Being a Master & serving all! | Avyakt Murli Churnings 01-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. निर्वाण-स्थिति (निर्विकल्प-निर्विकारी) द्वारा निराकारी सो साकारी स्वरूप-धारी रहना है (निराकार की स्मृति न भूले, जबकि यही असली स्वरूप है)… तो स्वतः सर्व गुण-शक्तियां emerge हो (माँ का उदाहरण), हम मास्टर-सर्वशक्तिमान के सिंहासन-धारी बन जाएंगे (सभी शक्तियां हमारे ऑर्डर पर चलने वाले सेवाधारी)… तो मेहनत से मुक्त रहेंगे (स्थूल सेवा भी खेल-मुहब्बत में सहज लगती)
2. सेवा करना अर्थात् करावनहार-बाबा के साथ रहना, तो सदा सफलता-आशीर्वाद प्राप्त करने वाले महान-पुण्यात्मा मेहसूस करते… हर बोल द्वारा सबको अनुभव कराना (शान्ति-आनंद, आदि का), तब ही प्रत्यक्षता होंगी
3. सदा खुशी-सुख-सर्व प्राप्तियों के सागर में लहराते (याद), सबको भी हाथ पकड़ कर लहरवाना (सेवा)… इसी में बिजी़ रहने से (और कुछ न दिखे), सहज आगे बढ़ते-बढ़ाते रहेंगे… बाबा होशियार बनाकर गए हैं, अव्यक्त-रूप में सदा साथ हैं
सार
सदा निराकारी सो साकारी स्वरूप का अभ्यास करते, सर्व गुण-शक्तियों से सम्पन्न मास्टर सर्वशक्तिमान बन… शक्तियों को ऑर्डर में चलाए मेहनत-मुक्त बन… सदा सर्व प्राप्तियों के सागर में लहराते, सबको हर बोल द्वारा अनुभव कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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