि बाबा को याद करना इतना सहज-स्वाभाविक-आनंदमय है, तो माया से बचे रहने लिए… सदा बाबा को भिन्न-भिन्न अभ्यासों द्वारा याद करते रह, अपनी दिनचर्या को ही श्रीमत अनुसार यथार्थ ज्ञान-योग सम्पन्न बनाते, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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